विश्व विरासत दिवस: सांस्कृतिक धरोहरों की सुरक्षा का संकल्प
बाबूशाही ब्यूरो
चंडीगढ़,18 अप्रैल, 2025:
हर साल 18 अप्रैल को विश्व विरासत दिवस (World Heritage Day) के रूप में मनाया जाता है। यह दिन न केवल हमारे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थलों की अहमियत को समझने का अवसर प्रदान करता है, बल्कि इन धरोहरों को बचाने और संजोने की जिम्मेदारी की भी याद दिलाता है।
इस दिन का प्रमुख उद्देश्य है सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण और उनके प्रति जागरूकता फैलाना। ये धरोहरें न सिर्फ हमारे इतिहास की गवाही देती हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए हमारी विरासत भी हैं।
विश्व विरासत दिवस के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य:
-
यह दिवस हर साल 18 अप्रैल को मनाया जाता है।
-
इसका उद्देश्य संस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाना है।
-
इस दिन की शुरुआत अंतरराष्ट्रीय स्मारक एवं स्थल परिषद (ICOMOS) द्वारा की गई थी।
-
इसे पहली बार 1983 में UNESCO द्वारा मान्यता दी गई थी।
-
हर वर्ष इस दिन को एक विशेष थीम के अंतर्गत मनाया जाता है।
आज के समय में जब शहरीकरण और तकनीकी विकास की रफ्तार तेज़ है, हमारी ऐतिहासिक धरोहरें कई तरह के खतरों का सामना कर रही हैं। ऐसे में विश्व विरासत दिवस हमें एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हम अपनी धरोहरों को सही मायने में सुरक्षित रख पा रहे हैं? “धरोहरें सिर्फ पत्थरों की इमारतें नहीं, बल्कि हमारी पहचान का हिस्सा हैं। इन्हें बचाना, हमें अपनी जड़ों से जोड़े रखने जैसा है।”
kk
अपने शहर की खबरें Whatsapp पर पढ़ने के लिए Click Here →
Click to Follow हिन्दी बाबूशाही फेसबुक पेज →