हरियाणा विधानसभा सचिवालय को सुप्रीम कोर्ट के फैसले की जानकारी नहीं?
शोक प्रस्ताव सूची में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के नाम के साथ ‘पद्म विभूषण’ का उल्लेख
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 7 मार्च:
हरियाणा विधानसभा सचिवालय की लापरवाही सामने आई है। आज से शुरू हो रहे बजट सत्र की पहली कार्यसूची में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के नाम के आगे 'पद्म विभूषण' लिख दिया गया, जो कि सुप्रीम कोर्ट के संवैधानिक बेंच के 1995 के फैसले का उल्लंघन है।
एडवोकेट हेमंत कुमार ने उठाए सवाल
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने इस गलती की ओर ध्यान दिलाते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के बालाजी राघवन बनाम यूनियन ऑफ इंडिया (1995) केस में यह स्पष्ट किया गया था कि राष्ट्रीय पुरस्कार (भारत रत्न, पद्म विभूषण, पद्म भूषण, पद्मश्री) को किसी भी व्यक्ति के नाम के आगे या पीछे नहीं लिखा जा सकता। यह ‘टाइटल’ के रूप में इस्तेमाल नहीं किए जा सकते, क्योंकि यह संविधान के अनुच्छेद 18(1) का उल्लंघन होगा।
उन्होंने कहा, "यह गंभीर मामला है। क्या हरियाणा विधानसभा सचिवालय को सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले की जानकारी नहीं है? या फिर यह महज प्रशासनिक लापरवाही है?"
लोकसभा की कार्यसूची में नहीं था उल्लेख
हेमंत कुमार ने एक महत्वपूर्ण तथ्य की ओर इशारा किया कि संसद के मौजूदा बजट सत्र (31 जनवरी 2025) में लोकसभा की शोक प्रस्ताव सूची में डॉ. मनमोहन सिंह के नाम के साथ ‘पद्म विभूषण’ नहीं लिखा गया था। यह दर्शाता है कि लोकसभा ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का पालन किया, लेकिन हरियाणा विधानसभा ने इस पर ध्यान नहीं दिया।
पहले भी हुआ है ऐसा मामला
हेमंत कुमार ने याद दिलाया कि वर्ष 2007 में दिल्ली सरकार ने एक अधिनियम पारित कर ‘भारत रत्न डॉ. बी.आर. अंबेडकर विश्वविद्यालय’ नाम रखा था, लेकिन 2016 में अरविंद केजरीवाल सरकार ने इसे संशोधित कर ‘भारत रत्न’ शब्द हटा दिया था।
यह मामला विधानसभा सचिवालय के लिए गंभीर प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करता है। अब यह देखना होगा कि विधानसभा प्रशासन अपनी गलती सुधारता है या नहीं। यदि इस गलती को अनदेखा किया गया, तो यह भविष्य में एक संवैधानिक उल्लंघन की मिसाल बन सकता है।
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