हरियाणा सीड्स व पैस्टीसाइड्स एक्ट-2025 को दृढ़ता से लागू करे सरकार : रतनमान
रमेश गोयत
चंडीगढ़ 9 अप्रैल। भारतीय किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष रतनमान ने प्रदेश के व्यापारियों द्वारा हरियाणा सीड्स व पैस्टीसाइड्स एक्ट-2025 का विरोध किए जाने को अनैतिक और गैर कानूनी बताते हुए हरियाणा सरकार से इस एक्ट को दृढ़ता से अतिशीघ्र लागू किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि भारतीय किसान यूनियन इसके लिए सरकार के साथ है। इस बात का प्रमाण भी है कि इन व्यापारियों का एक बड़ा वर्ग, वर्षों से नकली बीज और कृषि रसायन (खाद, कीटनाशक आदि) के व्यापार से किसानों को सरेआम लूट रहे हैं जिससे खेती लागत में बेवजह बढौतरी और फसलों की औसत पैदावार में गिरावट दर्ज हो रही है जिसका सीधा नुक्सान किसानों को हो रहा है। अगर ये व्यापारी नकली बीज और कृषि रसायन (खाद, कीटनाशक आदि) का व्यापार नहीं करते हैं, तो फिर सीड्स व पैस्टीसाइड्स एक्ट-2025 का विरोध क्यों कर रहे है? रतनमान के अनुसार इन व्यापारियों का कुतर्क है कि ये कंपनियों के सील बंद पैकेट बीज व कृषि रसायन बेचते हैं इसीलिए इनकी कानूनी जिम्मेवारी नहीं बननी चाहिए। कानून के मुताबिक, अपराध में शामिल सभी लोग समान रूप से जिम्मेदार होते हैं। इसका मतलब है कि सभी प्रतिभागियों को पूरे अपराध के लिए बराबर जिम्मेदार माना जाता है। यह इस बात पर निर्भर नहीं करता कि किसी की भूमिका या भागीदारी का स्तर क्या था। इसलिए किसान और प्रदेश हित में हरियाणा सरकार को इन नकली बीज और कृषि रसायन व्यापारियों के कुतर्क को नजरअंदाज करके हरियाणा सीड्स व पैस्टीसाइड्स एक्ट-2025 को दृढ़ता से लागू करना चाहिए। रतनमान ने कहा कि नक़ली बीज और प्तकीटनाशक से सिर्फ़ फ़सल नहीं मरती बल्कि किसान के सपने, किसान के अरमान मरते हैं और यह लोग कहते हैं कि अगर बीज खऱाब आ गया तो क्या हो जाएगा। नक़ली खाद बीज दवाई बनाने और बेचने वालों के खिलाफ तो सिर्फ़ तीन साल की सजा नहीं बल्कि प्तउम्रकैद की सजा का प्रावधान होना चाहिए और इसके लिए कई दशकों से आवाज उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने अभी तीन साल की सजा का क़ानून बनाया है और उस पर ही अगर यह इतना हो हल्ला मचा रहे हैं तो आप कल्पना कर सकते हो कि यह अंदर से कितने ज़्यादा किसान के विरोधी हैं। जिन्होंने कभी किराए की दुकान में खाद बीज कीटनाशक बेचना शुरू किया था आज वो आर्थिक रूप से 50 एकड़ के किसान से भी ज़्यादा मज़बूत हैं, सिर्फ़ किसान की मेहनत की कमाई के दम पर धन्नासेठ बने यह व्यापारी अगर सरकार पर दबाव बनाकर यह क़ानून वापस करवाने में सफल हो गए तो यह सैकड़ों किसान नेता और यूनियन सिर्फ नारे लगाने के लिए रह जाएंगे।
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