पंचकूला: शिक्षा विभाग पर बजट के गलत इस्तेमाल का आरोप, कक्षा 1 से 5 के बच्चों के आई कार्ड बनाने की प्रक्रिया विवादों में
बजट को खुर्द-बुर्द करने के लिए बनाए जा रहे कार्ड
रमेश गोयत
पंचकूला, 31 दिसम्बर। पंचकूला में जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी द्वारा कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों के आई कार्ड बनाए जाने की प्रक्रिया को लेकर परिजनों में गहरा रोष है। शैक्षणिक सत्र की समाप्ति में महज कुछ महीने शेष होने के बावजूद, शिक्षा विभाग ने बच्चों के आई कार्ड बनाने का आदेश जारी किया है। अकेले पंचकूला जिले में क्लास 1 से लेकर 5वी तक 30 हजार के करीव बच्चे है। एक कार्ड की कीमत भी सैकड़ो रुपए बताई जा रही है। 2 महीने के बाद यह कार्ड किसी काम के नही। अगले नए सत्र अप्रेल 2025 में नई क्लास से बनेंगे। हरियाणा सरकार का प्राइवेट स्कूलों की तर्ज पर सरकारी स्कूलों में भी वर्दी, आई कार्ड व बेल्ट सराहनीय कदम है। मगर समय पर नही मिलने के कारण बच्चो को इसका फायदा नही मिल रहा है।
दिखने में यह कदम अनावश्यक लगता है, क्योंकि तीन महीने बाद छात्रों की कक्षाएं बदल जाएंगी और उन्हें नई कक्षा में प्रवेश मिलेगा। जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी ने अपने अंतर्गत आने वाले सभी ब्लॉकों को पत्र लिखकर बच्चों के डेटा की मांग की है, ताकि आई कार्ड बनाए जा सकें। हालांकि, शिक्षा विभाग पूरे 9 महीने तक कार्ड बनाने में विफल रहा था, और अब शैक्षणिक सत्र के समापन से पहले इस पर काम शुरू किया गया है।
परिजनों का आरोप है कि यह प्रक्रिया बजट का खर्च करने के लिए जानबूझकर की जा रही है, जो नियमों के खिलाफ है। उनका कहना है कि इस समय बच्चों के आई कार्ड बनाने का कोई तर्क नहीं है, क्योंकि सत्र समाप्त होने के बाद बच्चों का एडमिशन नई कक्षा में होगा।
यह मामला शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा के पास शिकायत के रूप में पहुंच चुका है, और अब लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या विभाग ने जानबूझकर यह कार्य सत्र समाप्ति से पहले किए हैं, ताकि बजट का पूरा उपयोग किया जा सके। इस पर शिक्षा विभाग की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन शिकायतकर्ताओं ने अधिकारियों से मामले की स्पष्टता की मांग की है।
जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी संध्या छिकारा ने बताया कि कार्ड बनाने की प्रक्रिया पहले से चल रही थी। लेट टेंडर होने की वजह से कार्ड लेट बनाए जा रहे हैं। डीईईओ ने कहा कि आई कार्ड एसआरएन आधारित हैं और आने वाले सत्रों के लिए भी मान्य होंगे, क्योंकि कक्षा कॉलम इस तरह से डिज़ाइन किया गया है। समिति गठित कर जीआरएम पोर्टल के माध्यम से तथा विभाग के निर्देशानुसार निविदा प्रक्रिया अपनाई गई है।
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