परिवार परेशान पत्र बने परिवार पहचान पत्र की अनिवार्यता खत्म करे सरकार–कुमारी सैलजा
कहा-हाईकोर्ट के आदेश के बाद अपनी गलती स्वीकार करे सरकार
परिवार पहचान पत्र की त्रुटियोंं को अपने खर्चे पर ठीक करवाए प्रदेश सरकार
बाबूशाही ब्यूरो
चंडीगढ़,19 जनवरी। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा ने कहा है कि सरकार को यह बात माननी ही होगी कि परिवार पहचान पत्र जनता के लिए परिवार परेशान पत्र बनकर रह गया है, पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय ने भी हरियाणा सरकार को निर्देश दिया है कि वह तुरंत सुधारात्मक कदम उठाए, ताकि किसी भी नागरिक को परिवार पहचान पत्र की कमी के कारण जरूरी या मौलिक सेवाओं से वंचित न किया जाए। साथ ही पीपीपी की अनिवार्यता को खत्म किया जाए।
मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि परिवार पहचान पत्र सरकार ने जनता पर जबरन थोपा था और इसमें आई खामियोंं को लेकर जनता को परेशानी में डालकर रखा हुआ है। पीपीपी के नाम पर घोटाला हुआ। आज तक पीपीपी की त्रुटियों को दूर नहीं किया गया है। पीपीपी को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने आदेश में कहा-यह स्पष्ट है कि मौलिक सेवाओं, जो किसी व्यक्ति या समुदाय के लिए जीवित रहने के लिए आवश्यक हैं, जैसे पीने का पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, बिजली, स्वच्छता, पुलिस और अग्निशमन जैसी आपातकालीन सेवाओं के लिए पीपीपी को अनिवार्य आवश्यकता माना जा रहा है लेकिन यह स्वैच्छिक प्रक्रिया है। इस स्थिति में, सभी सुधारात्मक कदम तुरंत उठाए जाएंगे ताकि किसी भी नागरिक को पीपीपी के अभाव में जरूरी सेवाओं से वंचित न किया जाए।
कुमारी सैलजा ने कहा कि जो जानकारी पीपीपी में दी जाती है उसे जरूरत पड़ने पर सरकार मानती ही नही है और अलग से प्रमाण पत्र की मांग करती है तो ऐसे में पीपीपी का कोई औचित्य ही नहीं रहता। उन्होंने कहा कि सरकार को हाईकोर्ट का आदेश आने के बाद अपनी गलती को मानना ही होगा और इसकी अनिवार्यता को खत्म करना होगा। सभी मौलिक और आवश्यक सेवाओं की पहचान के लिए पीपीपी को अनिवार्य माना गया है जो गलत है। कुमारी सैलजा ने कहा कि जिन लोगों के पीपीपी में कोई त्रुटि है तो उसे सरकार अपने ही खर्च पर ठीक करवाए उसका बोझ पीड़ितों पर न डाला जाए।
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