पहाड़ी क्षेत्र पिंजौर, कालका में भी हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर एक्सईएन बिजली विभाग को दी जाए काम करवाने की शक्तियांः विजय बंसल
शिवालिक विकास मंच प्रदेश अध्यक्ष विजय बंसल एडवोकेट ने बिजली मंत्री अनिल विज को पत्र लिखकर कहा हिमाचल प्रदेश की सीमा के साथ सटे हुए पिंजौर, कालका क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थितियां एक समान तो फिर योजनाएं भी होनी चाहिए एक समान और वर्ष 2021 में मंजूर किए गए रायतन क्षेत्र के भोरिया गांव में 66 केवी बिजली सबस्टेशन बनाने की मांग की
बारिश में बिजली के खंभे बहने, पेड़ टूटने से कई-कई दिनों तक पिंजौर रायतन क्षेत्र के 40 गांवों की बिजली रहती है बंद
बारिश में हुए नुकसान के बाद ट्रांस्फार्मर, खंभे मंजूर करवाने की प्रपोजल मंजूरी के लिए अंबाला भेजने फिर काम ठेके पर देने की प्रक्रिया में लग जाते हैं कई सप्ताह
जबकि हिमाचल प्रदेश में किसी भी आपात स्थिति में एक्सईएन को है सीधे काम करवाने की पावर
रमेश गोयत
पंचकूला/पिंजौर 4 जनवरी 2025। शिवालिक विकास मंच प्रदेश अध्यक्ष एंव पूर्व चेयरमैन हरियाणा सरकार विजय बंसल एडवोकेट ने हरियाणा के बिजली मंत्री अनिल को पत्र लिखकर पहाड़ी क्षेत्र पिंजौर, कालका क्षेत्रे में बिजली संबंधी कार्य करवाने की शक्तियां बिजली विभाग के एक्सईएन को देने साथ ही पिंजौर रायतन क्षेत्र के गांव भोरिया में वर्ष 2021 में मंजूर 66 केवी बिजली सबस्टेशन जल्द बनाने की की मांग की है। विजय बंसल ने कहा कि बरसात के मौसम में तेज आंधी, बारिश में बिजली के खंभे गिरने और तारें टूटने, ट्रांर्स्फामर जलने से पिंजौर के रायतन क्षेत्र के लगभग 40 गांवों में कई-कई दिनों तक बिजली सप्लाई बंद रहती है इतना ही नहीं थोड़ी सी बारिश आने के बाद ही बिजली बंद हो जाती है। विशेषकर कालका, पिंजौर, दून और रायतन और मोरनी जैसे पहाड़ी इलाके के दूरदराज बसे हुए सैकड़ों गांवों के लाखों निवासी अक्सर बाढ़, भूस्खलन, आंधी, तूफान जैसी प्राकृतिक आपदा के बाद कई-कई दिनों तक बिजली के ना आने से परेशान रहते हैं।
विजय बंसल एडवोकेट ने पत्र में लिखा कि विशेषकर बारिश और तूफान के बाद पेड़ टूटने खंबे उखड़ने, तारें टूटने के बाद बिजली बंद हो जाती है बिजली सप्लाई बहाल करने में कई सप्ताह का समय लगता है। क्योंकि मैदानी इलाकों की तुलना में पहाड़ी क्षेत्र में कर्मचारियों के लिए बिजली के खंबे पहुंचाना, तारे खींचने का काम किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है। पहले तो विभाग हुए नुकसान की रिपोर्ट तैयार कर अंबाला स्थित बिजली कार्यालय में मंजूरी के लिए एक प्रपोजल भेजता है वहां से मंजूरी मिलने की प्रक्रिया और अंबाला से सामान लाने में काफी समय लग जाता है। यदि पिंजौर मंडल बिजली विभाग एक्सईएन को काम करवाने की शक्तियां दी जाए तो लोग कई कई दिनों तक बिजली गुल रहने की समस्या से से निजात मिलेगी। विजय बंसल ने कहा कि क्योंकि हिमाचल प्रदेश में बिजली तारे लगाने का काम करवाने की शक्तियां एक्सईएन स्तर के अधिकारी के पास होती है और बिजली जाने के कुछ घंटों के बाद ही बिजली सप्लाई नियमित कर दी जाती है। जब साथ लगते हिमाचल प्रदेश के परवानु, बद्दी, बरोटीवाला, नालागढ़ और हरियाणा के नंबर वन विधानसभा के एकमात्र पहाड़ी क्षेत्र कालका विधानसभा क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थितियां एक समान है तो इसी प्रकार अधिकारी को भी काम करवाने के लिए एक समान शक्तियां मिलनी चाहिए।
विजय बंसल ने कहा कि वैसे भी अधिकारी पिंजोर, कालका क्षेत्र में विकास कार्य करवाने के लिए भेदभाव करते हैं। वर्ष 2021 में पूर्व उपमुख्यमंत्री एंव पंचकूला विधायक चंद्रमोहन के नेतृत्व में विजय बंसल ने बिजली मंत्री रणजीत चौटाला से मुलाकात कर कालका विधानसभा क्षेत्र की बिजली संबंधी समस्याओं को रखते हुए पिंजौर को बिजली मंडल का दर्जा दिलवाकर यहां पर एक्सईएन स्तर का अधिकारी नियुक्त करवाया था साथ ही दून क्षेत्र के गांव नानकपुर में 132 केवी का बिजली घर और रायतन में भी एक बिजली घर मंजूर करवाया था और अमरावती को बिजली उपमंडल का दर्जा भी दिलवाया था। उन्होने बताया कि नानकपुर बिजली घर पूरी तरह से काम कर रहा है जिसका लाभ दून क्षेत्रवासियों को मिल रहा है। लेकिन अभी तक रायतन में 66 केवी बिजली घर का निर्माण नहीं करवाया गया है जिससे रायतन क्षेत्र के लगभग 40 गांवों के लोगों को बिजली की कम वोल्टेज, बिजली का बार-बार बंद हो जाने जैसी समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। बंसल ने बताया कि बिजली सब स्टेशन निर्माण के लिए गांव भौरियां की पंचायत जमीन देने को भी तैयार है लेकिन यह कालका क्षेत्र की विडंबना है कि रायतन क्षेत्र में मंजूर किए गए बिजली घर को बनाने के लिए अधिकारियों ने आगे कोई कार्यवाही नहीं की है। यदि बिजली घर बन जाए तो न केवल लोगों को निर्बाध बिजली आपूर्ति मिलेगी बल्कि पिंजौर बिजली घर पर भी बिजली वोल्टेज का अधिक भार नहीं पड़ेगा।
विजय बंसल ने बताया कि वर्ष 1993 में तत्कालीन चौधरी भजन लाल की हरियाणा सरकार ने शिवालिक पहाड़ियों की तलहटी में बसे हुए क्षेत्र के लिए शिवालिक विकास बोर्ड का गठन किया था ताकि यहां पर मैदानी इलाकों की तुलना में काम करवाने की विशेष योजनाएं लागू हो। लेकिन बड़े दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि बाद की सरकारों ने शिवालिक विकास बोर्ड के बजट में भारी कटौती कर इसे लगभग निष्क्रिय करने का काम किया है.
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