हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग ने वसीयत सत्यापन में पाई गंभीर अनियमितताएं, शिकायतकर्ता को मिलेगा 5 हजार रुपये का मुआवजा
बाबूशाही ब्यूरो
चंडीगढ़, 25 अप्रैल – हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग ने करनाल स्थित एस्टेट ऑफिस में पंजीकृत वसीयतों के सत्यापन में गंभीर अनियमितताओं और पक्षपातपूर्ण आचरण की जांच की है। आयोग ने इस मामले में सहायक जिला अटॉर्नी श्री अवतार सिंह सैनी की भूमिका को असंगत और जवाबदेही से परे पाया है।
आयोग के प्रवक्ता ने बताया कि जांच में यह सामने आया कि सत्यापन प्रक्रिया में एकरूपता का पालन नहीं किया गया, और चुनिंदा आवेदकों को अनावश्यक रूप से परेशान किया गया। रिकॉर्ड की समीक्षा में यह भी पाया गया कि अधिकांश फाइलों में टिप्पणियां लगभग एक जैसी थीं, जिससे यह कहना मुश्किल था कि सत्यापन प्रक्रिया वास्तव में संपन्न हुई थी या नहीं। आयोग ने यह निष्कर्ष निकाला कि यह मामला किसी एक कर्मचारी की लापरवाही का नहीं, बल्कि एक संगठित उत्पीड़न का परिणाम था, जिसमें सहायकों की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई।
आयोग ने सहायक जिला अटॉर्नी के तर्कों को खारिज करते हुए यह स्पष्ट किया कि भले ही उनकी सिफारिशें निर्णायक न हों, लेकिन इससे वे अपनी जिम्मेदारी से मुक्त नहीं हो सकते। आयोग ने नगर एवं ग्राम आयोजना विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को निर्देश दिए हैं कि वे सहायक जिला अटॉर्नी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करें और 30 दिनों के भीतर इस संबंध में की गई कार्रवाई की सूचना आयोग को दें।
आयोग ने इस मामले में हरियाणा सेवा का अधिकार अधिनियम, 2014 की धारा 17(1)(एच) के तहत कार्यवाही करते हुए शिकायतकर्ता श्री सतीश कुमार अग्रवाल को 5 हजार रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया। यह मुआवजा हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के फंड से प्रदान किया जाएगा और बाद में यह राशि दोषी अधिकारियों से वसूल की जाएगी।
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