चंडीगढ़ में इमीग्रेशन ठगी का गोरखधंधा बेनकाब: प्रशासनिक आदेशों की खुलेआम उड़ रही धज्जियां, सैकड़ों लोग बन चुके हैं शिकार
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 6 अप्रैल:
चंडीगढ़ में इमीग्रेशन कंपनियों की आड़ में चल रही ठगी का गोरखधंधा एक बार फिर बेनकाब हुआ है। सेक्टर 17 स्थित "विश इमिग्रेशन" नामक कंपनी ने विदेश भेजने के नाम पर एक आम नागरिक से लाखों रुपये की ठगी की, जिसके बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है।
17 लाख से अधिक की ठगी, एक गिरफ्तार
शिकायतकर्ता पंकज कुमार, निवासी #171/ए, सेक्टर 19, पंचकूला (हरियाणा) ने आरोप लगाया कि विश इमिग्रेशन के संचालक सकील अहमद और आशीष मालिक ने उसे कनाडा भेजने का झांसा देकर कुल ₹17,19,780 वसूल लिए। कंपनी ने वीज़ा दिलवाने, फ्लाइट बुकिंग और दस्तावेज़ी प्रक्रिया के नाम पर किश्तों में रकम ली, लेकिन वादा पूरा नहीं किया। जब पंकज ने पैसे वापस मांगे तो उसे टाल-मटोल किया जाने लगा।
थक-हार कर पंकज ने सेक्टर-17 थाना पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई, जिस पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने सकील अहमद को गिरफ्तार कर लिया। दूसरे आरोपी आशीष मालिक की तलाश जारी है।
बिना अनुमति चल रही इमिग्रेशन कंपनियां
इस मामले ने एक बार फिर प्रशासन की लापरवाही को उजागर कर दिया है। जिला उपायुक्त द्वारा बार-बार दिए गए निर्देशों के बावजूद, शहर में कई इमीग्रेशन कंपनियां बिना किसी वैध लाइसेंस और अनुमति के धड़ल्ले से काम कर रही हैं। सेक्टर 17, 34 और मनीमाजरा जैसे इलाकों में ऐसी एजेंसियों की भरमार है, जो विदेश जाने के इच्छुक युवाओं को झूठे सपने दिखाकर लाखों रुपये ऐंठ रही हैं।
पिछले एक साल में सैकड़ों ठगी के मामले
पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, पिछले एक वर्ष में इमीग्रेशन ठगी से जुड़े सैकड़ों केस दर्ज किए गए हैं। इनमें अधिकतर मामलों में युवाओं को कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, यूके और यूरोप भेजने का झांसा दिया गया, लेकिन न तो वीज़ा मिला और न ही पैसे लौटे। कई मामलों में कंपनियां पैसा वसूलने के बाद ऑफिस बंद कर फरार हो गईं।
प्रशासन की चुप्पी पर सवाल
स्थानीय नागरिक और सामाजिक संगठन यह सवाल उठा रहे हैं कि आखिर क्यों प्रशासन द्वारा घोषित पंजीकरण नियमों का पालन नहीं कराया जा रहा? क्यों इन एजेंसियों के दस्तावेज़ों की जांच नहीं होती? और सबसे बड़ा सवाल—क्यों पीड़ितों की शिकायतों पर त्वरित और सख्त कार्रवाई नहीं की जाती?
आवश्यक कदम और सुझाव
सभी इमिग्रेशन कंपनियों का फिजिकल ऑडिट और सत्यापन किया जाए।
बिना अनुमति चल रही कंपनियों को तुरंत सील किया जाए।
पीड़ितों के लिए एक विशेष हेल्पलाइन और कानूनी सहायता शिविर की स्थापना हो।
जनजागरूकता के लिए शिक्षण संस्थानों और सार्वजनिक स्थलों पर सेमिनार और सूचना अभियान चलाए जाएं।
चंडीगढ़ जैसे शिक्षित और विकसित शहर में इस तरह के फर्जीवाड़े का सक्रिय रहना गंभीर चिंता का विषय है। प्रशासन, पुलिस और समाज को मिलकर ऐसे मामलों पर सख्त कार्रवाई करनी होगी, ताकि मासूम युवाओं और उनके परिवारों को ठगों से बचाया जा सके।
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