टीएवीआर बिना सर्जरी के बुजुर्ग लोगों के हृदय में एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट का एक प्रभावी और सुरक्षित विकल्प है।
- बुजुर्गों में हृदय वाल्व खराब होने का इलाज बिना सर्जरी के सुरक्षित रूप से किया जा सकता है, डॉ. बाली
- डॉ. बाली ने 50 बुजुर्ग मरीजों का सफलतापूर्वक इलाज किया
हरजिंदर सिंह भट्टी
चंडीगढ़, 15 फरवरी
इंसान के हृदय में चार वाल्व होते हैं जो खून के बहाव को कंट्रोल करते हैं, पर कई बार ठीक तरीके से खुल व बंद नहीं हो पाते, जिसके कारण कारण हृदय शरीर के अंगों तक पर्याप्त खून नहीं पहुंचा पाता है जोकी जानलेवा हो सकता है, इस गंभीर रोग को एओर्टिक स्टेनोसिस कहते हैं ।
एओर्टिक स्टेनोसिस से ग्रस्त पंचकूला निवासी 87 वर्षीय तारा चंद (बदला हुआ नाम) वर्ष 2024 में गंभीर स्थिति में अस्पताल पहुंचा, बचने की उम्मीद कम थी, उम्र जायदा होने के साथ साथ अन्य गंभीर बीमारियों के कारण हार्ट सर्जरी संभव नहीं थी । डॉ बाली ने उनके हृदय के एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट के लिए गैर-सर्जिकल प्रक्रिया टीएवीआर का उपयोग करते हुए इलाज कर दिया और आज वे हमारे बीच में स्वस्थ जीवन जी रहे हैं ।
टीएवीआर - ट्रांसकेथेटर एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट के माध्यम से ठीक हो चुके 70 से 85 साल के हृदय रोगियों की उपस्थिति में इस गैर-सर्जिकल प्रक्रिया की विस्तृत जानकारी देते कार्डियक साइंसेज लिवासा ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के अध्यक्ष डॉ. एच. के. बाली ने कहा यह मिनिमल इनवेसिव प्रक्रिया है और जिसके तहत बिना ओपन हार्ट सर्जरी के पुराने (खराब), क्षतिग्रस्त वाल्व को हटाए बिना एक नया वाल्व रोगग्रस्त वाल्व के अंदर रखा गया है।
टीएवीआर सफल उपचार प्रक्रिया इसलिए भी है क्यूंकी एओर्टिक स्टेनोसिस मुख्य रूप से बुजुर्ग रोगियों में जायदा पाया जाता है और अक्सर ये किडनी यां फेफड़े यां शुगर, आदि गंभीर बीमारियों से ग्रस्त होते हैं यां पहले ही वाल्व डलवा चुके होते है इसलिए उन्मे ओपन हार्ट सर्जरी के माध्यम से सर्जिकल वाल्व डालना खतरे से खाली नहीं होता ।
प्रारंभ में, टीएवीआर केवल उन रोगियों में किया गया था जिनमे ओपन हार्ट सर्जरी से वाल्व डालना उनकी जान के लिए खतरनाक था । डॉ. बाली ने कहा कि बढ़ते अनुभव और बेहतर वाल्वों की उपलब्धता के साथ, अब एओर्टिक स्टेनोसिस से ग्रस्त बुजुर्ग रोगियों के इलाज के लिए टीएवीआर को प्राथमिकता दी जा रही है।
पिछले कुछ सालों में 50 से अधिक बजुर्गों का टीएवीआर के माध्यम से इलाज कर चुके डॉ. बाली ने कहा कि भारत में एओर्टिक स्टेनोसिस लगातार बढ़ रहा है विशेष रूप से बुजुर्ग लोगों में । 80 वर्ष से अधिक आयु के दो प्रतिशत लोगों और 90 वर्ष से अधिक आयु के चार प्रतिशत लोगों में यह पाया जाता है । ऐसी स्थितियों में टीएवीआर प्रभावी और सुरक्षित विकल्प के रूप में उभरा है जिसकी पूरी प्रक्रिया कुछ घंटों में समाप्त हो जाती है। रोगी को अगले दिन एम्बुलेटरी किया जाता है और 2 या 3 दिनों में छुट्टी दे दी जाती है।
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