नागरिकता संकट: न यहां के, न वहां के!
बाबूशाही ब्यूरो
ऑकलैंड, 15 फरवरी 2025: न्यूजीलैंड में जन्मे 18 वर्षीय दमन कुमार को अब अपने माता-पिता के देश भारत भेजने का आदेश दिया गया है। कानूनी भूल और जटिल नियमों के कारण उन्हें इस देश की नागरिकता नहीं मिल रही। दमन को दो बार यहां रहने की इजाजत दी गई थी, लेकिन अब सभी रास्ते बंद हो चुके हैं। यदि उन्होंने आदेश का पालन नहीं किया, तो उन्हें निर्वासित किया जा सकता है।
**परिवार की पीड़ा:**
दमन कुमार की 22 वर्षीय बहन न्यूजीलैंड की नागरिक हैं, क्योंकि उनका जन्म 1 जनवरी 2006 से पहले हुआ था। लेकिन दमन के जन्म के समय उनके माता-पिता अवैध रूप से रह रहे थे, जिसके कारण वे नागरिकता के पात्र नहीं हो सके। परिवार ने एसोसिएट इमिग्रेशन मिनिस्टर क्रिस पेंक से अनुरोध किया, लेकिन उसे खारिज कर दिया गया।
**कानून और विवाद:**
इमिग्रेशन न्यूजीलैंड के महाप्रबंधक स्टीव वॉटसन ने कहा कि 2006 के बाद जन्म लेने वाले बच्चों के लिए उनके माता-पिता का कानूनी दर्जा अहम है। दमन की मां सुनीता देवी के पास वैध वीज़ा नहीं था, इसलिए दमन को भी निवास की अनुमति नहीं मिली। पहले भी परिवार को दो बार समय दिया गया था, लेकिन अब उन्हें जल्द ही देश छोड़ना होगा।
**न इधर के, न उधर के!**
दमन ने मीडिया को बताया कि उन्होंने हमेशा न्यूजीलैंड को अपना घर माना, और अब भारत भेजे जाने से उनका भविष्य अनिश्चित हो जाएगा। वे पंजाबी भाषा भी नहीं जानते, और भारत में उनका कोई संपर्क नहीं है। उनकी बहन राधिका ने कहा कि सरकार को मानवीय आधार पर इस निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए।
**सामाजिक समर्थन और राजनीतिक दबाव:**
ग्रीन पार्टी के आव्रजन प्रवक्ता रिकार्डो मेनेंडेज़ ने मंत्री पेनक से पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है। इस मामले को राष्ट्रीय मीडिया ने "बेहद शर्मनाक" बताया, जबकि कई वकीलों और मानवाधिकार संगठनों ने भी इसका विरोध किया है। सोशल मीडिया पर भी लोग इस फैसले की आलोचना कर रहे हैं और इसे 'अन्याय' करार दे रहे हैं।
अब यह देखना होगा कि क्या सरकार इस कानूनी उलझन से बाहर निकलने का कोई रास्ता निकालती है या नहीं।
अपने शहर की खबरें Whatsapp पर पढ़ने के लिए Click Here →
Click to Follow हिन्दी बाबूशाही फेसबुक पेज →