CHD: शिवानी देवी को समय पर सेवा न देने पर नगर निगम के दो अधिकारियों पर जुर्माना
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 27 मार्च: चंडीगढ़ राइट टू सर्विस कमीशन ने नगर निगम के एस्टेट ब्रांच के दो अधिकारियों पर समय पर सेवा न देने के मामले में जुर्माना लगाया है। आयोग ने यह कार्रवाई शिवानी देवी की शिकायत पर की, जिन्होंने आरोप लगाया था कि उन्हें अपनी संपत्ति के स्थानांतरण के लिए आवश्यक नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट समय सीमा के भीतर नहीं दिया गया।
शिवानी देवी ने 12 सितंबर 2024 को खसरा नंबर 4, खुदा अलीशेर, चंडीगढ़ की संपत्ति के लिए एनओसी के लिए आवेदन किया था। नगर निगम ने 26 नवंबर 2024 को उनसे कुछ अतिरिक्त दस्तावेज मांगे, जो उन्होंने 27 नवंबर 2024 को जमा कर दिए। लेकिन इसके बावजूद, 31 कार्य दिवसों की निर्धारित समय-सीमा बीत जाने के बाद भी उन्हें NOC जारी नहीं किया गया।
शिवानी देवी ने कई बार 29 जनवरी, 14 फरवरी और 24 फरवरी 2025 को रिमाइंडर भेजे, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। इसके बाद उन्होंने चंडीगढ़ राइट टू सर्विस कमीशन में शिकायत दर्ज कराई।
अधिकारियों की लापरवाही उजागर
आयोग की जांच में सामने आया कि नगर निगम को ग्राम पंचायत से जुड़े दस्तावेज 2019 में ही प्राप्त कर लेने चाहिए थे, लेकिन उन्होंने अब तक ऐसा नहीं किया। नगर निगम के अधिकारियों ने रिकॉर्ड के अभाव का बहाना बनाया, जो आयोग के अनुसार, स्वीकार्य नहीं था।
आयोग ने पाया कि सुपरिंटेंडेंट डी.पी. सिंह ने 33 कार्यदिवसों तक बिना किसी ठोस कारण के फाइल को लंबित रखा, जबकि सीनियर असिस्टेंट रविंद्र सिंह ने 44 कार्यदिवसों तक फाइल को आगे नहीं बढ़ाया। इसके अलावा, आयोग ने पाया कि पूर्व सुपरिंटेंडेंट सुनील दत्त, जो 16 जून 2022 से 13 दिसंबर 2024 तक इस पद पर थे, उन्होंने भी 12 सितंबर 2024 से 13 दिसंबर 2024 तक कोई कार्रवाई नहीं की।
आयोग का फैसला
आयोग के प्रमुख डॉ. महावीर सिंह (आईएएस रिटायर्ड) ने सुपरिंटेंडेंट डी.पी. सिंह पर ₹4000 का जुर्माना और सीनियर असिस्टेंट रविंद्र सिंह पर ₹2000 का जुर्माना लगाया। इस जुर्माने की 50% राशि शिकायतकर्ता शिवानी देवी को मुआवजे के रूप में दी जाएगी।
इसके अलावा, आयोग ने नगर निगम के कमिश्नर अमित कुमार (आईएएस) को निर्देश दिए हैं कि वे इन अधिकारियों से जुर्माना वसूलें और शिकायतकर्ता को मुआवजा प्रदान करें।
कमीशन ने जारी किए कड़े निर्देश
चंडीगढ़ राइट टू सर्विस कमीशन ने कहा कि इस प्रकार की लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अधिकारियों को निर्धारित समय सीमा के भीतर सेवाएं प्रदान करने के लिए कड़े निर्देश जारी किए गए हैं, ताकि भविष्य में इस तरह की शिकायतें न आएं।
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