चंडीगढ़ स्थित सीबीआई मामलों की विशेष अदालत ने सुनाया अहम फैंसला
हिमाचल प्रदेश के बहुचर्चित कोटखाई पुलिस हिरासत मौत मामला
पुलिस हिरासत में मौत के मामले में आठ पुलिस अधिकारी दोषी, सजा 27 जनवरी को सुनाई जाएगी
रमेश गोयत
चंडीगढ, 18 जनवरी। चंडीगढ़ स्थित सीबीआई मामलों की विशेष अदालत ने शनिवार को हिमाचल प्रदेश के बहुचर्चित कोटखाई पुलिस हिरासत मौत मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया। विशेष न्यायाधीश अलका मलिक ने आठ पुलिस अधिकारियों को दोषी ठहराया, जिनमें वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और सिपाही स्तर के कर्मी शामिल हैं।
दोषी ठहराए गए अधिकारी
जेडएच जैदी - तत्कालीन आईजीपी (एसआर) शिमला
मनोज जोशी - तत्कालीन डीएसपी, ठियोग
राजिंदर सिंह - तत्कालीन एसआई/एसएचओ, पीएस कोटखाई
दीप चंद - तत्कालीन एएसआई, पीएस कोटखाई
मोहन लाल - तत्कालीन हेड कांस्टेबल
सूरत सिंह - तत्कालीन हेड कांस्टेबल
रफी मोहम्मद - तत्कालीन हेड कांस्टेबल
रंजीत स्टेटा - तत्कालीन कांस्टेबल
मामले का विवरण
यह मामला 2017 का है, जब हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के कोटखाई क्षेत्र में एक नाबालिग लड़की, जिसे ‘गुड़िया’ नाम दिया गया, के बलात्कार और हत्या के बाद जांच शुरू हुई थी। लड़की का शव 6 जुलाई 2017 को जंगल में मिला था। पुलिस ने इस मामले में छह आरोपियों को गिरफ्तार किया था, जिनमें से एक सूरज नाम का व्यक्ति पुलिस हिरासत में यातना के कारण मारा गया।
फर्जी कहानी का खुलासा
हिमाचल प्रदेश पुलिस की एसआईटी ने सूरज की मौत के लिए एक अन्य आरोपी राजू को जिम्मेदार ठहराने का प्रयास किया और झूठे साक्ष्य पेश किए। यह मामला हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश पर सीबीआई को सौंपा गया। सीबीआई ने अपनी जांच में पाया कि एसआईटी ने मामले में झूठे आरोपियों को फंसाया और पुलिस हिरासत में यातना देकर सूरज की हत्या की।
सीबीआई की जांच और निष्कर्ष
सीबीआई ने इस मामले में गहन जांच कर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ हत्या (धारा 302), आपराधिक साजिश (धारा 120बी), झूठे साक्ष्य गढ़ना (धारा 195), और साक्ष्य नष्ट करने (धारा 201) सहित कई गंभीर आरोप लगाए। विशेष अदालत ने इन आरोपों को सही पाते हुए सभी आठ आरोपियों को दोषी ठहराया।
गुड़िया बलात्कार और हत्या मामला
गुड़िया बलात्कार और हत्या मामले में सीबीआई ने एक अन्य आरोपी अनिल उर्फ नीलू को गिरफ्तार किया था, जिसे अदालत ने पहले ही दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
आगे की प्रक्रिया
विशेष अदालत ने दोषियों को 27 जनवरी 2025 को सजा सुनाने की तारीख निर्धारित की है। इस फैसले ने न्याय प्रणाली पर जनता का विश्वास बढ़ाया है और हिरासत में मौत के मामलों में पारदर्शिता की नई मिसाल कायम की है।
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