आरटीआई से हुआ बड़ा खुलासा: मोबाइल टावर किराए पर जीएसटी की वसूली नहीं, करोड़ों का नुकसान!
मोबाइल टावर पॉलिसी में बदलाव से 14.20 करोड़ का नुकसान, किराए की वसूली में भी 9.61 करोड़ की कमी
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 16 मार्च। 2015 में चंडीगढ़ प्रशासन ने मोबाइल टावरों के किराए की दर हर 7 साल में दोगुनी करने की नीति बनाई थी। इसके तहत 2022 तक किराया ₹5 लाख से बढ़कर ₹10 लाख होना चाहिए था। लेकिन 2021 और 2023 में नीति में बदलाव कर इसे ₹5 लाख ही रखा गया, जिससे निगम को 2022-24 के बीच ₹14.20 करोड़ का नुकसान हुआ।
मोबाइल टावर किराए की वसूली में भी भारी कमी
2022-24 के बीच निगम को मोबाइल टावरों से ₹670 लाख प्रति वर्ष की दर से किराया वसूलना था, लेकिन हकीकत में सिर्फ ₹135 लाख (2022-23) और ₹243.38 लाख (2023-24) ही वसूले गए। इससे निगम को ₹9.61 करोड़ का नुकसान हुआ।
नगर निगम पहले ही वित्तीय संकट का सामना कर रहा है और उसने यूटी प्रशासन से अतिरिक्त ग्रांट की मांग की है। ऐसे में राजस्व नुकसान को लेकर ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
अब तक क्या कार्रवाई हुई?
ऑडिट रिपोर्ट में जब यह मामला उठाया गया तो विभाग ने जवाब दिया कि इस मुद्दे को यूटी प्रशासन के सामने रखा जाएगा और मोबाइल टावर कंपनियों को बकाया किराया चुकाने के लिए नोटिस भेजे जाएंगे। लेकिन अभी तक इस पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है।
चंडीगढ़ के आरटीआई एक्टिविस्ट आर.के. गर्ग द्वारा दायर सूचना के अधिकार के तहत मिले दस्तावेजों से बड़ा खुलासा हुआ है। जानकारी के अनुसार, चंडीगढ़ नगर निगम द्वारा मोबाइल टावरों के किराए पर जीएसटी नहीं वसूला गया, जिससे सरकार को ₹68.11 लाख के राजस्व का नुकसान हुआ है।
क्या है पूरा मामला?
आरटीआई से मिले रिकॉर्ड के अनुसार, 2022-24 के बीच चंडीगढ़ में 142 मोबाइल टावर लगाए गए। निगम ने टेलीकॉम कंपनियों से ₹5 लाख प्रति वर्ष के हिसाब से कुल ₹3,78,38,000 किराए के रूप में वसूले, लेकिन इस पर 18% जीएसटी लागू होने के बावजूद टैक्स नहीं लिया गया।
चंडीगढ़ प्रशासन की 2015 की नीति के तहत, सरकार की जमीन पर लगे मोबाइल टावरों पर वार्षिक किराया लागू किया गया था, जिसे हर 7 साल में दोगुना किया जाना था। लेकिन 2021 और 2023 में नीति में बदलाव कर किराया ₹5 लाख पर ही स्थिर रखा गया, जिससे 2022-24 के दौरान ₹14.20 करोड़ का नुकसान हुआ।
वसूली में भी गड़बड़ी, 9.61 करोड़ का और नुकसान
रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि निगम को 2022-23 और 2023-24 में कुल ₹13.40 करोड़ की किराया वसूली करनी चाहिए थी, लेकिन हकीकत में सिर्फ ₹3.78 करोड़ ही वसूले गए। इस कारण नगर निगम को ₹9.61 करोड़ का अतिरिक्त नुकसान उठाना पड़ा।
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