Himachal Breaking : Police Custodial Death Case: सूरज हत्याकांड में IG जहूर जैदी समेत आठ पुलिसकर्मी दोषी करार; चंडीगढ़ सीबीआई कोर्ट ने सुनाया फैसला, यहां देखें पूरा मामला
बाबूशाही ब्यूरो, 18 जनवरी 2025
शिमला। शिमला जिले के कोटखाई में वर्ष 2017 में
हुए बहुचर्चित गुड़िया दुष्कर्म व हत्याकांड में गिरफ्तार आरोपी सूरज की लॉकअप में हत्या के मामले में शनिवार को फैसला आया है। चंडीगढ़ सीबीआई कोर्ट ने शिमला के पूर्व आईजी आईपीएस जहूर हैदर जैदी समेत आठ पुलिस अफसरों और कर्मचारियों को दोषी करार दिया है। वहीं, गवाहों के बयान व सबूतों के अभाव में नामजद तत्कालीन एसपी डीडब्ल्यू नेगी को बरी कर दिया गया है। सभी दोषियों को 27 जनवरी को सजा सुनाई जाएगी। दोषी करार देने के बाद पुलिस ने जैदी के अलावा तत्कालीन डीएसपी मनोज जोशी, पुलिस सब इंस्पेक्टर राजिंद्र सिंह, एएसआई दीप चंद शर्मा, मानक मुख्य आरक्षी मोहन लाल व सूरत सिंह, मुख्य आरक्षी रफी मोहम्मद और कांस्टेबल रनीत सटेटा को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
बता दें कि आरोपी सूरज की गुड़िया हत्याकांड के 14 दिन बाद कोटखाई थाने के लॉकअप में हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने हत्या का आरोप दूसरे मुलजिम पर लगाया था। इस पर गुस्साए लोगों ने थाने समेत कई गाड़ियां फूंक दी थीं।
गौरतलब है कि शिमला जिले के कोटखाई में 4 जुलाई 2017 को लापता हुई 16 वर्षीय छात्रा का शव कोटखाई के तांदी के जंगल में निर्वस्त्र मिला था। मामले की जांच के लिए शिमला के तत्कालीन आईजी जैदी की अध्यक्षता में एसआईटी गठित की थी, जिसने सात आरोपियों को गिरफ्तार किया था। इनमें से एक आरोपी नेपाली युवक सूरज की कोटखाई थाने में पुलिस हिरासत के दौरान लॉकअप में मौत हो गई थी। मौत का यह मामला जांच के लिए सीबीआई को सौंप दिया गया। सीबीआई जांच में खुलासा हुआ कि सूरज की मौत पुलिस प्रताड़ना के कारण हुई थी। इसी आधार पर सीबीआई ने आईजी जैदी सहित मामले से जुड़े नौ अन्य पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ हत्या की धारा 302, सुबूत खुर्द-बुर्द करने की धारा 201 सहित अन्य कई संगीन धाराओं के तहत केस दर्ज किया था। वर्ष 2017 में इस मामले को शिमला जिला अदालत से चंडीगढ़ सीबीआई अदालत में ट्रांसफर कर दिया गया।
मामले में 13 दिसंबर को शिकायतकर्ता सीबीआई पक्ष, 16 को आरोपी जैदी, 17 को दीप चंद शर्मा, मोहन लाल, 18 को सूरत सिंह, 19 को मनोज जोशी व डीडब्ल्यू नेगी, 20 दिसंबर को राजिंद्र सिंह, रफी मोहम्मद व रनीत सटेटा की गवाही व आखिरी बहस हुई थी। कोर्ट ने आरोपी संख्या 5 और 7 ने अलग-अलग बयान देकर अपने बचाव साक्ष्यों को बंद कर दिया था। आरोपी 8 के अधिवक्ता ने भी अलग-अलग बयान देकर अभियुक्तों की ओर से बचाव साक्ष्य को बंद कर दिया, जबकि आरोपी 9 ने अलग-अलग दस्तावेज प्रस्तुत करते हुए बयान देकर साक्ष्य बंद कर दिया था।
आरोपी नंबर-तीन द्वारा बार-बार कोर्ट में आवेदन दायर करने के इस मामले में देरी हुई। इस मामले में एसएचओ कोटखाई थाने के तीन बयान बयान दर्ज हुए। 16 जनवरी को हुई सुनवाई में कोर्ट ने तीन नंबर आरोपी के बयान व साक्ष्य भी बंद कर दिए थे और ऑर्डर के लिए पहले ही 18 जनवरी तारीख फिक्स कर दी थी। शनिवार को हुई सुनवाई के दौरान मामले में नामजद सारे आरोपी कोर्ट में मौजूद थे। कोर्ट ने सभी पक्षों द्वारा दी गई दलीलों, गवाहों के बयान व सबूतों के आधार पर जैदी और डीएसपी सहित आठ आरोपियों को दोषी करार दे दिया, जबकि एसपी नेगी को बरी कर दिया।
गुड़िया मुख्य हत्याकांड में नीलू को हुई है उम्रकैद
बहुचर्चित गुड़िया मामले में सत्र एवं जिला न्यायाधीश शिमला राजीव भारद्वाज की विशेष अदालत ने 18 जून 2021 को दोषी करार अनिल कुमार उर्फ नीलू उर्फ कमलेश को नाबालिग से दुष्कर्म और हत्या की धाराओं के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। अप्रैल 2018 में सीबीआई ने चिरानी नीलू को गिरफ्तार किया था। 28 अप्रैल 2021 को शिमला की विशेष अदालत ने दोषी करार दिया था।
नवंबर 2019 में बहाल हो गए थे आरोपी पुलिस अधिकारी
शिमला। सूरज लॉकअप हत्याकांड के आरोपी पुलिस अधिकारी आईजी जैदी, एसपी डीडब्ल्यू नेगी और डीएसपी मनोज जोशी को अगस्त 2017 में गिरफ्तारी के बाद निलंबित कर दिया था। करीब दो साल दो महीने बाद नवंबर 2019 में सरकार ने इन्हें नियमों के आधार पर बहाल कर दिया था।
आईजी जैदी का 2 नवंबर, जबकि नेगी और जोशी का निलंबन 16 नवंबर से वापस लिया गया था। तीनों को जमानत मिलने के बावजूद तुरंत बहाल नहीं किया गया और सरकार ने दो बार निलंबन आगे बढ़ा दिया था।
582 दिन शिमला की कंडा जेल में रहे जहूर जैदी
जहूर हैदर जैदी 1994 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। वह उस एसआईटी के प्रमुख थे, जिसे कोटखाई गुड़िया कांड की जांच का जिम्मा सौंपा गया था। सीबीआई ने अगस्त 2017 में उन्हें सूरज की मौत के मामले में गिरफ्तार किया। जैदी 582 दिन तक शिमला के कंडा जेल में रहे। अप्रैल 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी। जमानत के बाद भी उनके खिलाफ ट्रायल जारी रहा। जनवरी 2020 में तत्कालीन भाजपा सरकार ने उन्हें निलंबित कर दिया। तीन साल के निलंबन के बाद जनवरी 2023 में कांग्रेस सरकार ने उनकी सेवाएं बहाल कर दीं। सितंबर 2023 में उन्हें पुलिस विभाग में तैनाती दी गई थी।
जानिए मामले में कब क्या हुआ...
गुड़िया मामले से जुड़े सूरज हत्याकांड में संतरी दिनेश शर्मा अहम कड़ी निकला। शुरू में सीबीआई ने भी उस पर ज्यादा फोकस नहीं किया। संतरी दिनेश शर्मा बहुत डरा हुआ था। यह उसी लॉकअप की निगरानी में नियुक्त था, जिसमें नेपाली सूरज की हत्या हुई थी। सूरज हत्याकांड के बाद सस्पेंड हुआ तो उसने खुद को एक कमरे में बंद कर लिया था। उसे डर था कि उसकी जान पर भी संकट आ सकता है। पुलिस अधिकारी खुद उसे फंसाने की योजना बना चुके थे कि उसकी निगरानी होने के बावजूद एक अन्य आरोपी ने सूरज को लॉकअप के अंदर मौत के घाट उतार दिया। संतरी तनाव में था।
गुड़िया और सूरज मामले में कब-कब क्या हुआ
4 जुलाई 2017 : महासू स्कूल से घर जा रही 16 वर्षीय लड़की गुड़िया (काल्पनिक नाम) लापता हो गई।
6 जुलाई 2017 : कोटखाई के दांदी जंगल में गुड़िया का शव मिला। पुलिस ने दुष्कर्म के बाद हत्या का शक जताया।
8 जुलाई 2017 : मौके पर पहुंचे एसपी। 72 घंटे बाद भी कोई सुराग नहीं लगने पर जनाक्रोश बढ़ा।
9 जुलाई 2017 : कई लोगों से पूछताछ के बाद भी कोई गिरफ्तारी नहीं होने पर सीबीआई जांच की उठी मांग।
10 जुलाई 2017 : सरकार ने बढ़ते जनाक्रोश के बाद जांच के लिए एसआईटी का किया गठन।
11 जुलाई 2017 : पीड़ित परिवार को पांच लाख रुपये का मुआवजा दिया गया। आरोपी को पकड़वाने के लिए एक लाख रुपये का इनाम घोषित हुआ।
12 जुलाई 2017 : तत्कालीन मुख्यमंत्री के फेसबुक पेज पर कुछ कथित आरोपियों के फोटो वायरल हुए।
13 जुलाई 2017 : एसआईटी ने छह लोगों आशीष, राजू, सुभाष, सूरज, लोकजन, दीपक को गिरफ्तार किया।
14 जुलाई 2017 : जांच के विरोध में ठियोग पुलिस थाना पर पथराव हुआ। गाड़ियां ताेड़ी गईं। तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने केस सीबीआई को सौंपने का एलान किया।
15 जुलाई 2017 : दो और लोगों के सैंपल जांच के लिए एकत्र किए। मुख्यमंत्री ने सीबीआई जांच के लिए प्रधानमंत्री को लिखा पत्र।
16 जुलाई 2017 : दांदी जंगल में लोगों ने किया हवन। मामले की जांच के लिए जंगल में पहुंची एसआईटी।
17 जुलाई 2017 : दिल्ली से मुंबई तक जस्टिस फॉर गुड़िया की मांग को लेकर हुए प्रदर्शन। भाजपा नेताओं ने राजभवन पहुंचकर सरकार काे बर्खास्त करने की उठाई मांग।
18 जुलाई 2017 : कोटखाई पुलिस थाना में रात को इंटेरोगेशन के दौरान एक आरोपी सूरज की मौत हो गई। जनता ने थाने को घेरकर आग लगाने का प्रयास किया। कई पुलिस कर्मी हुए घायल।
22 जुलाई 2017 : सीबीआई ने दिल्ली में गुड़िया गैंगरेप और सूरज मौत मामले में केस दर्ज किया।
29 अगस्त 2017: सीबीआई ने सूरज हत्या मामले में आईजी जहूर एच जैदी, डीएसपी जोशी समेत आठ पुलिस कर्मी गिरफ्तार किए।
16 नवंबर 2017 : सूरज मौत मामले में ही पुलिस अधीक्षक डीडब्ल्यू नेगी को सीबीआई ने गिरफ्तार किया।
28 मार्च 2018 : हाईकोर्ट ने सुस्त जांच प्रक्रिया को लेकर अधिकारियों को फटकार लगाई और सीबीआई निदेशक को तलब किया।
29 मार्च 2018 : गुड़िया केस में हाईकोर्ट में फिर सुनवाई हुई। सीबीआई ने 25 अप्रैल से पहले गुड़िया के कातिल को पकड़ने का दावा किया।
13 अप्रैल 2018 : सीबीआई ने गुड़िया मामले में एक आरोपी को गिरफ्तार किया। कोर्ट में पेश कर उसे रिमांड पर लिया और दिल्ली ले गई।
22 अप्रैल 2018 : सीबीआई आरोपी को लेकर दिल्ली से शिमला पहुंची।
23 अप्रैल 2018 : आरोपी को सीबीआई मौके की निशानदेही के लिए दादी जंगल ले गई।
18 जून 2021 : गुड़िया से रेप के आरोपी नीलू को उम्र कैद की सजा सुनाई गई।
अप्रैल 2019 : जहूर एच जैदी को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत। जारी रहा ट्रायल।
जनवरी 2020 : भाजपा की तत्कालीन सरकार ने जैदी को निलंबित किया।
जनवरी 2023 : कांग्रेस सरकार ने जैदी की सेवाएं बहाल कीं।
सितंबर 2023 : जैदी को पुलिस मुख्यालय में बताैर आईजी तैनाती दी गई।
दोषी करार पुलिस कर्मियों की नौकरी पर संकट
दोषी करार पुलिस कर्मियों की नौकरी पर संकट गहरा गया है। डीएसपी मनोज जोशी मौजूदा समय में छठी आईआरबी कोलर में तैनात है। एसआई राजेंद्र सिंह एसडीआरएफ में सेवाएं दे रहा है। एएसआई दीपचंद शर्मा सेवानिवृत हो गया है। एचएचसी मोहन लाल, एचएचसी सूरत सिंह, हेड कांस्टेबल रफी मुहम्मद और कांस्टेबल रनीत स्टेटा शिमला की पुलिस लाइन कैथू में सेवारत हैं।
मुख्यमंत्री बोले- फैसले पर करेंगे अध्ययन, किसी को गलत सजा न हो
सीबीआई की विशेष अदालत का फैसला आने के बाद मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि हम अदालत के निर्णय का सम्मान करते हैं। हालांकि, मैंने अभी पूरा फैसला पढ़ा नहीं है, लेकिन यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी पुलिसकर्मी को गलत तरीके से सजा न मिले। मामले का पूरी तरह से अध्ययन किया जाएगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पुलिस ने अपना दायित्व सही तरीके से निभाया है। (SBP)
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