हिसार में स्वदेशी मेले का आकर्षण: हरियाणवी हुक्का और खाट बने चर्चा का विषय
रमेश गोयत
चंडीगढ़/हिसार, 01 जनवरी। हरियाणा के स्वदेशी मेले में इस बार एक अनोखा आकर्षण देखा गया। राजकीय मैदान में आयोजित मेले में विशालकाय हुक्का और खाट ने लोगों का ध्यान खींचा। ये दोनों वस्तुएं हरियाणा की संस्कृति और परंपरा का प्रतीक हैं और स्थानीय शिल्पकारों की मेहनत और हुनर का शानदार उदाहरण भी।
ऋषि नगर के अजय और दीक्षांत ने मिलकर इन खास चीजों को तैयार करवाया है। उनका कहना है कि बड़े हुक्कों और खाटों की मांग तेजी से बढ़ रही है। अजय ने बताया, "हम अब तक चालीस से अधिक हुक्के बेच चुके हैं। शादी और अन्य आयोजनों में नौ चिलम वाले हुक्के को किराए पर देने के भी कई ऑर्डर मिल रहे हैं।"
हरियाणवी हुक्के की खासियत
यह हुक्का न केवल अपने विशाल आकार बल्कि अपनी खास डिजाइन के लिए भी प्रसिद्ध है। छह फीट चौड़ा और पचास किलोग्राम वजनी इस हुक्के में नौ चिलम लगाई जाती हैं, जो इसे और भी आकर्षक बनाती हैं। इसमें चालीस लीटर पानी भरा जाता है और यह राजस्थान से मंगवाई गई रोहिड़े की लकड़ी से बना है। नौ चिलम वाले हुक्के की कीमत लगभग 90,000 रुपये है।
500 किलो की खाट बनी आकर्षण
दीक्षांत पूनिया के पिता सुखबीर ने एक विशाल खाट बनाई है, जो पंद्रह फीट लंबी और छह फीट चौड़ी है। इस खाट को लोहे और स्टील से तैयार किया गया है और इसका वजन 500 किलोग्राम है। इसे बनाने में पांच महीने का समय और राजस्थान से विशेष रूप से सूत मंगवाना पड़ा। खाट की कीमत लगभग 1.25 लाख रुपये है। इसमें हरियाणा के सभी 22 जिलों के नाम लिखे गए हैं।
मेले में उमड़ी भीड़
मेले में आए लोग इन अनोखी वस्तुओं को देखकर काफी उत्साहित हुए। कई लोग इन पर बैठकर सेल्फी लेते दिखे। लोगों ने कहा कि हरियाणा की परंपराओं को दर्शाने वाली ऐसी चीजें पहली बार देखने को मिली हैं, जो न केवल देखने में आकर्षक हैं बल्कि अपनी मजबूत बनावट के कारण आरामदायक भी हैं।
हरियाणा की संस्कृति और परंपरा को आधुनिकता के साथ जोड़ने की यह पहल लोगों को खूब पसंद आ रही है। अजय और दीक्षांत के प्रयास ने न केवल मेले को खास बना दिया बल्कि हरियाणवी शिल्प को नई पहचान भी दिलाई।
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