पलवल पुलिस हिरासत में अमानवीयता का मामला: आरोपी के साथ बर्बरता करने वाले तत्कालीन थाना प्रभारी राधेश्याम गिरफ्तार
बाबूशाही ब्यूरो
पलवल, 20 अप्रैल:
हरियाणा के पलवल जिले में पुलिस हिरासत में एक आरोपी के साथ अमानवीय व्यवहार करने के मामले में तत्कालीन शहर थाना प्रभारी इंस्पेक्टर राधेश्याम को गिरफ्तार कर लिया गया है। यह मामला दिसंबर 2024 का है, जब एक साइबर ठगी के आरोपी ने थाना प्रभारी पर गंभीर शारीरिक उत्पीड़न के आरोप लगाए थे। मामले की जांच में आरोप सही पाए जाने के बाद, आईजी रेवाड़ी रेंज ने 16 अप्रैल को राधेश्याम को निलंबित कर दिया था। अब चार दिन बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है।
मिर्च का घोल पिलाया और इंजेक्शन से दिया गया: आरोपी की आपबीती
राजस्थान निवासी एक व्यक्ति ने पलवल एसपी चंद्रमोहन को लिखित शिकायत दी थी कि उसे थाना में पूछताछ के दौरान क्रूरता की हद पार कर दी गई। शिकायतकर्ता के अनुसार, इंस्पेक्टर राधेश्याम ने उसके हाथ-पैर बांधकर न केवल मारपीट की, बल्कि हरी मिर्च का घोल जबरन पिलाया गया और यही घोल इंजेक्शन में भरकर उसके प्राइवेट पार्ट में डाला गया।
सीसीटीवी फुटेज में पुष्टि, तत्काल निलंबन
एसपी चंद्रमोहन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए सीसीटीवी फुटेज और मेडिकल रिपोर्ट की जांच करवाई। जांच में आरोप सही पाए गए। इसके बाद 16 अप्रैल को ही आईजी रेवाड़ी रेंज ने राधेश्याम को निलंबित कर दिया। अब, पीड़ित की शिकायत पर केस दर्ज कर 19 अप्रैल की रात को राधेश्याम की गिरफ्तारी की गई।
सिर्फ एक नहीं, अन्य आरोपियों से भी की गई थी मारपीट
डीएसपी होडल कुलदीप सिंह के मुताबिक, राधेश्याम पर पहले से ही एक अन्य मामले की भी विभागीय जांच चल रही थी। साइबर ठगी में पकड़े गए तीन अन्य आरोपियों के साथ भी उन्होंने मारपीट की थी।
एसपी का सख्त संदेश: पद का दुरुपयोग बर्दाश्त नहीं
एसपी चंद्रमोहन ने कहा, “कानून सभी के लिए समान है। किसी भी पुलिस अधिकारी को यह अधिकार नहीं है कि वह पद का दुरुपयोग कर आरोपी के साथ क्रूरता करे। हम निष्पक्षता से काम कर रहे हैं और किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।” उन्होंने यह भी बताया कि राधेश्याम को जल्द ही कोर्ट में पेश किया जाएगा।
ठगी के मामले से खुली परतें
पूरा मामला तब सामने आया जब हुडा सेक्टर-2 के निवासी सौरभ ने शिकायत दी कि उसके लकवे के मरीज पिता को एक व्यक्ति ने इलाज के नाम पर ठग लिया। चार दिसंबर को दो व्यक्ति उनके घर आए और इलाज के बहाने 12 हजार रुपए वसूल कर भागने लगे। सौरभ ने एक आरोपी को पकड़ लिया और उसे पुलिस को सौंप दिया।
उस आरोपी को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई, जिसके दौरान उसने ही पुलिस उत्पीड़न की पूरी घटना एसपी को बताई। पीड़ित की गंभीर हालत और उसके बयान ने मामले को नया मोड़ दे दिया।
चार महीने बाद दर्ज हुआ केस, आरोपी अब हिरासत में
चार महीने की जांच और सबूतों के आधार पर आखिरकार शहर थाना पुलिस ने पीड़ित की शिकायत पर 19 अप्रैल को केस दर्ज किया और तत्कालीन थाना प्रभारी राधेश्याम को गिरफ्तार कर लिया।
यह मामला न केवल पुलिस विभाग की जवाबदेही पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कानून का गलत इस्तेमाल करने वाले किसी भी पद पर हों, अब कार्रवाई से नहीं बच सकते।
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