बिजली विभाग का निजीकरण: कर्मचारी विरोध पर अड़े, 24 जनवरी को प्रशासक को ज्ञापन सौंपेंगे
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 20 जनवरी। बिजली विभाग के निजीकरण के विरोध में विभाग के कर्मचारी पूरी तरह से अडिग हैं और आंदोलन तेज करने का ऐलान कर दिया है। कर्मचारियों ने निजीकरण के फैसले को लेकर प्रशासक और प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि यह फैसला न केवल कर्मचारियों के संवैधानिक अधिकारों का हनन है बल्कि आम जनता के हितों के भी खिलाफ है।
ज्ञापन और देशव्यापी प्रदर्शन का ऐलान
- 24 जनवरी: बिजली कर्मचारी प्रशासक को 1 लाख उपभोक्ताओं के हस्ताक्षरों का ज्ञापन सौंपेंगे, जिसमें निजीकरण का विरोध दर्ज किया जाएगा।
- 31 जनवरी: पूरे देश में बिजली कर्मी निजीकरण के खिलाफ व्यापक प्रदर्शन करेंगे।
विरोध के मुख्य बिंदु
- एलओआई रद्द करने की मांग: यूनियन के नेताओं ने आरोप लगाया कि गैर-कानूनी तरीके से कंपनी को जारी की गई एलओआई (लेटर ऑफ इंटेंट) को तुरंत रद्द किया जाए।
- सेवा शर्तों का निर्धारण: कर्मचारियों की सेवा शर्तों को तय किए बिना और उनकी मर्जी के खिलाफ निजी कंपनी के हवाले करना पूरी तरह से गलत है।
- ट्रांसफर पॉलिसी: प्रशासन पर आरोप लगाया गया कि चार साल बाद भी ट्रांसफर पॉलिसी को सार्वजनिक नहीं किया गया।
- रिजर्वेशन और वेतन विसंगति: वक्ताओं ने सवाल किया कि क्या निजी कंपनी अनुसूचित जाति, ओबीसी, एसटी और ईडब्ल्यूएस जैसी रिजर्वेशन नीतियों को लागू करेगी?
कर्मचारियों का तर्क
यूनियन के अध्यक्ष अमरीक सिंह और महासचिव गोपाल दत्त जोशी ने कहा कि प्रशासन निजीकरण के माध्यम से मुनाफे में चल रहे बिजली विभाग को "कोड़ियों के भाव" निजी कंपनी को सौंपने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने कहा कि निजी ऑपरेटर जनता और कर्मचारियों के हितों को नजरअंदाज कर केवल अपने मुनाफे के लिए काम करते हैं।
चेतावनी और कार्य बहिष्कार की घोषणा
वक्ताओं ने स्पष्ट रूप से कहा कि यदि प्रशासन ने कर्मचारियों की पॉलिसी बनाए बिना विभाग को हैंडओवर किया, तो कर्मचारी तुरंत कार्य बहिष्कार करेंगे। उन्होंने कहा कि इससे आम जनता को होने वाली परेशानी के लिए प्रशासन की अड़ियल नीति जिम्मेदार होगी।
आगे की रणनीति
- प्रशासन से अपील: कर्मचारियों ने प्रशासक से मांग की है कि वह कर्मचारियों की चिंताओं को प्राथमिकता दें और उनकी सेवा शर्तों का समाधान करें।
- कार्य बहिष्कार की तैयारी: कर्मचारियों ने चेतावनी दी कि यदि मांगें नहीं मानी गईं तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।
बिजली विभाग के निजीकरण को लेकर चल रहा यह विवाद न केवल प्रशासन और कर्मचारियों के बीच टकराव का कारण बन रहा है, बल्कि आने वाले दिनों में यह आम जनता को भी प्रभावित कर सकता है। सभी की निगाहें अब प्रशासन के अगले कदम पर टिकी हैं।
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