फ़िलहाल बीजेपी को समर्थन दिया, BJP में शामिल नही हुई; हिसार विधायक सावित्री जिदंल
सावित्री जिंदल 1966 के बाद चौथी निर्दलीय महिला mla बनी
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 13 अक्तूबर। पूर्व मंत्री और हिसार सीट से निर्दलीय विधायक बनीं सावित्री जिदंल ने कहा कि वह अभी बीजेपी में शामिल नहीं हो रही हैं बल्कि केवल सरकार को समर्थन दिया है। उन्होंने कहा कि उनका मकसद हिसार का विकास करना है। सावित्री जिंदल हिसार की अनाज मंडी का दौरा करने गईं थी। इसी दौरान उन्होंने मीडिया से बातचीत के दौरान ये बात कही।
बीजेपी में शामिल होने के जवाब में सावित्री जिंदल ने कहा कि उन्होंने सरकार को समर्थन दिया है, बीजेपी में शामिल नहीं हुई हैं। उनकी प्राथमिकता हिसार का विकास है. बीजेपी में शामिल होने का फैसला नहीं किया।
सावित्री जिंदल ने कहा कि अभी उनसे इस मुद्दे पर कोई बात नहीं हुई है। क्या वो मंत्री बनने को तैयार हैं, तो इस सवाल के जवाब में उन्होंने हंसते हुए कहा कि अगर मंत्री पद मिलता है तो ले लेंगे. मिलने वाली चीज को कौन छोड़ता है. उन्होंने आगे कहा कि अभी इस बारे में मैने कुछ सोचा नहीं है, ना ही उसे इस बारे में बात की गई है.
सावित्री जिंदल लोकसभा चुनाव के समय कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गईं थी. विधानसभा चुनाव में जब उन्हें टिकट नहीं मिला तो वो निर्दलीय चुनाव लड़ गईं और जीत हासिल करके विधायक बन गईं. सावित्री जिंदल ने बीजेपी के कमल गुप्ता को हराया। जीतने के बाद उन्होंने बीजेपी सरकार को समर्थन देने का ऐलान कर दिया. हलांकि दोबारा बीजेपी में शामिल होने का फैसला उन्होंने अभी नहीं किया।
हरियाणा के सभी 14 विधानसभा आम चुनावो के आधिकारिक आंकड़ों के ताज़ा विधानसभा आम चुनाव में हिसार सीट से निर्दलीय के तौर निर्वाचित हुई सावित्री जिंदल हरियाणा विधानसभा के इतिहास में चौथी निर्दलीय महिला विधायक बनी है। इससे पूर्व वर्ष 1982 में हरियाणा विधानसभा आम चुनाव में बल्लभगढ़ हलके से शारदा रानी, वर्ष 1987 आम चुनाव में झज्जर सीट से कुमारी मेधवी और वर्ष 2005 चुनाव में बावल हलके से शकुंतला भगवाड़ीया ही निर्दलीय महिला विधायक रही हैं।
वर्ष 1967 और वर्ष 1982 में हुए हरियाणा विधानसभा के आम चुनावों में सर्वाधिक 16-16 निर्दलीय विधायक विजयी हुए थे जबकि वर्ष 1968 चुनावों में केवल 6 निर्दलीय विधायक जीत कर प्रदेश विधानसभा पहुंचे थे। वर्ष 1972 और 2000 विधानसभा आम चुनावों में 11-11 निर्दलीय विधायक चुने गए जबकि वर्ष 1977, 1987, 2009 और 2019 के विधानसभा आम चुनावों में 7-7 निर्दलीय विधायक निर्वाचित हुए . वर्ष 1991 और 2014 के चुनावों में 5-5 निर्दलीय विधायक सदन में पहुंचे हालांकि वर्ष 1996 और 2005 के विधानसभा चुनावों में 10-10 निर्दलीय विधायक बने. इस प्रकार अबकी बार वर्ष 2024 में प्रदेश के 58 वर्ष के इतिहास में सबसे कम 3 निर्दलीय विधायक निर्वाचित हुए हैं जिसमें हिसार हलके से सावित्री जिंदल के अलावा गन्नौर सीट से देवेन्द्र कादयान और बहादुरगढ़ हलके से राजेश जून शामिल हैं।
वर्ष 1982, 2009 और 2019 हरियाणा विधानसभा आम चुनावों में प्रदेश में नई सरकार के गठन में निर्दलीय विधायकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। निर्दलीय के रूप में चुनाव जीतकर विधायक बना व्यक्ति प्रदेश में बनी सरकार को बाहर से समर्थन दे सकता है परन्तु अगर वह औपचारिक रूप से सत्तारूढ़ राजनीतिक पार्टी या फिर सदन में किसी विपक्षी पार्टी में भी शामिल हो जाता है, तो दल बदल विरोधी कानून में उस निर्दलीय विधायक की विधानसभा सदस्यता समाप्त हो सकती है जैसे आज से बीस वर्ष पूर्व जून, 2004 में हरियाणा के 4 तत्कालीन निर्दलियों विधायकों- भीम सेन मेहता, जय प्रकाश गुप्ता, राजिंदर बिसला और देव राज दीवान के कथित रूप से कांग्रेस पार्टी में शामिल होने के कारण उन्हें तत्कालीन स्पीकर सतबीर कादयान द्वारा तत्कालीन विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया था जिसे बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी वर्ष 2006 में सही ठहराया था।
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