चंडीगढ़ फायर विंग में संकट: आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की नौकरी पर मंडरा रहा खतरा
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 31 मार्च: नगर निगम प्रशासन वित्तीय संकट का हवाला देते हुए फायर विंग में कार्यरत आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की नौकरी पर कैंची चलाने की तैयारी कर रहा है। जबकि अन्य विभागों में अतिरिक्त कर्मचारी होने की चर्चा लगातार बनी हुई है, फायर ब्रिगेड जैसे महत्वपूर्ण विभाग से कर्मचारियों की छंटनी को लेकर विवाद खड़ा हो सकता है।
फायर विंग में वर्तमान कर्मचारियों की स्थिति
सूत्रों के अनुसार, चंडीगढ़ फायर विंग में कुल 602 स्वीकृत पद हैं, जिनमें से कई रिक्त पड़े हैं। जिसमे से 100 के करीब पद खाली पड़े है।
पदनाम स्वीकृत पद नियमित कर्मचारी आउटसोर्सिंग कर्मचारी रिक्त पद
फायर ऑफिसर 8 स्वीकृति, 3 मौजूद 5 पद खाली, 3 पर एडिसन चार्ज
सब फायर ऑफिसर 12 पद 9 मौजूद 3 खाली
लीडिंग फायरमैन 91 - - -
फायरमैन 338 स्वीकृति, 291 रेगलूर, 47 आउटसोर्सिंग व 20 पद खाली
ड्राइवर 96 स्वीकृति जिसमे 63 रेगलूर, 16 पद आउटसोर्सिंग व 17 पद खाली
चौंकाने वाली बात यह है कि इस महत्वपूर्ण सेवाओं वाले विभाग में 47 फायरमैन और 16 ड्राइवर आउटसोर्सिंग के तहत कार्यरत हैं, और अब इन्हीं कर्मचारियों की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है।
मुख्य बिंदु
फायर विंग में कुल 602 पद स्वीकृत, लेकिन कई रिक्त। 47 फायरमैन और 16 ड्राइवर आउटसोर्सिंग पर कार्यरत। फायरमैन और ड्राइवरों को वीकली ऑफ देने में भी दिक्कत।
करीब 24 फायरमैन कार्यालय में बाबूगिरी कर रहे, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं। गर्मियों का मौसम, आगजनी की घटनाओं की आशंका अधिक। आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की छंटनी से शहर की सुरक्षा पर खतरा। कर्मचारी संगठनों ने विरोध दर्ज कराने की तैयारी शुरू की। नगर निगम ने फायर स्टेशनों की कार्यप्रणाली की समीक्षा के लिए बैठक बुलाई। आगजनी के मामलों को देखते हुए विशेषज्ञों ने फायर विंग में स्टाफ की कमी पर चिंता जताई।
प्रशासनिक निर्णयों पर सवाल
हालांकि, निगम के अन्य विभागों जैसे स्वास्थ्य (MHO), बागवानी और अन्य शाखाओं में अधिक संख्या में कर्मचारी कार्यरत हैं, लेकिन फायर ब्रिगेड जैसी महत्वपूर्ण सेवाओं में कर्मचारियों की छंटनी का प्रस्ताव सवाल खड़े कर रहा है।
इतना ही नहीं, जानकारी के मुताबिक करीब दो दर्जन फायरमैन ऐसे हैं जो कार्यालय में बाबूगिरी कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन ने उनकी भूमिका पर कोई कार्रवाई नहीं की है। ऐसे में यह संदेह उठता है कि क्या प्रशासन केवल निचले स्तर के आउटसोर्सिंग कर्मचारियों पर ही सख्ती दिखा रहा है?
फायर ब्रिगेड की स्थापना और कार्य
जून 1956 में राजधानी चंडीगढ़ परियोजना के तहत पूर्णकालिक कार्य के रूप में शुरू की गई फायर ब्रिगेड में अब सात फायर स्टेशन हैं, जिनका नेतृत्व स्टेशन फायर ऑफिसर करते हैं, जिसका मुख्यालय फायर स्टेशन, सेक्टर-17, चंडीगढ़ में है। कमिश्नर, नगर निगम, चंडीगढ़ के प्रशासन के तहत मुख्य अग्निशमन अधिकारी संचालन की कमान संभालते हैं।
फायर ब्रिगेड के कार्य:
आग से बचाव और नियंत्रण। दिल्ली अग्नि निवारण और अग्नि सुरक्षा अधिनियम, 1986 के अनुसार सुरक्षा प्रमाणपत्र जारी करना। औद्योगिक इकाइयों, ऊंची इमारतों, स्कूल/कॉलेजों, होटलों आदि में अग्नि सुरक्षा सुनिश्चित करना। रैली, आंदोलन आदि के दौरान कानून व्यवस्था बनाए रखना। आपातकालीन स्थितियों में बचाव कार्य। सड़क दुर्घटनाओं में सहायता प्रदान करना। स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस समारोह में भागीदारी। आगजनी की घटनाओं को कम करने के लिए जागरूकता फैलाने हेतु मॉक ड्रिल, व्याख्यान और प्रदर्शन आयोजित करना।
कर्मचारियों की कमी से वीकली ऑफ भी प्रभावित
जानकारी के अनुसार, फायर विंग में कर्मचारियों की कमी के कारण फायरमैन और ड्राइवरों को वीकली ऑफ देने में भी दिक्कत हो रही है। यदि प्रशासन कर्मचारियों को निकालने का निर्णय लेता है, तो इससे अग्निशमन सेवाओं पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है, जिससे शहर में आगजनी की घटनाओं से निपटना और भी मुश्किल हो जाएगा।
गर्मियों के मौसम में बढ़ेगा खतरा
विशेषज्ञों के अनुसार, गर्मियों का सीजन आगजनी की घटनाओं के लिए सबसे संवेदनशील होता है। ऐसे में यदि फायर ब्रिगेड के कर्मचारियों की संख्या और घटा दी गई, तो आग लगने की घटनाओं पर काबू पाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इससे शहर की सुरक्षा पर गंभीर असर पड़ सकता है।
कर्मचारियों की छंटनी के विरोध में उठ रही आवाज़ें
आउटसोर्सिंग कर्मचारियों का कहना है कि यदि प्रशासन को वित्तीय संकट से उबरना है तो उसे अन्य विभागों में अतिरिक्त कर्मचारियों की समीक्षा करनी चाहिए, न कि फायर ब्रिगेड जैसे अत्यावश्यक विभाग को कमजोर करना चाहिए। कर्मचारी संगठनों का कहना है कि वे इस निर्णय के खिलाफ आवाज उठाने के लिए तैयार हैं और आवश्यक हुआ तो प्रदर्शन भी करेंगे।
चंडीगढ़ प्रशासन का यह निर्णय न केवल फायर ब्रिगेड कर्मचारियों के भविष्य पर संकट खड़ा कर सकता है, बल्कि शहर की सुरक्षा पर भी सवाल खड़ा करता है। एक तरफ प्रशासन अग्नि सुरक्षा बढ़ाने की बात करता है, वहीं दूसरी तरफ फायर ब्रिगेड से कर्मचारियों को हटाने की योजना बना रहा है।
अब देखना यह होगा कि क्या नगर निगम अपने इस निर्णय पर पुनर्विचार करता है या फिर यह मामला और अधिक तूल पकड़ेगा।
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