हरियाणा में नगर निगम कानून में संशोधन की मांग, एडवोकेट हेमंत कुमार ने उठाए सवाल
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 16 मार्च: हरियाणा में हाल ही में हुए नगर निगम चुनावों के बाद, नव-निर्वाचित मेयरों के शपथ ग्रहण से पहले हरियाणा नगर निगम अधिनियम, 1994 में संशोधन की मांग उठी है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट और नगर निगम कानून के विशेषज्ञ हेमंत कुमार ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि भले ही हरियाणा में 2018 से मेयर का चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से हो रहा है, लेकिन कानून की धारा 53 में अब भी अप्रत्यक्ष चुनाव का प्रावधान बना हुआ है।
नव-निर्वाचित मेयरों के लिए अप्रत्यक्ष प्रणाली क्यों?
हेमंत कुमार ने बताया कि सितंबर 2018 में हरियाणा विधानसभा ने नगर निगम अधिनियम, 1994 में संशोधन कर मतदाताओं को सीधे मेयर चुनने का अधिकार दिया। हालांकि, इस संशोधन के दौरान धारा 53 में बदलाव करना भूल गए, जिसमें अब भी यह उल्लेख है कि नगर निगम की पहली बैठक में पार्षदों के माध्यम से ही मेयर का चुनाव होगा।
उन्होंने यह भी बताया कि अगर मेयर पद के चुनाव में उम्मीदवारों के वोट बराबर हो जाते हैं, तो ड्रॉ ऑफ लॉट (लॉटरी सिस्टम) के जरिए विजेता का फैसला किया जाता है। यह नियम प्रत्यक्ष चुनाव की प्रक्रिया के बिल्कुल विपरीत है और कानूनी विरोधाभास उत्पन्न करता है।
नियम 71 और धारा 53 में टकराव
हेमंत कुमार ने बताया कि 14 नवंबर 2018 को हरियाणा नगर निगम निर्वाचन नियमावली, 1994 में संशोधन कर नियम 71 को बदला गया था। इसमें यह स्पष्ट किया गया कि पहली बैठक में सीधे निर्वाचित मेयर और पार्षदों को मंडल आयुक्त शपथ दिलाएंगे।
लेकिन, हरियाणा नगर निगम अधिनियम, 1994 की धारा 53 में अभी भी पार्षदों द्वारा मेयर चुने जाने का प्रावधान है। इस प्रकार, कानून और नियमों में स्पष्ट विरोधाभास है, जिसे तत्काल दूर करने की आवश्यकता है।
संशोधन की जरूरत, नहीं तो फंस सकता है कानूनी पेंच
एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि पिछले छह वर्षों में उन्होंने राज्यपाल, मुख्यमंत्री, शहरी निकाय मंत्री और राज्य निर्वाचन आयोग को कई पत्र लिखकर इस गलती को सुधारने की अपील की है। उन्होंने सुझाव दिया कि धारा 53 को संशोधित कर इसे 4 अक्टूबर 2018 से प्रभावी किया जाए, ताकि प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली को पूरी तरह कानूनी वैधता मिल सके।
अगर यह संशोधन नहीं किया गया, तो हरियाणा में प्रत्यक्ष चुनाव के बावजूद कानूनी रूप से यह वैध नहीं माना जा सकता, और भविष्य में इस पर विवाद भी खड़ा हो सकता है।
मेयरों का शपथ ग्रहण अगले सप्ताह
12 मार्च को हुए चुनावों में हरियाणा के 10 नगर निगमों में से 9 में भाजपा के प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की, जबकि मानेसर नगर निगम में चुनाव नहीं हुए। इनमें अंबाला और सोनीपत के मेयर केवल 10 महीने के लिए चुने गए हैं।
अब राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा आधिकारिक अधिसूचना जारी होने के बाद, संबंधित मंडल आयुक्त नव-निर्वाचित मेयरों को शपथ दिलाएंगे।
हरियाणा में प्रत्यक्ष चुनाव की व्यवस्था लागू होने के बावजूद कानूनी संशोधन में चूक के कारण अप्रत्यक्ष चुनाव की धारा अब भी मौजूद है। एडवोकेट हेमंत कुमार ने सरकार से इस गलती को जल्द सुधारने की मांग की है, ताकि नगर निगम चुनावों की प्रक्रिया कानूनी रूप से सशक्त हो सके और किसी तरह का विवाद उत्पन्न न हो।
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