CHD: आउटसोर्स्ड वर्करों की भूख हड़ताल दसवें दिन में दाखिल, 8 अप्रैल को होगा सेक्रेटेरिएट घेराव
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 19 मार्च 2025 – कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ गवर्नमेंट एंड एमसी इम्प्लाइज एंड वर्कर्स, यूटी चंडीगढ़ के बैनर तले विभिन्न विभागों के आउटसोर्स्ड कर्मचारियों की भूख हड़ताल दसवें दिन भी जारी रही। तीन महीने से वेतन न मिलने के विरोध में कर्मचारियों का प्रदर्शन तेज होता जा रहा है।
भूख हड़ताल पर बैठे कर्मचारी
आज भूख हड़ताल पर 17 कर्मचारी बैठे, जिनमें विभिन्न विभागों के प्रतिनिधि शामिल थे—
- नगर निगम (वाटर सप्लाई) – देस पाल, राज कुमार
- बिल्डिंग मेंटेनेंस – ओम वीर
- रॉक गार्डन – राकेश कुमार
- इलेक्ट्रिकल एडमिन – नरेश कुमार, कर्णदीप सिंह, प्रदीप कुमार, मनिंदर सिंह, नवीन कुमार, मुकेश कुमार, मोहित कुमार, इंद्रजीत सिंह (2), मुनिया मुत्थु, सुमित कुमार, गुरप्रीत सिंह
- सीवर विभाग (नगर निगम) – शिवम
वर्करों ने वेतन न मिलने पर जताया आक्रोश
प्रदर्शन स्थल पर कर्मचारियों को संबोधित करते हुए कमेटी के प्रधान सतिंदर सिंह, महासचिव राकेश कुमार, कैशियर किशोरी लाल, यशपाल, वरिंदर बिष्ट और सुखविंदर सिंह ने प्रशासन और लेबर विभाग की उदासीनता पर कड़ा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि बार-बार अनुरोध के बावजूद वेतन का भुगतान नहीं किया जा रहा, जिससे कर्मचारियों के समक्ष आर्थिक संकट खड़ा हो गया है।
उन्होंने आरोप लगाया कि इंजीनियरिंग विभाग, इलेक्ट्रिकल सर्कल, पब्लिक हेल्थ सर्कल, कंस्ट्रक्शन सर्कल, नगर निगम और सीटीयू के आउटसोर्स कर्मचारियों की अनदेखी की जा रही है। प्रशासन और संबंधित विभागों पर श्रम कानूनों को लागू न करने और वेतन भुगतान में देरी करने का भी आरोप लगाया गया।
भविष्य की रणनीति
कमेटी के नेताओं ने कहा कि—
- भूख हड़ताल 28 मार्च तक जारी रहेगी।
- 29 मार्च को वर्करों की कन्वेंशन होगी, जिसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी।
- 8 अप्रैल को चंडीगढ़ सेक्रेटेरिएट का घेराव किया जाएगा, जिससे प्रशासन पर दबाव बनाया जा सके।
उच्च स्तरीय बातचीत की मांग
प्रदर्शनकारियों ने प्रशासन से शीघ्र उच्च स्तरीय बैठक बुलाने और कर्मचारियों की लंबित वेतन भुगतान की मांग पर त्वरित निर्णय लेने की अपील की। कमेटी ने साफ कहा कि यदि जल्द समाधान नहीं हुआ, तो विरोध प्रदर्शन और तेज होगा।
कर्मचारियों की मांगें
- तीन महीने के लंबित वेतन का तुरंत भुगतान
- श्रम कानूनों का सख्ती से पालन
- आउटसोर्स कर्मचारियों के अधिकारों की सुरक्षा
- प्रशासन और कर्मचारी प्रतिनिधियों के बीच वार्ता का रास्ता खोला जाए
अगर प्रशासन ने जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो यह आंदोलन और बड़ा रूप ले सकता है।
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