चंडीगढ़ की महापौर ने वित्तीय संकट से उबरने के लिए प्रशासक से मांगी सहायता
प्रशासक से की 170 करोड़ रुपए तत्काल अतिरिक्त अनुदान की मांग
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 4 फरवरी। नगर निगम चंडीगढ़ (एमसीसी) को वित्तीय संकट से निकालने और आवश्यक सेवाओं को निर्बाध रूप से जारी रखने के लिए, महापौर हरप्रीत कौर बबला ने आज चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने एमसीसी की बिगड़ती वित्तीय स्थिति, बढ़ते व्यय, और अनुदान की कमी पर चिंता व्यक्त की।
महापौर ने बताया कि एमसीसी शहर की स्वच्छता, बुनियादी ढांचे का रखरखाव, हरित क्षेत्रों की देखभाल, स्ट्रीट लाइटिंग, पशु कल्याण और अन्य नागरिक सेवाओं की जिम्मेदारी संभालता है। हालांकि, आवश्यक सेवाओं को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए निगम को प्रशासन से मिलने वाली वित्तीय सहायता अपर्याप्त साबित हो रही है।
प्रमुख वित्तीय चुनौतियां:
सड़क अवसंरचना: एमसीसी 2,000 किलोमीटर सड़कों की देखरेख करता है, जिनका निर्माण और मरम्मत वार्षिक रूप से की जाती है, लेकिन इससे कोई राजस्व नहीं मिलता।
हरित क्षेत्र और सौंदर्यीकरण: 1,800 से अधिक पार्कों और लाखों पेड़ों का रखरखाव एमसीसी के खर्चे पर होता है।
स्वच्छता और पशु कल्याण: कचरा प्रबंधन, आवारा पशुओं की देखभाल, नसबंदी और आश्रयगृहों का संचालन निगम के लिए आर्थिक रूप से चुनौतीपूर्ण हो रहा है।
स्ट्रीट लाइटिंग: एमसीसी बिना प्रशासनिक सहायता के सभी प्रमुख सड़कों की स्ट्रीट लाइटिंग का खर्च उठाता है।
वित्तीय सहायता की मांग
महापौर ने बताया कि एमसीसी को वित्तीय वर्ष 2024-25 में 1,651.75 करोड़ रुपये की जरूरत थी, लेकिन केवल 560 करोड़ रुपये का अनुदान मिला। वहीं, वार्षिक खर्च 10% बढ़ा है, जबकि अनुदान में केवल 4.53% की वृद्धि हुई है।
महापौर ने प्रशासक से 170 करोड़ रुपये के तत्काल अतिरिक्त अनुदान की मांग की, जिससे फरवरी और मार्च के वेतन, पेंशन, बिजली बिल, ईंधन आदि के भुगतान को सुनिश्चित किया जा सके। इसके अलावा, उन्होंने अनुदान को मासिक के बजाय त्रैमासिक आधार पर जारी करने की मांग की ताकि वित्तीय योजना को प्रभावी बनाया जा सके।
प्रशासक का आश्वासन
महापौर की अपील पर प्रशासक गुलाब चंद कटारिया ने नगर निगम की वित्तीय स्थिति को गंभीरता से लेने और इस मुद्दे पर विस्तृत चर्चा के लिए शीघ्र ही बैठक बुलाने का आश्वासन दिया। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि एमसीसी की वित्तीय जरूरतों को प्राथमिकता दी जाए ताकि चंडीगढ़ के नागरिकों को बेहतर सेवाएं मिलती रहें।
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