मकर संक्रांति 2025: शुभ मुहूर्त, महत्व और मांगलिक कार्यों का आरंभ
बाबुशाही ब्यूरो
चंडीगढ़, 14 जनवरी। हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का विशेष महत्व है। यह पर्व सूर्य देव की मकर राशि में गोचर करने के अवसर पर मनाया जाता है। मकर संक्रांति को शुभता और पुण्य का प्रतीक माना जाता है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान, दान और पूजा का विशेष महत्व है।
मकर संक्रांति कब है?
आचार्य राम नारायण दास के अनुसार, इस वर्ष मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाएगी। सूर्य देव 14 जनवरी की सुबह 8:41 बजे मकर राशि में प्रवेश करेंगे। पुण्य काल में स्नान और दान का शुभ मुहूर्त सुबह 9:03 बजे से 10:48 बजे तक रहेगा।
मकर संक्रांति का महत्व
मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण होते हैं, जिसका अर्थ है कि सूर्य अब 6 महीने तक उत्तर दिशा में रहेंगे। इस समय को देवताओं का दिन माना जाता है और यह शुभ कार्यों की शुरुआत का प्रतीक है। खरमास की समाप्ति के साथ गृह प्रवेश, सगाई, विवाह, मुंडन जैसे मांगलिक कार्य फिर से प्रारंभ हो जाते हैं।
पौराणिक मान्यताएं
मकर संक्रांति से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार, महाभारत के महान योद्धा भीष्म पितामह ने मकर संक्रांति के दिन ही अपने प्राण त्यागे थे, ताकि उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हो सके। उत्तरायण में मृत्यु को शास्त्रों में मोक्ष प्राप्ति का मार्ग बताया गया है।
दान और पुण्य का महत्व
इस दिन गंगा, यमुना, या किसी अन्य पवित्र नदी में स्नान कर दान करने का विशेष महत्व है। तिल, गुड़, अन्न, वस्त्र और आभूषण का दान करना पुण्यदायी माना जाता है।
मांगलिक कार्यों का आरंभ
मकर संक्रांति के साथ शुभ कार्यों का समय शुरू हो जाता है। आचार्य राम नारायण दास ने बताया कि यह समय गृह प्रवेश, विवाह, सगाई और अन्य धार्मिक कार्यों के लिए बेहद शुभ होता है।
निष्कर्ष
मकर संक्रांति केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि प्रकृति और धर्म का संगम है। यह सकारात्मकता, शुभता और जीवन में नए आरंभ का संदेश देता है।
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