Moga Sex Scandal: मोहाली कोर्ट का बड़ा फैसला, पूर्व SSP समेत 3 अफसरों को 5 साल की सजा
बाबूशाही ब्यूरो
मोहाली (पंजाब), 7 अप्रैल, 2025: लंबे समय से लंबित मोगा सेक्स स्कैंडल में एक बड़े घटनाक्रम में, मोहाली की एक सीबीआई विशेष अदालत ने मोगा के तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) सहित चार पूर्व पुलिस अधिकारियों को पांच-पांच साल कारावास की सजा सुनाई है।
यह फैसला 2007 में मामले के पहली बार प्रकाश में आने के लगभग 18 वर्ष बाद आया है।
जिन अधिकारियों को सजा सुनाई गई उनमें शामिल हैं:
दविंदर सिंह गरचा, मोगा के तत्कालीन एसएसपी
परमदीप सिंह संधू, तत्कालीन एसपी (मुख्यालय)
रमन कुमार, पूर्व एसएचओ, मोगा सिटी पुलिस स्टेशन
इंस्पेक्टर अमरजीत सिंह, पूर्व में मोगा सिटी में तैनात थे
अदालत ने उन्हें भ्रष्टाचार और जबरन वसूली का दोषी पाया, जो इस मामले में लंबे समय से विलंबित न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
अधिकारियों को 29 मार्च को दोषी ठहराया गया तथा सजा सुनाने के लिए 7 अप्रैल की तारीख तय की गई।
मूल आरोपों में नामित दो व्यक्तियों - पूर्व मंत्री जत्थेदार तोता सिंह के पुत्र बरजिंदर सिंह उर्फ मक्खन बराड़ और सुखराज सिंह - को साक्ष्य के अभाव में अदालत ने बरी कर दिया।
मामले की पृष्ठभूमि
यह कांड पहली बार 2007 में अकाली-भाजपा सरकार के कार्यकाल में सामने आया था, जब जगराओं की एक युवती की शिकायत पर मोगा सिटी पुलिस स्टेशन में सामूहिक बलात्कार का मामला दर्ज किया गया था। उसका बयान सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज किया गया था।
हालांकि, इसके बाद एक परेशान करने वाला मोड़ आया: जांचकर्ताओं ने पाया कि कुछ पुलिस अधिकारियों ने मामले में हेराफेरी की थी, तथा कथित तौर पर धन उगाही के लिए व्यापारियों और राजनीतिक हस्तियों के नाम जोड़ दिए थे।
स्थिति तब बिगड़ गई जब एक ऑडियो रिकॉर्डिंग सामने आई, जिसमें कथित तौर पर पुलिस अधिकारी मामले को निपटाने के लिए रिश्वत मांगते हुए पाए गए - जिससे जनता में आक्रोश फैल गया।
आगे की जांच में दो महिलाओं से जुड़े एक बड़े रैकेट का पता चला, जो पुलिस के साथ मिलीभगत करके व्यापारियों को फंसाती थीं और पैसे ऐंठती थीं। हालांकि बाद में महिलाओं को क्लीन चिट दे दी गई, लेकिन सीबीआई की निरंतर जांच के कारण प्रमुख पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें दोषी ठहराया गया।
अदालत के इस निर्णय को उस मामले में जवाबदेही की दिशा में एक लम्बे समय से प्रतीक्षित कदम के रूप में सराहा गया है, जिसने एक समय पंजाब के राजनीतिक और कानून प्रवर्तन हलकों को हिलाकर रख दिया था।
केके
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