राजीव गांधी राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, पंजाब में 13वीं राष्ट्रीय मूट कोर्ट प्रतियोगिता का सफल आयोजन
निरमा यूनिवर्सिटी विजेता, जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल उपविजेता घोषित
बाबूशाही ब्यूरो
पटियाला, 20 अप्रैल 2025:
राजीव गांधी राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (आरजीएनयूएल), पंजाब ने 19 और 20 अप्रैल को 13वीं राष्ट्रीय मूट कोर्ट प्रतियोगिता का भव्य और सफल आयोजन किया। इस दो दिवसीय प्रतियोगिता में देश के विभिन्न प्रतिष्ठित विधि संस्थानों से 22 टीमों ने भाग लिया, जिनमें एनएलएसआईयू बेंगलुरु, एनएलयू दिल्ली, एनएलयू जोधपुर, एनएलयू ओडिशा, और जेजीएलएस सोनीपत जैसे संस्थान प्रमुख रहे।
प्रतियोगिता में हुआ कानूनी ज्ञान और वादकौशल का जोरदार प्रदर्शन
19 अप्रैल को आयोजित सेमीफाइनल में चार प्रमुख संस्थान –
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नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी, बेंगलुरु
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नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, जोधपुर
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जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल, सोनीपत
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इंस्टीट्यूट ऑफ लॉ, निरमा यूनिवर्सिटी –
ने अपने कानूनी तर्कों से निर्णायकों को प्रभावित किया।
20 अप्रैल को हुए फाइनल मुकाबले में निरमा यूनिवर्सिटी और जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल के बीच कड़ा मुकाबला हुआ, जिसमें निरमा यूनिवर्सिटी की टीम ने विजेता का खिताब जीता, जबकि सोनीपत की टीम उपविजेता रही।
प्रतिभाओं को मिले विशेष पुरस्कार
प्रसिद्ध न्यायविदों और शिक्षाविदों ने की अध्यक्षता
समापन समारोह की अध्यक्षता डॉ. मंदीप मित्तल (अतिरिक्त जिला न्यायाधीश, चंडीगढ़) ने की, साथ में प्रो. (डॉ.) अनु मेहरा (दिल्ली विश्वविद्यालय) और वरिष्ठ अधिवक्ता अमरजीत खुराना (पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट) विशिष्ट अतिथि रहे।
डॉ. मित्तल ने मूट कोर्ट की अहमियत और संवैधानिक सुधारों के प्रति जागरूकता की जरूरत पर जोर दिया। प्रो. मेहरा ने प्रतिभागियों को प्रेरित करते हुए कहा कि ऐसी प्रतियोगिताएं भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयारी की मजबूत नींव हैं। अधिवक्ता अमरजीत खुराना ने एक विधि छात्र के रूप में अपने अनुभव साझा करते हुए विवाद-निपटान कला के महत्व को रेखांकित किया।
कुलपति और आयोजकों ने दी शुभकामनाएं
कुलपति प्रो. (डॉ.) जय एस सिंह ने सभी प्रतिभागियों को बधाई दी और उन्हें अपने वकालती कौशल को निरंतर निखारते रहने के लिए प्रेरित किया। कार्यवाहक रजिस्ट्रार डॉ. इवनीत वालिया ने छात्रों की ऊर्जा और समर्पण की सराहना की।
इस आयोजन को सफल बनाने में मूट कोर्ट समिति, संकाय समन्वयक डॉ. जसविंदर कौर, और उनके साथ जुड़े सभी संकाय सदस्यों और छात्रों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही।
प्रतिभा, तर्क, और पेशेवर कौशल का यह आयोजन भारतीय विधि शिक्षा में एक मील का पत्थर साबित हुआ।
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