चंडीगढ़ में प्रॉपर्टी टैक्स बढ़ोतरी पर मचा सियासी घमासान, आम आदमी पार्टी पहुंची हाईकोर्ट, कांग्रेस-बीजेपी आमने-सामने
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 21 अप्रैल — शहर में प्रॉपर्टी टैक्स में की गई बढ़ोतरी को लेकर सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है। आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और भाजपा तीनों ही प्रमुख राजनीतिक दल इस मुद्दे को लेकर आमने-सामने हैं। जनता के बढ़ते गुस्से और विरोध को देखते हुए अब यह मामला हाईकोर्ट की चौखट तक पहुंच चुका है।
आप नेता पहुंचे कोर्ट
सोमवार को आम आदमी पार्टी चंडीगढ़ के अध्यक्ष विजयपाल सिंह ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की। याचिका में चंडीगढ़ प्रशासन को पार्टी बनाते हुए प्रॉपर्टी टैक्स में की गई बढ़ोतरी को जनहित के खिलाफ बताया गया है। विजयपाल ने कहा कि इस फैसले से मध्यम वर्ग और निम्न आय वर्ग के लोगों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ रहा है।
कांग्रेस का विरोध प्रदर्शन जारी
इससे पहले कांग्रेस कई बार इस बढ़ोतरी के खिलाफ सड़कों पर उतर चुकी है। पार्टी के नेताओं ने जगह-जगह प्रदर्शन कर प्रशासन से टैक्स वापसी की मांग की है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि महंगाई के इस दौर में सरकार को जनता से राहत देने की बजाय नए-नए टैक्स थोपना जनविरोधी कदम है।
बीजेपी ने गवर्नर से की मुलाकात
वहीं, भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने पंजाब के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया से मुलाकात की और इस मुद्दे को जल्द सुलझाने की मांग रखी। भाजपा नेताओं का कहना है कि प्रशासन को चाहिए कि वह जनता की परेशानियों को समझे और इस टैक्स में राहत देने पर विचार करे।
मेयर का बयान: खर्च कम करें, जनता पर बोझ न डालें
चंडीगढ़ की मेयर हरप्रीत कौर बबला ने भी इस मुद्दे पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा, "नगर प्रशासन को अपने खर्चों में कटौती करनी चाहिए न कि उसकी भरपाई जनता से की जाए। लोगों पर पहले से ही आर्थिक दबाव है, ऐसे में प्रॉपर्टी टैक्स में बढ़ोतरी उचित नहीं है।"
जनता परेशान, समाधान का इंतजार
प्रॉपर्टी टैक्स बढ़ोतरी से सबसे अधिक असर मकान मालिकों, दुकानदारों और छोटे व्यापारियों पर पड़ा है। कई लोगों का कहना है कि उन्हें पहले ही बिजली-पानी के बढ़ते बिल, स्कूलों की फीस और ईंधन की कीमतों ने परेशान कर रखा है, अब इस नए टैक्स ने उनकी कमर तोड़ दी है।
इस पूरे मामले पर हाईकोर्ट की सुनवाई और निर्णय का पूरे शहर को इंतजार है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन जनता की आवाज सुनेगा या कानूनी प्रक्रिया ही इस विवाद का रास्ता निकालेगी।
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