चंडीगढ़ में शराब माफिया की मनमानी, प्रशासन की लापरवाही से शहरवासियों की जेब पर डाका
बैंक गारंटी विवाद में फंसे ठेके, लोग मोहाली-पंचकूला से खरीद रहे शराब,
चंडीगढ़ प्रशासन को लग रहा मोटा का चूना
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 10 अप्रैल:
शहर में शराब पीने वालों के लिए बुरी खबर है। आबकारी कराधान विभाग की लापरवाही और ठेकेदारों की मनमानी के चलते चंडीगढ़ में शराब के रेट आसमान छू रहे हैं। शराब के ठेकों के बैंक गारंटी विवाद में फंस जाने और कोर्ट कचहरी के चक्कर में अधिकांश ठेके या तो सील हो चुके हैं या अधर में लटके हुए हैं। इससे न सिर्फ आम आदमी की जेब पर असर पड़ रहा है, बल्कि चंडीगढ़ प्रशासन को भी भारी राजस्व नुकसान उठाना पड़ रहा है।
बैंक गारंटी की शर्तें बनी मुसीबत
सूत्रों के अनुसार, आबकारी विभाग ने इस बार शराब ठेकों के लिए बैंक गारंटी की जो नई शर्तें लागू कीं, उससे कई ठेकेदार परेशान हो गए। कई जगहों पर समय पर गारंटी न मिलने के कारण ठेके सील कर दिए गए। ठेकेदारों का आरोप है कि विभाग के अधिकारियों ने मनमर्जी से ठेके अलाट किए और एक ही फार्म और परिवार को कई ठेके देने की अनियमितता बरती गई।
कोर्ट-कचहरी में अटके ठेके, लोगों को भारी परेशानी
कई शराब ठेके अब कानूनी विवादों में उलझ गए हैं। इसका सीधा असर उपभोक्ताओं पर पड़ा है, जिन्हें अपनी जरूरत की शराब के लिए मोहाली और पंचकूला का रुख करना पड़ रहा है। इससे चंडीगढ़ के शराब व्यापार को नुकसान हो रहा है और पड़ोसी राज्यों को फायदा मिल रहा है।
मनमाने रेट पर बिक रही शराब, नियंत्रण नहीं
जहां कुछ ठेके चालू हैं, वहां शराब मनमाने रेट पर बेची जा रही है। न तो एमआरपी का पालन हो रहा है और न ही किसी प्रकार की निगरानी की जा रही है। बीयर से लेकर व्हिस्की तक, हर ब्रांड की बोतल पर अधिक दाम वसूले जा रहे हैं। इससे शराब माफिया मालामाल हो रहा है और चंडीगढ़ प्रशासन को राजस्व के रूप में बड़ा घाटा झेलना पड़ रहा है।
प्रशासन खामोश, लोग परेशान
चंडीगढ़ प्रशासन की ओर से अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। न तो विभाग की लापरवाही पर कोई जांच बैठी है और न ही ठेकेदारों की मनमानी पर लगाम लगाने की कोशिश की गई है। इससे शहरवासियों में नाराजगी बढ़ रही है। शराब व्यापार में भ्रष्टाचार, अनियमितताओं और विभागीय लापरवाही ने एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं। अगर जल्द ही सुधार नहीं किया गया, तो इससे न सिर्फ प्रशासन की छवि खराब होगी, बल्कि राजस्व का भी भारी नुकसान होगा। प्रशासन को चाहिए कि वह तुरंत कार्रवाई कर स्थिति को नियंत्रण में लाए।
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