रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार रुपये में 5 फीसदी की गिरावट से मुद्रास्फीति में 0.50 फीसदी की बढ़ोतरी होती है। उन्होंने आगे कहा, "मई 2014 में डॉलर के मुकाबले रुपया 58.80 रुपये था, जो फरवरी 2025 में गिरकर 86.70 रुपये हो गया है। रुपये के कमजोर होने से पेट्रोल-डीजल महंगे हो गए हैं, जिससे हर चीज की कीमतें बढ़ रही हैं।" उन्होंने कहा कि रुपये को स्थिर करने के लिए आरबीआई ने 77 अरब डॉलर के अपने रिजर्व बेचे हैं, जिससे अक्टूबर 2024 में 701 अरब डॉलर से घटकर जनवरी 2025 में 624 अरब डॉलर रह गया है।
उन्होंने बताया कि भारत अपनी जरूरत का 85 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है, और रुपये के कमजोर होने से ईंधन के दाम बढ़ने का सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ता है। रुपये की घटती वैल्यू से खाद्य मुद्रास्फीति, ऊर्जा मुद्रास्फीति, स्वास्थ्य सेवा मुद्रास्फीति, शिक्षा मुद्रास्फीति और इलेक्ट्रॉनिक्स मुद्रास्फीति जैसी समस्याएं पैदा हो रही हैं, जिनका सीधा असर मिडिल क्लास पर पड़ता है।
इलेक्ट्रॉनिक्स मुद्रास्फीति की बात करते हुए सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि भारत अधिकांश इलेक्ट्रॉनिक्स और उनके कंपोनेंट्स का आयात करता है, जिसका निपटान यूएस डॉलर में किया जाता है। रुपये के अवमूल्यन के साथ स्मार्टफोन, लैपटॉप और अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स की लागत लगातार बढ़ रही है। भारत में निर्मित इलेक्ट्रॉनिक्स भी महंगे हो रहे हैं क्योंकि आयातित घटकों की लागत बढ़ गई है। ऑटोमोबाइल, उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुएं और विमानन क्षेत्र भी डॉलर आधारित व्यय के कारण 5-10 फीसदी मूल्य वृद्धि का सामना कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सैद्धांतिक तौर से कमजोर रुपये से निर्यात बढ़ना चाहिए, लेकिन भारतीय निर्यात में गिरावट आई है। चीन ने अपने युआन का अवमूल्यन कर निर्यात को बढ़ावा दिया है, जबकि भारत में व्यापार घाटा बढ़कर 202.42 बिलियन डॉलर हो गया है। विदेशी निवेशक भी "भारत बेचो, चीन खरीदो" की रणनीति अपना रहे हैं। नवंबर 2024 में 2 बिलियन डॉलर का निवेश भारत से निकाला गया है।
उन्होंने कहा, 2013 में एक प्रमुख भाजपा नेता और सांसद ने कहा था, "जब यूपीए सत्ता में आया था, तब डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये की कीमत राहुल गांधी की उम्र के बराबर थी। आज यह सोनिया गांधी की उम्र के बराबर है और बहुत जल्द यह मनमोहन सिंह की उम्र को छू लेगा। यही स्थिति महंगाई को और बढ़ाएगी और आम आदमी को परेशान करेगी।"
सांसद राघव चड्ढा ने आगे कहा, पहले कुछ लोग रुपये के गिरने पर चिंता करते थे, मगर अब सरकार का इस पर कोई ध्यान नहीं है। "मैं उनसे पूछना चाहता हूं अब कोई ध्यान क्यों नहीं देता? रुपये गिरने पर ज्ञान क्यों नहीं देता? रुपया का गिरना तो हर दिन जारी है, मगर अब कोई बयान क्यों नहीं देता?
Kk
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