कनाडा के वैंकूवर में खालिस्तानी उपद्रवियों का शर्मनाक कृत्य, गुरुद्वारे में की तोड़फोड़ और दीवारों पर 'खालिस्तान जिंदाबाद' लिखे
रॉस स्ट्रीट गुरुद्वारे की पवित्रता भंग, प्रशासन ने जताई कड़ी आपत्ति | वैंकूवर पुलिस कर रही जांच
बाबूशाही ब्यूरो
वैंकूवर, कनाडा | 21 अप्रैल 2025
कनाडा में भारत विरोधी खालिस्तानी तत्वों की गतिविधियां एक बार फिर सतह पर आ गई हैं। ताज़ा मामला वैंकूवर के ऐतिहासिक रॉस स्ट्रीट गुरुद्वारे से सामने आया है, जहां अज्ञात खालिस्तानी उपद्रवियों ने तोड़फोड़ की और दीवारों पर भड़काऊ नारे – "खालिस्तान जिंदाबाद" – लिख दिए।
यह गुरुद्वारा खालसा दीवान सोसाइटी (KDS) द्वारा संचालित किया जाता है और इसे वैंकूवर का सबसे पुराना सिख धार्मिक स्थल माना जाता है। संस्था की ओर से जारी एक आधिकारिक बयान में इस कृत्य की कड़ी निंदा की गई है और इसे समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला बताया गया है।
गुरुद्वारा प्रशासन ने जताया रोष
KDS ने अपने बयान में कहा:
"खालिस्तान की वकालत करने वाले सिख अलगाववादियों के एक छोटे समूह ने 'खालिस्तान जिंदाबाद' जैसे विभाजनकारी नारों के साथ हमारी पवित्र दीवारों को खराब कर दिया। यह हर सिख की आस्था और हमारे ऐतिहासिक विरसे पर सीधा हमला है।"
गुरुद्वारा प्रबंधन द्वारा साझा की गई तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है कि गुरुद्वारे की पार्किंग और बाहरी दीवारों पर स्प्रे-पेंट से 'खालिस्तान' जैसे नारे लिखे गए हैं। यह घटना ऐसे समय पर हुई जब सरे (Surrey) में विश्व की सबसे बड़ी बैसाखी परेड का आयोजन किया गया था, जिसमें खालसा दीवान सोसाइटी ने खालिस्तानी तत्वों को शामिल होने से रोका था।
वैंकूवर पुलिस कर रही जांच
स्थानीय मीडिया वैंकूवर सन के मुताबिक, वैंकूवर पुलिस विभाग ने घटना की जांच शुरू कर दी है और मौके से सबूत जुटाए जा रहे हैं। अधिकारियों ने बताया कि सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं ताकि दोषियों की पहचान की जा सके।
भारत-कनाडा संबंधों पर और असर
यह घटना ऐसे समय में सामने आई है जब भारत और कनाडा के रिश्ते पहले से ही खालिस्तान समर्थक गतिविधियों को लेकर तनावपूर्ण हैं। भारत पहले भी कनाडा सरकार से खालिस्तानी तत्वों पर लगाम लगाने की मांग कर चुका है। इस तरह की घटनाएं न सिर्फ धार्मिक स्थलों की पवित्रता को आघात पहुंचाती हैं बल्कि कनाडा में बसे शांतिप्रिय भारतीय समुदाय को भी असहज करती हैं।
इतिहास से जुड़ा गुरुद्वारा
रॉस स्ट्रीट स्थित यह गुरुद्वारा वर्ष 1906 में स्थापित हुआ था और यह वैंकूवर के सबसे पुराने सिख धार्मिक स्थलों में से एक है। यह स्थल न सिर्फ धार्मिक बल्कि सामाजिक गतिविधियों का भी एक महत्वपूर्ण केंद्र है, जहां हज़ारों श्रद्धालु प्रतिदिन दर्शन के लिए आते हैं।
सांप्रदायिक सौहार्द्र पर हमला
खालसा दीवान सोसाइटी ने अपने बयान में जोर देकर कहा कि वे किसी भी प्रकार की कट्टरपंथी सोच या अलगाववाद का समर्थन नहीं करते। संस्था ने समुदाय से शांति बनाए रखने की अपील की है और प्रशासन से दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
अब आगे क्या?
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वैंकूवर पुलिस से उम्मीद की जा रही है कि वह जल्द से जल्द दोषियों की पहचान करेगी।
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भारतीय उच्चायोग द्वारा भी इस मामले में आधिकारिक प्रतिक्रिया आने की संभावना है।
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सिख समुदाय के कई संगठनों ने सोशल मीडिया पर इस घटना की निंदा की है और धर्मस्थलों को राजनीति से दूर रखने की मांग की है।
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