चंडीगढ़ में बिजली कर्मचारियों का प्रदर्शन जारी: निजीकरण के खिलाफ कार्य बहिष्कार की चेतावनी
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 17 जनवरी: बिजली विभाग के निजीकरण के विरोध में कर्मचारियों का आंदोलन तेज हो गया है। कर्मचारियों ने अपनी सेवा शर्तों और अधिकारों की रक्षा की मांग करते हुए आज दोपहर भोजनावकाश के दौरान रैलियां कीं। यूनियन के प्रमुख नेताओं ने प्रशासन को चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो 24 जनवरी से कार्य बहिष्कार शुरू किया जाएगा।
प्रमुख मांगे और आरोप
- निजीकरण का विरोध:
कर्मचारी नेताओं ने आरोप लगाया कि मुनाफे में चल रहे बिजली विभाग को औने-पौने दामों पर निजी कंपनियों को बेचा जा रहा है।
- एलओआई (Letter of Intent) रद्द करने की मांग:
यूनियन का कहना है कि कंपनी की शर्तें बार-बार बदली जा रही हैं, लेकिन प्रशासन ने एलओआई रद्द नहीं किया, जिससे अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
- सेवा शर्तें और अधिकारों की अनदेखी:
कर्मचारियों को बिना विकल्प दिए जबरदस्ती निजी कंपनियों के हवाले किया जा रहा है। यूनियन ने पूछा कि क्या निजी कंपनियां आरक्षण नीति लागू करेंगी और वेतन विसंगतियों को दूर करेंगी।
- पारदर्शिता की कमी:
प्रशासन पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने ट्रांसफर पॉलिसी को सार्वजनिक नहीं किया और कर्मचारियों को एडजस्ट करने में पारदर्शिता नहीं बरती।
कर्मचारियों का आंदोलन
यूनियन के महासचिव गोपाल दत्त जोशी और अन्य नेताओं ने कहा कि प्रशासन की नीतियां कर्मचारियों और जनता के हितों के खिलाफ हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि विभाग को निजी हाथों में सौंपा गया, तो उसी दिन से कार्य बहिष्कार शुरू कर दिया जाएगा।
24 जनवरी को ज्ञापन सौंपने की योजना
पहले चरण में कर्मचारी प्रशासन के फैसले के खिलाफ 24 जनवरी को एक लाख उपभोक्ताओं के हस्ताक्षरों के साथ प्रशासक को ज्ञापन सौंपेंगे।
प्रमुख वक्ताओं के बयान
- अमरीक सिंह (यूनियन प्रधान): "यह पूरी दुनिया का सिद्धांत है कि निजी ऑपरेटर जनता और कर्मचारियों के हितों के बजाय अपने मुनाफे के लिए काम करते हैं।"
- राजिंदर कटोच (फेडरेशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष): "कर्मचारियों की सेवा शर्तें तय किए बिना और उनकी सहमति के बिना उनका सरकारी दर्जा बदलना संवैधानिक अधिकारों का हनन है।"
चेतावनी और अपील
यूनियन ने स्पष्ट किया कि प्रशासन के अडियल रवैये से आम जनता को होने वाली असुविधा की जिम्मेदारी प्रशासन पर होगी। उन्होंने मांग की कि सभी कर्मचारियों के लिए स्पष्ट नीति बनाई जाए और उन्हें उनकी इच्छा के अनुसार समायोजित किया जाए।
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