चंडीगढ़ यूटी में "Kaushal Rozgar Nigam" बनाने से हर साल ₹183 करोड़ की बचत संभव!
ठेकेदारी प्रथा पर लगेगा ब्रेक
रमेश गोयत
चंडीगढ़,06 अप्रैल – अगर चंडीगढ़ प्रशासन हरियाणा की तर्ज पर एक Kaushal Rozgar Nigam Chandigarh (KRNC) नामक संगठन का गठन करता है, तो न केवल सरकारी विभागों में पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि हर साल लगभग ₹183 करोड़ की बचत भी की जा सकती है। मौजूदा समय में चंडीगढ़ नगर निगम (MCC) और प्रशासन में करीब 18,000 कर्मचारी कार्यरत हैं, जिनमें से बड़ी संख्या में लोग ठेके पर हैं।
कितनी होती है मौजूदा लागत?
कुल कर्मचारी (MCC + प्रशासन): 18,000
औसतन मासिक वेतन प्रति कर्मचारी: ₹22,000
मासिक वेतन व्यय: ₹396 करोड़
मासिक ठेकेदार कमीशन (3.85%): ₹15.25 करोड़
वार्षिक ठेकेदार कमीशन: ₹183 करोड़
यह राशि निजी ठेकेदारों को बतौर कमीशन दी जाती है, जो कर्मचारियों की भर्ती और प्रबंधन करते हैं। यह प्रणाली न केवल वित्तीय रूप से महंगी है, बल्कि कर्मचारियों की सुरक्षा और अधिकारों को भी प्रभावित करती है।
क्या है KRNC मॉडल का सुझाव?
1. Kaushal Rozgar Nigam Chandigarh (KRNC) का गठन
हरियाणा सरकार द्वारा स्थापित Haryana Kaushal Rozgar Nigam की तरह चंडीगढ़ भी एक स्वतंत्र सरकारी निकाय बना सकता है जो संविदा और आउटसोर्स कर्मचारियों की नियुक्ति और वेतन भुगतान को सीधे नियंत्रित करे।
2. सीधा वेतन भुगतान और कर्मचारी लाभ
KRNC मॉडल में वेतन सीधे कर्मचारियों के बैंक खाते में जाएगा, जिसमें PF, ESI, और अन्य सुरक्षा लाभ शामिल होंगे। इससे वेतन में देरी और ठेकेदार द्वारा कटौती जैसी समस्याएं खत्म होंगी।
3. वित्तीय स्थिरता और भविष्य की सुरक्षा
कर्मचारियों को न केवल समय पर वेतन मिलेगा बल्कि भविष्य के लिए ग्रेच्युटी, पेंशन और अन्य लाभ भी सुनिश्चित किए जा सकेंगे। सरकार के लिए यह एक निवेश होगा, न कि खर्च।
4. संविदा प्रणाली पर नियंत्रण
चंडीगढ़ में संविदा कर्मचारियों की संख्या बढ़ रही है, जिससे लागत और प्रबंधन दोनों पर बोझ है। KRNC के माध्यम से सीधी भर्ती और कौशल आधारित चयन से गुणवत्ता बेहतर होगी और शोषण रुकेगा।
5. पारदर्शिता और जवाबदेही
KRNC के माध्यम से निजी ठेकेदारों की भूमिका समाप्त होगी, जिससे भ्रष्टाचार, वेतन में कटौती और फंड मिसमैनेजमेंट जैसी समस्याओं से छुटकारा मिलेगा।
चंडीगढ़ प्रशासन को जल्द ही Kaushal Rozgar Nigam Chandigarh की स्थापना पर विचार करना चाहिए। इससे न केवल सरकार को ₹183 करोड़ सालाना की बचत होगी, बल्कि हज़ारों कर्मचारियों को स्थायित्व, पारदर्शिता और सुरक्षा मिलेगी। यह एक ऐसा कदम होगा जो प्रशासनिक दक्षता और सामाजिक न्याय दोनों को सशक्त करेगा।
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