एंबुलेंस को रास्ता देने पर न कटे चालान: समाजसेवी आरके गर्ग ने 194ई के सही क्रियान्वयन की मांग की
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 13 अप्रैल 2025:
प्रसिद्ध समाजसेवी और आरटीआई कार्यकर्ता आर.के. गर्ग ने ट्रैफिक नियम धारा 194ई के दुरुपयोग पर सवाल उठाते हुए कहा है कि एंबुलेंस या फायर सर्विस जैसी आपातकालीन सेवाओं को रास्ता देने पर अगर कोई वाहन रेड लाइट जंप करता है, तो उस पर चालान नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने इसे जनता की जागरूकता और प्रशासन की जिम्मेदारी का विषय बताया है।
गर्ग ने बताया कि एक आरटीआई सूचना के अनुसार, पूरे 2024 में केवल चार चालान ही धारा 194ई के तहत कटे, जो दिखाता है कि इस नियम का क्रियान्वयन बेहद कमजोर है। उन्होंने कहा, "हकीकत यह है कि अधिकतर लोग फायर ब्रिगेड या एंबुलेंस को रास्ता देते हैं, लेकिन उसके चलते रेड लाइट जंप करने पर उन्हें चालान थमा दिया जाता है। इसके बाद चालान को रद्द करवाने के लिए लोगों को बार-बार ट्रैफिक ऑफिस के चक्कर लगाने पड़ते हैं।"
चालान से पहले हो पूरी जांच
आरके गर्ग का कहना है कि ट्रैफिक पुलिस को चालान जारी करने से पहले पूरा वीडियो फुटेज ध्यान से देखना चाहिए, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि वाहन चालक ने रेड लाइट क्यों जंप की। यदि संदेह हो, तो मामला सीनियर ऑफिसर या ट्रैफिक एक्सपर्ट के पास भेजा जाना चाहिए, जैसे कि क्रिकेट में थर्ड अंपायर से राय ली जाती है।
आम नागरिकों को मिले राहत
गर्ग ने यह भी सुझाव दिया कि अगर कोई वाहन एम्बुलेंस या फायर सर्विस को रास्ता देने के लिए ट्रैफिक नियम तोड़ता है, तो यह पुलिस की जिम्मेदारी होनी चाहिए कि उसका चालान स्वतः रद्द किया जाए। उन्होंने कहा, "पब्लिक को यह साफ जानकारी दी जाए कि ऐसी स्थिति में उनका चालान नहीं कटेगा, और अगर कट भी गया, तो वह खुद-ब-खुद निरस्त होगा।"
194ई के दायरे को स्पष्ट करें प्रशासन
समाजसेवी ने यह सवाल भी उठाया कि 194 ई के तहत इमरजेंसी व्हीकल में कौन-कौन शामिल हैं, इसका स्पष्ट निर्धारण किया जाना चाहिए। चंडीगढ़ प्रशासन और ट्रैफिक पुलिस को चाहिए कि वे अपनी वेबसाइट पर सूची जारी करें, ताकि आम जनता जान सके कि किन वाहनों को प्राथमिकता देनी है। साथ ही, गर्ग ने यह सुझाव भी दिया कि अगर किसी क्षेत्र में इमरजेंसी वाहन गुजरने वाले हों, तो उसे डिजिटल प्लेटफॉर्म्स या ट्रैफिक संकेतकों के जरिए लोगों को बताया जाए।
लोगों में जागरूकता जरूरी
आरके गर्ग ने अंत में कहा कि “अगर प्रशासन और ट्रैफिक पुलिस इस दिशा में उचित कदम उठाएं, तो न केवल आपातकालीन सेवाओं की गति बेहतर होगी, बल्कि आम जनता को भी अनावश्यक चालानों से राहत मिलेगी। साथ ही, नागरिकों का भरोसा भी ट्रैफिक व्यवस्था में बढ़ेगा।” ट्रैफिक नियमों का उद्देश्य केवल चालान करना नहीं, बल्कि सड़क पर संवेदनशीलता और सहयोग की भावना को बढ़ाना है। ऐसे में, नियमों का व्यावहारिक और मानवीय क्रियान्वयन आज की सबसे बड़ी जरूरत है।
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