चंडीगढ़ में आबकारी विभाग का बड़ा एक्शन: 33 करोड़ की बैंक गारंटी न देने पर 42 शराब ठेके सील,
अधिकारियों में अज्ञानता या लापरवाही?
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 09 अप्रैल। केंद्रशासित चंडीगढ़ में आबकारी एवं कराधान विभाग ने मंगलवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए 42 शराब ठेकों को सील कर दिया। ये ठेके शहर के विभिन्न इलाकों में चल रहे थे, जहां से नियमित रूप से शराब बेची जा रही थी। आरोप है कि इन ठेकों के ठेकेदारों ने तय समयसीमा में 33 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी विभाग को नहीं सौंपी, जो आबकारी नीति के तहत अनिवार्य है।
नीलामी में 96 में से 87 ठेके एक ही परिवार और सहयोगियों को देने का आरोप
21 मार्च को हुई नीलामी में विभाग को 606 करोड़ रुपये की रिकॉर्ड लाइसेंस फीस मिली, जो कि 439 करोड़ के आरक्षित मूल्य से करीब 36% अधिक है। लेकिन अब इस नीलामी की पारदर्शिता पर सवाल उठ गए हैं। स्थानीय ठेकेदारों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया है कि 96 में से 87 ठेके एक ही परिवार और उसके सहयोगियों को सौंप दिए गए, जिससे निष्पक्षता और प्रतिस्पर्धा पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
अधिकारियों की अज्ञानता या लापरवाही?
सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब नियमानुसार प्रत्येक सफल बोलीदाता को 7 कार्यदिवस के भीतर बैंक गारंटी जमा करानी होती है, तो विभाग ने समय पर कार्रवाई क्यों नहीं की? चंडीगढ़ वाइन्स कांट्रैक्टर्स एसोसिएशन ने बार-बार विभाग को इसकी जानकारी दी, लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया। जब लीगल नोटिस भेजा गया, तब जाकर विभाग हरकत में आया।
यह स्थिति इस ओर इशारा करती है कि या तो विभागीय अधिकारियों को नीति की पूरी जानकारी नहीं थी (अज्ञानता), या फिर जानबूझकर देरी की गई (लापरवाही)।
अब यह सवाल उठता है कि क्या नियमों को जानबूझकर नजरअंदाज कर कुछ ठेकेदारों को अनुचित लाभ पहुंचाने की कोशिश की गई? इससे पहले भी फर्जी बैंक गारंटी का मामला सामने आ चुका है, लेकिन उस पर भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई थी।
बैकडेटेड गारंटी जमा कराने की कोशिश, जांच की मांग
एसोसिएशन के अध्यक्ष दर्शन सिंह क्लेर ने आरोप लगाया है कि कुछ ठेकेदार विभागीय मिलीभगत से बैकडेटेड बैंक गारंटी जमा कराने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने पत्र लिखकर मांग की है कि:
किसी भी देरी से जमा गारंटी को अस्वीकार किया जाए,
सभी सफल बोलीदाताओं की जानकारी सार्वजनिक की जाए,
और पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए।
विभाग की कार्रवाई पर उठे सवाल
एसोसिएशन ने यह भी कहा है कि विभाग ने ठेके सील तो कर दिए हैं, लेकिन अंदर रखी शराब को जब्त नहीं किया गया, जिससे यह कार्रवाई सिर्फ 'खानापूर्ति' लगती है। इससे पहले एक फर्जी गारंटी का मामला भी सामने आ चुका है, जिसकी निष्पक्ष जांच अब तक नहीं हुई।
मामला हाईकोर्ट में, न्यायिक निगरानी में जांच की मांग
पूरे प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए यह मामला अब पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में विचाराधीन है। याचिका में मांग की गई है कि आबंटन प्रक्रिया, बैंक गारंटी की सत्यता और विभागीय अधिकारियों की भूमिका की न्यायिक निगरानी में जांच करवाई जाए।
मुख्य बिंदु:
33 करोड़ की बैंक गारंटी न देने पर 42 ठेके सील
एक ही परिवार को 96 में से 87 ठेके देने का आरोप
अधिकारियों की अज्ञानता या लापरवाही बनी बड़ी चिंता
बैकडेटेड गारंटी पर मिलीभगत की आशंका
मामला हाईकोर्ट में, निष्पक्ष जांच की मांग
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