नई दिल्ली: 1 मई से शुरू होगा GPS-आधारित टोल सिस्टम, FASTag होगा पुराना, दूरी के हिसाब से कटेगा शुल्क
बाबूशाही ब्यूरो
नई दिल्ली, 17 अप्रैल: 1 मई 2025 से देशभर की सड़कों पर सफर करना और भी स्मार्ट और सुगम हो जाएगा। केंद्र सरकार ने FASTag सिस्टम की जगह एक नया GPS-आधारित टोल कलेक्शन सिस्टम लागू करने का ऐलान किया है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) इस दिशा में अंतिम तैयारी कर चुका है। इस नई प्रणाली के तहत अब वाहनों से टोल वसूली उनकी यात्रा की दूरी के आधार पर की जाएगी।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने जानकारी दी कि सरकार अगले 15 दिनों में नई टोल नीति की घोषणा करेगी और इसके बाद मई महीने में यह प्रणाली लागू कर दी जाएगी। गडकरी ने नागपुर में हुए एक कार्यक्रम में इस बात की पुष्टि की।
कैसे काम करेगा नया सिस्टम?
GNSS (ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम) तकनीक पर आधारित इस नई व्यवस्था में वाहन में एक ऑन-बोर्ड यूनिट (OBU) या ट्रैकर लगाया जाएगा, जो सैटेलाइट के जरिए उसकी लोकेशन और यात्रा की गई दूरी को ट्रैक करेगा। इसके आधार पर टोल की राशि निर्धारित होगी और लिंक किए गए डिजिटल वॉलेट से स्वतः कट जाएगी। FASTag की तरह RFID टैग लगाने की जरूरत नहीं होगी।
प्रीपेड और पोस्टपेड दोनों विकल्प
नई प्रणाली में यात्रियों को प्रीपेड और पोस्टपेड दोनों विकल्प मिलेंगे, जिससे टोल भुगतान में और अधिक सुविधा होगी। इसके अलावा, टोल प्लाजा पर लगने वाली लंबी कतारों और तकनीकी गड़बड़ियों से भी छुटकारा मिलेगा, जो वर्तमान में FASTag सिस्टम के साथ एक बड़ी समस्या है।
क्या खत्म हो जाएगा FASTag?
हालांकि शुरू में दोनों सिस्टम समानांतर चल सकते हैं, लेकिन सरकार की योजना धीरे-धीरे पूरी तरह से GNSS आधारित प्रणाली को अपनाने की है। 2016 से चल रहे FASTag सिस्टम ने डिजिटल भुगतान को बढ़ावा दिया, लेकिन अब इसे और स्मार्ट तकनीक से अपग्रेड किया जा रहा है।
नई प्रणाली लागू होने के बाद, भारत विश्व के उन चुनिंदा देशों में शामिल हो जाएगा, जहां टोल वसूली के लिए सैटेलाइट आधारित आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल होता है।
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