हरियाणा में जिन नगर निगमों में होने जा रहे चुनाव, उनमें फरीदाबाद और मानेसर को छोड़ शेष सभी कानूनन हैं नगर परिषद
साढ़े चार वर्ष पूर्व हुए एक कानूनी संशोधन अनुसार हर जिला मुख्यालय की निकाय है नगर परिषद बेशक वहां की जनसंख्या कितनी हो - एडवोकेट हेमंत
प्रदेश सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग को कई बार लिखने बावजूद आजतक नहीं किया गया सुधार
बाबूशाही ब्यूरो
चंडीगढ़, 12 फरवरी। - मंगलवार 11 फरवरी से हरियाणा के कुल 33 नगर निकायों ( 8 नगर निगमों - फरीदाबाद, गुरुग्राम, हिसार, करनाल, मानेसर, पानीपत, रोहतक और यमुनानगर , 4 नगरपालिका परिषदों एवं 21 नगरपालिका समितियों ) के आम चुनाव एवं अम्बाला और सोनीपत नगर निगमों के मेयर पद उपचुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया आरम्भ हो गई जो 17 फरवरी तक चलेगी. मतदान 2 मार्च 2025 ( पानीपत नगर निगम के लिए 9 मार्च) जबकि मतगणना 12 मार्च 2025 को होगी
इसी बीच पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट और म्यूनिसिपल कानून के जानकार हेमंत कुमार ( 9416887788) ने एक रोचक परन्तु
महत्वपूर्ण कानूनी प्वाइंट के बारे में बताया कि
ऐसा पढ़ने और सुनने में बेशक सबको अजीबोगरीब प्रतीत हो परंतु सत्य यही है कि आज की तारीख में अंबाला सहित प्रदेश की 9 नगर निगमें वास्तव में एवं कानूनन नगर परिषदें हैं.
इसका कारण बताते हुए उन्होंने बताया कि 19 सितम्बर 2020 से हरियाणा नगरपालिका (संशोधन) कानून, 2020 लागू हुआ. यह कानून विधानसभा से इसलिए पारित करवाया गया था ताकि प्रदेश में नूंह जिला मुख्यालय पर स्थापित नगर परिषद, जो हालांकि तब नगरपालिका समिति ( म्यूनिसिपल कमेटी) थी, उसे कानूनी तौर पर नगर परिषद ( म्यूनिसिपल काउंसिल) घोषित किया जा सके.
हरियाणा म्युनिसिपल कानून, 1973 की धारा 2 ए में हरियाणा की सभी मुनिसिपलिटीस का वर्गीकरण है जिसके अनुसार 50 हज़ार तक की जनसँख्या वाले छोटे शहरों में नगरपालिका समिति, 50 हज़ार से तीन लाख तक आबादी वाले मध्यम शहरो में नगर परिषद जबकि तीन लाख से ऊपर की जनसँख्या वाले बड़े शहरों /महानगरों में नगर निगम का प्रावधान है.
ज्ञात रहे कि 12 फरवरी 2021 से पूर्व नूंह जिला मुख्यालय पर नगरपालिका समिति होती थी. वहां की जनसँख्या कानूनन आवश्यक 50 हजार की जनसंख्या से कम होने के कारण आधिकारिक तौर पर नूहं नगर पालिका को नगर परिषद घोषित नहीं किया जा सकता था. इसलिए तत्कालीन नूंह नगरपालिका को कम जनसंख्या बावजूद नगर परिषद के तौर पर अपग्रेड करने के लिए हरियाणा म्युनिसिपल कानून, 1973 की धारा 2 (ए) में संशोधन करना आवश्यक था. तत्कालीन भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार द्वारा विधानसभा से संशोधन करवा उक्त कानूनी धारा में यह उल्लेख कर दिया गया था कि हर जिला मुख्यालय पर विद्धमान /स्थापित म्युनिसिपेलिटी ( नगर निकाय) वहां की जनसंख्या पर विचार किये बिना नगर परिषद होगी".
हेमंत ने बताया कि उपरोक्त संशोधन से नूंह जिला मुख्यालय पर स्थापित तत्कालीन नगर पालिका तो 50 हजार की आबादी के कम होने के बावजूद नगर परिषद बन गई और अढ़ाई वर्ष पूर्व जून, 2022 में प्रदेश में 46 नगर निकायों के आम चुनाव दौरान नूंह नगर परिषद के प्रथम चुनाव भी करवा लिए गये हालांकि उक्त संशोधन कानून में प्रदेश के जिला मुख्यालयों पर वर्षो पहले से विद्धमान/स्थापित मुनिसिपलिटीस का दर्जा नगर परिषद का उल्लेख होने से प्रदेश के अन्य जिला मुख्यालयों पर पहले से मौजूद नगर निगमों का कानूनी अस्तित्व ही समाप्त हो गया और वह उपरोक्त कानूनी संशोधन फलस्वरूप नगर परिषद बन गई.
हेमंत ने बताया कि उक्त संशोधन कानून के लागू होने के फलस्वरूप प्रदेश के 9 जिला मुख्यालयों - अम्बाला, पंचकूला, करनाल, पानीपत, यमुनानगर, हिसार, रोहतक, सोनीपत और गुरुग्राम पर बीते कई वर्षो से
विद्धमान /स्थापित
नगर निगमें कानूनी और आधिकारिक तौर पर नगर परिषदें बन गई. हालांकि चूँकि फरीदाबाद नगर निगम का स्पष्ट उल्लेख हरियाणा नगर निगम कानून, 1994 की धारा 3 में किया गया है इसलिए उसका कानूनी अस्तित्व बच गया. वहीं चार वर्ष पूर्व दिसंबर, 2020 में घोषित मानेसर नगर निगम भी इस आधार पर वैध है क्योंकि मानेसर जिला मुख्यालय नहीं है चूंकि वह गुरुग्राम ज़िले के भीतर ही पड़ता है. हालांकि 1 लाख 61 हजार अर्थात कानूनन आवश्यक तीन लाख की जनसंख्या से कम आबादी होने कारण मानेसर नगर निगम के कानूनी दर्जे पर संकट कायम है.
हेमंत ने बीते साढ़े वर्षों में प्रदेश के शहरी स्थानीय निकाय विभाग के तत्कालीन मंत्रियों पहले अनिल विज, तत्पश्चात डा. कमल गुप्ता और गत चार माह से मौजूदा मंत्री विपुल गोयल, विभाग के प्रशासनिक सचिव और निदेशक और उच्च अधिकारियों को इस विषय पर कई बार लिखकर हरियाणा म्युनिसिपल कानून, 1973 की धारा 2 ए में पुनः उपयुक्त संशोधन करने की अपील की ताकि प्रदेश की उपरोक्त 9 नगर निगमों का कानूनी अस्तित्व कायम रखा जा सके परन्तु दुर्भाग्यवश आज तक इस विषय में कोई कार्रवाई नहीं हुई. गत वर्ष 16 दिसंबर 2024 को हरियाणा चुनाव आयोग द्वारा इस मामले पर शहरी निकाय विभाग को इस विषय पर पत्र भेजा गया हालांकि उसके बावजूद कुछ नहीं किया गया है.
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