सरकारी स्कूलों पर ध्यान देने के बजाए प्राइवेट स्कूलों को प्रोत्साहित कर रही है सरकार:कुमारी सैलजा
कहा-प्राइवेट स्कूल संचालकों के हाथों में शिक्षा जाने से गरीब वर्ग के बच्चे शिक्षा से हो जाएंगे वंचित
बाबूशाही ब्यूरो
चंडीगढ़, 06 मार्च। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार शिक्षा का बेडागर्क करने पर तुली हुई है। भाजपा सरकारी सरकारी स्कूलों की ओर ध्यान देने के बजाए प्राइवेट स्कूलों को प्रोत्साहित कर रही है। प्राइवेट स्कूलों के हाथों में शिक्षा जाने से गरीब वर्ग के बच्चे शिक्षा से वंचित हो जाएंगे जबकि शिक्षा हर नागरिक का मौलिक अधिकार है और सरकार इससे किसी को भी वंचित नहीं कर सकती। चिराग योजना के नाम पर बच्चों को प्राइवेट स्कूलों के हवाले करने से बेहतर होगा कि उन बच्चों को वहीं वातावरण सरकारी स्कूलों में ही उपलब्ध करवाया जाए।
मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा है कि प्रदेश में सरकारी स्कूलों की संख्या 14303 जबकि प्राइवेट स्कूलों की संख्या 9216 है यानि प्रदेश में 60. 82 प्रतिशत स्कूल सरकारी है जबकि 39.18 प्रतिशत स्कूल प्राइवेट है। सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या 2146888 है जबकि प्राइवेट स्कूलों में यह संख्या 3153075 है यानि 40.51 प्रतिशत बच्चे सरकारी स्कूलों में और 59.49 प्रतिशत बच्चे प्राइवेट स्कूलों में पढ़ते है। सरकारी स्कूलों की संख्या अधिक होने के बावजूद सबसे ज्यादा बच्चे प्राइवेट स्कूलों में पढ़ते है यानि अभिभावक मानते है कि उनके बच्चों को सरकारी स्कूलों में बेहतर शिक्षा नहीं मिल सकती अगर सरकार ने शिक्षा की गुणवत्ता की ओर ध्यान दिया होता तो बच्चे प्राइवेट स्कूलों की ओर रूख न करते। सरकार खुद मानती है कि अंबाला, सिरसा, फतेहाबाद और नूंह जिलों में शिक्षा को लेकर विशेष फोकस की जरूरत है, सरकार मानती है पर उस दिशा में कोई काम नहीं करती। नूंह पर तो सबसे अधिक ध्यान दिए जाने की जरूरत है।
सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि गरीब बच्चों के लिए सरकार ने पहले भी एक योजना शुरू की थी पर वह भी सिरे नहीं चढ़ सकी। प्राइवेट स्कूल संचालकों न सरकार की एक न मानी और दाखिले को लेकर मनमानी करते रहे और सरकार हाथ पर हाथ रखकर बैठी रही। हरियाणा सरकार ने गरीब परिवार के बच्चों के लिए एक नई योजना को शुरू किया है जिसका नाम हरियाणा चिराग योजना है। यह योजना उन बच्चों के लिए शुरू की गई है जो प्राइवेट स्कूल में पढ़ना चाहते हैं, लेकिन आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण वह प्राइवेट स्कूल की फीस भरने में असमर्थ हैं। सरकार की यह योजना सीधे तौर पर प्राइवेट स्कूलों को बढा़वा दे रही है और उन्हें प्रोत्साहित कर रही है। सरकार जो धनराशि चिराग योजना पर खर्च करना चाहती है उसी राशि से सरकारी स्कूलों की व्यवस्था को सुधार सकती है, अगर सरकारी स्कूलों में अच्छी शिक्षा मिलेगी तो बच्चे प्राइवेट स्कूलों की ओर क्यों रूख करेंगे पर ऐसा लग रहा है कि सरकार एक साजिश के तहत सरकारी स्कूलों को धीरे धीरे खत्म कर शिक्षा प्राइवेट स्कूल और कालेजों को ही सौंपना चाहती है। अगर ऐसा हुआ तो प्राइवेट स्कूलों की मनमानी बढेगी और शिक्षा के नाम पर तरह तरह के शुल्क वसूले जाएंगे ऐसे में गरीब का बच्चा उच्च शिक्षा तो दूर माध्यमिक शिक्षा के भी सपने नहीं देख सकता।
कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा सरकार को सरकारी स्कूलों के प्रति जनता में विश्वास जागृत करना चाहिए ताकि अधिक से अधिक बच्चे सरकारी स्कूलों में शिक्षा ग्रहण करने आएं। सरकार का प्रत्येक बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए। सरकार को सबसे पहले स्कूलों के भवनों की ओर ध्यान देना चाहिए और सुनिश्चित किया जाए कि निर्माण पूरा होने तक अन्य वैकल्पिक भवनों में जारी कक्षाओं में छात्रों को किसी भी प्रकार की समस्या न आए। हर स्कूल और कॉलेजों में चारदीवारी, पानी व शौचालय की व्यवस्था भी होनी चाहिए।
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