सेप्सिस: नवजात शिशुओं के लिए घातक संकट
जीवनरक्षक उपचारों पर पीजीआई में विशेषज्ञ करेंगे मंथन
बाबूशाही ब्यूरो
चंडीगढ़, 07 मार्च। नवजात शिशुओं में होने वाले गंभीर संक्रमण नीओनेटल सेप्सिस के उपचार और रोकथाम पर मंथन के लिए पीजीआई चंडीगढ़ में दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन हो रहा है। इस कार्यशाला में देशभर के विशेषज्ञ एक मंच पर आकर इस घातक संक्रमण से निपटने की नवीनतम तकनीकों और रणनीतियों पर चर्चा करेंगे।
नीओनेटल सेप्सिस नवजातों में होने वाली सबसे खतरनाक बीमारियों में से एक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दुनियाभर में हर साल लाखों नवजात शिशु इस संक्रमण की चपेट में आते हैं, जिनमें से बड़ी संख्या में मृत्यु हो जाती है। भारत में सेप्सिस के 50-80% मामलों में बैक्टीरिया एंटीबायोटिक्स के प्रति प्रतिरोधी पाए जाते हैं, जिससे इसका इलाज चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली और असुरक्षित चिकित्सकीय प्रक्रियाएं संक्रमण के मुख्य कारणों में शामिल हैं। समय से पहले जन्मे शिशु, कम वजन वाले नवजात और आईसीयू में भर्ती बच्चों में यह खतरा अधिक रहता है।
क्या होगा खास?
पीजीआई के एडवांस्ड पेडियाट्रिक सेंटर में आयोजित इस कार्यशाला का उद्घाटन संस्थान के निदेशक प्रो. विवेक लाल करेंगे। आयोजन समिति का नेतृत्व प्रो. प्रवीण कुमार कर रहे हैं, जबकि प्रमुख विशेषज्ञों में प्रो. रमेश अग्रवाल, डॉ. एम. जीवा शंकर (दिल्ली), डॉ. नंदकिशोर काबरा (मुंबई), प्रो. अश्विनी सूद (मुलाना), प्रो. सुखशम जैन और डॉ. सुप्रीत खुराना (चंडीगढ़) शामिल हैं।
इन बिंदुओं पर होगी चर्चा
पहला दिन : नवजात सेप्सिस की शुरुआती पहचान और निदान
एंटीबायोटिक थेरेपी और संक्रमण रोकने की रणनीतियां
एसेप्टिक नॉन-टच तकनीक पर मिनी-वर्कशॉप
दूसरा दिन : सेप्सिस के विभिन्न प्रकार और विशेष अंगों में संक्रमण, फंगल सेप्सिस और एंटीबायोटिक प्रतिरोध का समाधान, वास्तविक मामलों पर विशेषज्ञों के साथ केस स्टडी
अपने शहर की खबरें Whatsapp पर पढ़ने के लिए Click Here →
Click to Follow हिन्दी बाबूशाही फेसबुक पेज →