नगर निगम पंचकूला ने पेड़ों की कटाई व रखरखाव के लिए दिशा-निर्देश किए जारी : कमिश्नर अपराजिता
सिफारिश से नहीं कटेगा अब हरा भरा पेड़
नगर निगम से बनाई अपनी बागवानी नीति
15 साल से बिना कायदे कानून के चल रहा था बागवानी विंग
रमेश गोयत
पंचकूला, 01 अप्रैल। शहर में हरियाली बनाए रखने और वृक्ष प्रबंधन को सुव्यवस्थित करने के उद्देश्य से, नगर निगम पंचकूला ने पेड़ों की कटाई, छंटाई, पोलर्डिंग और मृत पेड़ों को हटाने की प्रक्रिया के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। पंचकूला नगर निगम में अब सिफारिश से हरे भरे पेड़ों को कटवा नहीं पाएंगे। नगर निगम ने 15 साल बाद अब बागवानी की नीति बनाई है। मार्च 2010 में नगर निगम पंचकूला बना था जब से लेकर 15 साल तक आज तक निगम के पास पेड़ों की कटाई छटाई के लिए कोई भी नीति नहीं थी। केवल आपसी व सिफारसी कार्य चल रहे थे। नगर निगम कमिश्नर अपराजिता के संज्ञान में मामला आने के बाद कमिश्नर ने इसके लिए ठोस नीति बनाई है। जिसके तहत यह है बागवानी के कार्य होंगे।
नगर निगम कमिश्नर अपराजिता ने कहा कि इस प्रक्रिया को पारदर्शी और समयबद्ध बनाया गया है, जिससे अनावश्यक देरी और अव्यवस्था को रोका जा सके।
15 दिनों में होगा शिकायतों का समाधान
अब नगर निगम पंचकूला के अधिकार क्षेत्र में आने वाले पेड़ों की कटाई या छंटाई से जुड़ी सभी ऑनलाइन व मैनुअल शिकायतों का निपटारा 15 दिनों के भीतर किया जाएगा। यदि कोई अनुरोध उचित नहीं पाया जाता, तो उसे कार्यकारी अभियंता (बागवानी) द्वारा अस्वीकार कर दिया जाएगा। उचित मामलों को पेड़ कटाई समिति (टीएफसी) के पास भेजा जाएगा और वन विभाग से अनिवार्य एनओसी मिलने के बाद नगर निगम आयुक्त के अनुमोदन हेतु प्रस्तुत किया जाएगा।
कमिश्नर अपराजिता का बयान
नगर निगम कमिश्नर अपराजिता ने कहा, "शहर की हरियाली को संरक्षित रखना हमारी प्राथमिकता है, लेकिन साथ ही नागरिकों की सुरक्षा और सुविधा का ध्यान रखना भी आवश्यक है। इन दिशा-निर्देशों के माध्यम से हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि पेड़ों की कटाई या छंटाई बिना किसी अनावश्यक बाधा के तय प्रक्रिया के तहत हो।"
उन्होंने आगे कहा कि प्रत्येक कटे हुए पेड़ के बदले कम से कम तीन नए पेड़ लगाने की नीति अपनाई जाएगी। साथ ही, यदि कोई पेड़ सूख जाता है या खतरा पैदा करता है, तो उसे हटाने की कार्रवाई शीघ्रता से की जाएगी।
नए दिशा-निर्देशों की प्रमुख बातें:
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पेड़ों की कटाई, छंटाई और पोलर्डिंग का कार्य नगर निगम की देखरेख में होगा।
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हर कटे हुए पेड़ के बदले कम से कम तीन नए पेड़ लगाए जाएंगे।
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पेड़ कटाई समिति (टीएफसी) विवादित मामलों पर निर्णय लेगी, खासकर यदि कोई पेड़ सीमावर्ती क्षेत्र में स्थित हो।
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नागरिकों से संबंधित साइट की आवश्यकता के आधार पर शुल्क लिया जाएगा।
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वन क्षेत्रों में कटाई संबंधी मामलों में वन अधिनियमों का पूर्ण रूप से पालन किया जाएगा।
नगर निगम पंचकूला का यह कदम पर्यावरण संरक्षण को बनाए रखते हुए शहर में पेड़ प्रबंधन को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
न्यूज़ बॉक्स
पंचकूला नगर निगम की 15 साल की अनदेखी: ग्रीनरी को लेकर नही थी कोई नीति
15 साल बाद पेड़ों की कटाई व रखरखाव के लिए दिशा-निर्देश जारी
पंचकूला, 17 मार्च: 2010 में पंचकूला को नगर परिषद से नगर निगम का दर्जा मिला था। बीते 15 वर्षों में नगर निगम के कई कमिश्नर और मेयर आए और गए, लेकिन अब तक शहर की हरियाली को लेकर कोई ठोस नीति नहीं बनाई गई थी।
पेड़ों की कटाई पर कोई नीति नहीं थी
आज तक नगर निगम ने पेड़ों की कटाई, छंटाई, पोल्डिंग और हटाने को लेकर कोई नीति नहीं बनाई थी। स्थानीय निवासी आरोप लगाते हैं कि राजनेताओं और उच्च अधिकारियों के प्रभाव में आकर ही पेड़ों को काटने की अनुमति दी जाती रही है।
रिकॉर्ड न होने से पारदर्शिता पर सवाल पिछले 15 वर्षों में नगर निगम ने कितने पेड़ काटे, इसका कोई रिकॉर्ड मौजूद नहीं है। साथ ही, काटे गए पेड़ों की लकड़ी किसे बेची गई, किस रेट पर बेची गई और इसकी नीलामी किस तरह हुई, इस पर भी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है।
सिफारिशी लोगों को ही लाभ शहर के आम नागरिक सूखे और खतरनाक पेड़ों को हटवाने के लिए निगम के चक्कर काटते रहे, लेकिन सिफारिशी लोग मिलीभगत से पेड़ों की कटाई करवाते रहे।
सेक्टर-11 में पेड़ काटने का मामला हाल ही में सेक्टर-11 में एक मकान मालिक ने अपने घर के सामने खड़े हरे-भरे आम के पेड़ को कटवा दिया। उसने 11 मार्च 2025 को बागवानी विभाग के एक्सईएन को पत्र लिखा, जिसके बाद 20 मार्च को नगर निगम के कर्मचारी और मशीनरी पहुंची और पेड़ को जड़ से काट दिया।
मीडिया और स्थानीय लोगों का हंगामा जब इस घटना की जानकारी मीडिया और स्थानीय निवासियों को मिली, तो मामला तूल पकड़ गया। इसकी शिकायत नगर निगम कमिश्नर और मेयर तक पहुंची। दबाव बढ़ता देख, निगम अधिकारियों ने 20 मार्च को ही मकान मालिक की 5,000 रुपये की रसीद काट दी थी।
नगर निगम कमिश्नर की सख्ती मामले के बढ़ने पर नगर निगम कमिश्नर ने अधिकारियों को फटकार लगाई। इसके बाद यह खुलासा हुआ कि पिछले 15 वर्षों से नगर निगम के पास पेड़ों की कटाई, छंटाई और हटाने को लेकर कोई नीति ही नहीं थी।
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