Hyderabad University के पास पेड़ों की कटाई पर Supreme Court सख्त, लगाई राज्य सरकार को कड़ी फटकार
Zinnia Balli
नई दिल्ली, 17 अप्रैल,2025 :
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को तेलंगाना की ए रेवंत रेड्डी सरकार से कहा कि अगर वह चाहती है कि उसके मुख्य सचिव को “गंभीर कार्रवाई से बचाया जाए” तो उसे हैदराबाद विश्वविद्यालय से सटी 100 एकड़ जमीन को बहाल करने के लिए एक विशिष्ट योजना बनानी होगी, जिस पर राज्य ने पेड़ों की कटाई की थी। कोर्ट ने कहा कि पर्यावरण की रक्षा के लिए वह “जरूरत पड़ने पर हरसंभव प्रयास करेगी”।
पेड़ों की कटाई को लेकर हुए विरोध प्रदर्शन के बाद सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए 3 अप्रैल को युनिवर्सिटी के पास कांचा गाचीबोवली वन क्षेत्र में पेड़ों की कटाई पर रोक लगा दी थी और मुख्य सचिव (Chief Secretary) से पेड़ों को हटाने की “अनिवार्य आवश्यकता” के बारे में स्पष्टीकरण मांगा था।
बुधवार को जस्टिस बीआर गवई और एजी मसीह की पीठ ने कहा, "अनुच्छेद 142 के तहत हम कुछ भी कर सकते हैं। पर्यावरण और पारिस्थितिकी की सुरक्षा के लिए, अगर ज़रूरत पड़ी तो हम हर संभव प्रयास करेंगे।"
जस्टिस गवई ने तेलंगाना सरकार के वकील अभिषेक सिंघवी से कहा कि अपनी कार्रवाई को सही ठहराने के बजाय, आपके लिए बेहतर होगा कि इस बारे में कोई योजना बनाकर लाएं कि आप उस 100 एकड़ भूमि को कैसे बहाल करेंगे। वरना हम नहीं जानते कि आपके कितने अधिकारियों को उसी जगह पर बनाई जाने वाली अस्थायी जेल में जाना पड़ेगा।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि लोग मुंबई मेट्रो परियोजना के लिए पेड़ों की कटाई के खिलाफ लड़ने के लिए सुप्रीम कोर्ट आए हैं।
न्यायमूर्ति गवई ने तेलंगाना के वकील से कहा, "हम नौकरशाहों या मंत्रियों की व्याख्या पर नहीं चलेंगे... राज्य को यह बताने दीजिए कि उसने 1996 के आदेश का पालन कैसे किया।"
"अगर आप चाहते हैं कि (आपके) मुख्य सचिव को कड़ी कार्रवाई से बचाया जाए, तो आपको एक योजना बनानी होगी कि आप उन 100 एकड़ जमीन को कैसे बहाल करेंगे। अन्यथा, हम नहीं जानते कि आपके कितने अधिकारियों को अस्थायी जेल जाना पड़ेगा।"
kk
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