सेंट जेवियर्स स्कूल में 'स्वास्थ्य और स्वच्छता' पर कार्यशाला आयोजित
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 3 फरवरी 2025 – सेंट जेवियर्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल, सेक्टर 44, चंडीगढ़ में कक्षा 5वीं और 6वीं की छात्राओं के लिए प्रॉक्टर एंड गैंबल हेल्थ केयर लिमिटेड के सहयोग से 'स्वास्थ्य और स्वच्छता' पर एक विशेष कार्यशाला आयोजित की गई। इस कार्यक्रम में प्रॉक्टर एंड गैंबल की सुश्री ईशा मल्होत्रा ने बतौर संसाधन विशेषज्ञ भाग लिया।
व्यक्तिगत स्वच्छता के महत्व पर जोर
कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य युवा लड़कियों को स्वच्छता और स्वास्थ्य से जुड़े महत्वपूर्ण पहलुओं से अवगत कराना था ताकि वे अपने शरीर में होने वाले परिवर्तनों को आत्मविश्वास के साथ स्वीकार कर सकें।
सुश्री ईशा मल्होत्रा ने बताया कि अच्छी व्यक्तिगत स्वच्छता अपनाने से बीमारियों से बचाव संभव है। उन्होंने यह भी समझाया कि स्वच्छता सिर्फ हमारी शारीरिक सुंदरता तक सीमित नहीं है, बल्कि यह संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।
मासिक धर्म से जुड़े अंधविश्वासों पर खुली चर्चा
कार्यशाला में मासिक धर्म से जुड़ी वर्जनाओं और सामाजिक कलंक पर भी चर्चा की गई। सुश्री ईशा ने छात्राओं को बताया कि मासिक धर्म एक स्वाभाविक प्रक्रिया है और इससे जुड़े अनावश्यक प्रतिबंध महज अंधविश्वास हैं, जिनसे युवा पीढ़ी को बचना चाहिए।
उन्होंने सैनिटरी नैपकिन के उचित निपटान के महत्व पर भी प्रकाश डाला। छात्राओं को जागरूक किया गया कि सैनिटरी नैपकिन को शौचालय में बहाने की बजाय सही तरीके से डिस्पोज़ किया जाए ताकि पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे।
स्वस्थ जीवनशैली अपनाने का संदेश
छात्राओं को संबोधित करते हुए सुश्री ईशा मल्होत्रा ने कहा,
"हमें संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और उचित स्वच्छता अपनानी चाहिए, खासकर मासिक धर्म के दौरान, ताकि संक्रमण और बीमारियों से बचा जा सके।"
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पीरियड्स सामान्य हैं और इसे हमारे शरीर की स्वस्थ कार्यप्रणाली और मातृत्व के लिए एक आवश्यक प्रक्रिया के रूप में देखा जाना चाहिए।
छात्राओं की सक्रिय भागीदारी
इस कार्यशाला में छात्राओं ने खुलकर चर्चा की और नई सीखी गई स्वच्छता आदतों को अपने दैनिक जीवन में लागू करने की इच्छा व्यक्त की।
कार्यक्रम के अंत में सहायक संचालक नरिंदर गांधी ने छात्राओं को स्वास्थ्य और स्वच्छता के प्रति जागरूक करने के लिए सुश्री ईशा मल्होत्रा का आभार व्यक्त किया।
यह कार्यशाला छात्राओं को आत्मनिर्भर और जागरूक बनाने की दिशा में एक प्रभावी कदम साबित हुई। मासिक धर्म और व्यक्तिगत स्वच्छता से जुड़े विषयों पर खुली चर्चा से छात्राओं को स्वस्थ आदतें अपनाने और पुरानी भ्रांतियों को छोड़ने की प्रेरणा मिली।
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