Kullu Lit Fest 2025 : कुल्लू साहित्य उत्सव 8-10 मार्च तक, भाषा एवं संस्कृति सचिव राकेश कंवर करेंगे शुभारंभ
‘भक्तिकाल में सूफी एवं निर्गुण धारा’ होगा मुख्य विषय, अनेक विशेषज्ञ वक्ता देंगे वक्तव्य
शशिभूषण पुरोहित
कुल्लू, 3 मार्च 2025। गत वर्ष की भांति इस वर्ष भी कुल्लू साहित्य उत्सव-2025 का आयोजन 8 से 10 मार्च को कुल्लू जिला मुख्यालय स्थित देवसदन के सभागार में होगा। हिमतरु प्रकाशन समिति तथा भाषा एवं संस्कृति विभाग, शिमला के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस उत्सव का शुभारंभ भाषा एवं संस्कृति विभाग, हिमाचल प्रदेश सरकार के सचिव राकेश कंवर करेंगे। यह जानकारी वरिष्ठ साहित्य एवं समीक्षक एवं कुल्लू साहित्य उत्सव कोर कमेटी के प्रमुख डॉ. निरंजन देव शर्मा ने दी।
डॉ. निरंजन देव शर्मा ने बताया कि इस बार के कुल्लू साहित्य उत्सव का मुख्य विषय ‘भक्ति काल में सूफी और निर्गुण धारा’ रखा गया है तथा साथ ही पर्यावरण और योग व अन्य सम्बद्ध विषयों पर विशेषज्ञ वक्ता अपना वक्तव्य देंगे। उन्होंने बताया कि आमंत्रित वक्ताओं में लखनऊ से डॉ. सुभाष राय, चंडीगढ़ से प्रो. ईश्वर दयाल गौड़, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से डॉ. अशीष त्रिपाठी तथा ऊना से ज़ाहिद अबरोल शामिल होंगे, जबकि पर्यावरण एवं हिमाचल की चिंताएं विषय पर पर्यावरणविद गुमान सिंह, डॉ. मही योगश तथा डॉ. संजू पॉल महत्तवपूर्ण वक्तव्य देंगे।
निरंजन देव ने बताया कि चूंकि यह साहित्य उत्सव जिला मुख्यालय कुल्लू में आयोजित हो रहा है, इसलिए 2024-25 में प्रकाशित तीन महत्तवपूर्ण पुस्तकों पर वक्तव्य और परिचर्चा रखी गई है, जिनमें; अजेय की पुस्तक ‘रोहतांग आर-पार’, ईशिता आर. गिरीश की पुस्तक ‘सुंगसुरई और सपनों का ट्रांसमिशन’ तथा किशन श्रीमान की पुस्तक ‘देव नगरी’ को शामिल किया गया है। उन्होंने बताया कि इस दौरान 8, 9 मार्च को पुस्तक प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी, जिसके लिए कुछ प्रमुख प्रकाशन संस्थानों को आमंत्रित किया गया है।
डॉ. निरंजन ने बताया कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य युवाओं एवं नवोदित लेखकों को पठन-पाठन एवं साहित्य-कला-संस्कृति, पर्यावरण, सामाजिक मुद्दों व सम्बद्ध विषयों को लेकर जागरुक करना है, इसलिए स्थानीय सभी महाविद्यालयों एवं प्रमुख शिक्षण संस्थानों व विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों एवं शोधार्थियां की भागिदारी सुनिश्चित की गई है। उन्होंने बताया कि उत्सव की प्रथम संध्या में सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे, जिसमें राजस्थानी घुमंतू कलाकारों द्वारा सूफी संगीत की प्रस्तुतियां दी जाएंगी।
तीसरा एवं अंतिम दिन विरासत यात्रा का रहेगा, उस दौरान भी साहित्य-कला-संस्कृति, पर्यावरण एवं सम्बद्ध विषयों पर चर्चा होगी।
उन्होंने प्रदेश के समस्त साहित्य-कला-संस्कृति, पर्यावरण एवं संगीत प्रेमियों से इस उत्सव में सम्मिलित होने की अपील की है।
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