मालिक से डर कर रहें, सिमरण जरूर करें – संत बिरेंद्र सिंह"
"इस दुनिया से साथ जाएगा सिर्फ सिमरण, धन-दौलत नहीं"
बाबूशाही ब्यूरो
कालांवाली, 06 अप्रैल।
मस्ताना शाह बलोचिस्तानी आश्रम, डेरा जगमालवाली में आयोजित मस्तानी मौज जी के जन्मदिन के उपलक्ष्य में रूहानी सत्संग का आयोजन किया गया, जिसमें संत बिरेंद्र सिंह ने श्रद्धालुओं को जीवन के सत्य और सिमरण की महत्ता का संदेश दिया।
संत बिरेंद्र सिंह ने अपने प्रवचनों में कहा कि "इस दुनिया में जो जैसा कर्म करेगा, उसे वैसा ही फल मिलेगा।" उन्होंने जोर देकर कहा कि इंसान को मालिक की बेपरवाही से डरकर जीवन जीना चाहिए क्योंकि किसी भी क्षण कुछ भी हो सकता है।
संत ने कहा कि ईश्वर ने हमें स्वासों रूपी पूंजी दी है, ताकि हम उसका उपयोग राम नाम के सिमरण में करें। जब जीवन का अंत आएगा, तो यही पूंजी गिनी जाएगी – न कि धन-दौलत या झूठी शान।
उन्होंने बताया कि इंसान इस दुनिया में अकेला आया था और अकेला ही जाएगा। न परिवार, न रिश्तेदार और न ही यह शरीर अंत समय में साथ देंगे। केवल सिमरण और सतगुरु का सान्निध्य ही सच्चे साथी हैं।
प्रवचनों में संत ने "मन" को मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन बताया। उन्होंने कहा कि, “हम सब बादशाह के बेटे हैं लेकिन मन ने हमें कंगाल बना दिया है। घर में खजाना दबा है और संतों ने उसकी चाबी दी है, लेकिन मन वह चाबी ताले में लगाने नहीं देता।”
संत बिरेंद्र सिंह ने श्रद्धालुओं से आह्वान किया कि वे घर-परिवार के कार्यों के साथ-साथ नियमित सिमरण करें, क्योंकि आख़िरकार साथ जाने वाला सिर्फ राम का नाम ही है।
सत्संग में क्षेत्रभर से श्रद्धालु उपस्थित हुए और सतगुरु के वचनों का अमृतपान कर आत्मिक शांति का अनुभव किया।
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