फतेहाबाद में इंसानियत को शर्मसार करने वाले मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, दुष्कर्म और हत्या के दो दोषियों को फांसी की सजा
बाबूशाही बबुरो
फतेहाबाद (टोहाना), 9 अप्रैल – हरियाणा के फतेहाबाद जिले में बीते साल साढ़े तीन साल की मासूम बच्ची के साथ हुए दुष्कर्म और हत्या के दिल दहला देने वाले मामले में बुधवार को फास्ट ट्रैक कोर्ट ने दो दोषियों को फांसी की सजा सुनाई है। कोर्ट ने दोनों दोषियों पर 1.75 लाख रुपये जुर्माना भी लगाया है।
यह दिल दहला देने वाली घटना 29 जून 2024 को टोहाना सदर क्षेत्र में सामने आई थी, जब बच्ची को उसके घर के पास से उठाकर खेत में ले जाया गया और उसके साथ दुष्कर्म कर उसकी निर्मम हत्या कर दी गई थी।
क्या था मामला?
उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले से मजदूरी के लिए फतेहाबाद आए प्रवासी दंपति की साढ़े तीन साल की बच्ची के साथ यह जघन्य वारदात हुई थी। बच्ची के माता-पिता दो महीने के लिए फतेहाबाद आए थे और टोहाना क्षेत्र में अस्थायी रूप से रह रहे थे। घटना वाली रात बच्ची अपनी मां के पास सोई हुई थी। उसी दौरान पिता के जानकार दो युवक — सतीश और मुकेश — जो उसी इलाके में रहते थे, शराब के नशे में धुत होकर बच्ची को उठाकर ले गए। दोनों आरोपी पहले पीड़िता के पिता के साथ शराब पी रहे थे।
दरिंदगी के बाद सड़क पर फेंका
पुलिस के अनुसार, सतीश और मुकेश मासूम को खेत में ले गए और वहां उसके साथ दुष्कर्म किया। इसके बाद उसे गंभीर हालत में सड़क किनारे फेंककर फरार हो गए। अलसुबह जब लोगों ने खून से लथपथ बच्ची को देखा तो उसे अस्पताल पहुंचाया गया, जहां इलाज के दौरान 9 दिन बाद रोहतक PGIMS में उसकी मौत हो गई।
पुलिस ने तुरंत की थी कार्रवाई
घटना की सूचना मिलते ही पुलिस ने तुरंत एक्शन लिया और दोनों आरोपियों को 48 घंटे के भीतर गिरफ्तार कर लिया। मेडिकल रिपोर्ट और फॉरेंसिक जांच में दुष्कर्म की पुष्टि हुई। बच्ची के निजी अंगों पर गंभीर चोटों के निशान पाए गए थे।
कोर्ट का कड़ा रुख
एडिशनल सेशन जज अमित गर्ग की फास्ट ट्रैक अदालत ने बुधवार को इस मामले में सख्त रुख अपनाते हुए दोनों दोषियों को फांसी की सजा सुनाई। साथ ही, प्रत्येक दोषी पर 87,500 रुपये का जुर्माना लगाया गया। अदालत ने माना कि यह मामला 'रेयरेस्ट ऑफ द रेयर' की श्रेणी में आता है, जिसमें समाज में डर और न्याय का संदेश देना जरूरी है।
डिप्टी डीए का बयान
मामले की पैरवी कर रहे डिप्टी डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी अरुण बंसल ने बताया, “यह फैसला न्यायपालिका की संवेदनशीलता और त्वरित न्याय प्रणाली की मिसाल है। बच्ची के साथ जो हुआ, वह किसी भी सभ्य समाज के लिए कलंक है। न्याय ने पीड़ित परिवार को कुछ राहत दी है।”
न्याय से मिली सांत्वना, लेकिन जख्म गहरे
बच्ची के माता-पिता ने कोर्ट के फैसले पर संतोष जताते हुए कहा कि उन्हें न्याय मिला है, लेकिन जो नुकसान हुआ, उसकी भरपाई कभी नहीं हो सकती। “हमारी बच्ची हमें कभी नहीं मिल सकती, लेकिन अब कम से कम उसकी आत्मा को शांति मिलेगी,” मां ने नम आंखों से कहा।
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