हरियाणा में फिर बदला मौसम: छह जिलों में बारिश और ओलावृष्टि का अलर्ट, किसानों की फसलें बर्बाद
रमेश गोयत
चंडीगढ़,1 मार्च: हरियाणा में मौसम विभाग ने एक बार फिर बारिश और ओलावृष्टि को लेकर अलर्ट जारी किया है। महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, कुरुक्षेत्र, अंबाला, यमुनानगर और पंचकूला में मेघगर्जन, आकाशीय बिजली और 50 से 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं चलने की संभावना जताई गई है। विभाग ने बताया कि इन जिलों में कहीं-कहीं ओलावृष्टि भी हो सकती है। इससे पहले शुक्रवार को भी राज्य के कई जिलों में बारिश और ओलावृष्टि हुई, जिससे किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ा।
किसानों की मेहनत पर फिरा पानी
शुक्रवार देर शाम रेवाड़ी जिले में अचानक मौसम बदलने से किसानों की फसलों को भारी नुकसान हुआ। सरसों और गेहूं की फसलें तेज बारिश और ओलावृष्टि से प्रभावित हुईं। शाम 7:30 बजे बारिश के साथ ओले गिरने लगे, जो करीब पांच मिनट तक जारी रहे। हालांकि यह अवधि छोटी थी, लेकिन इस दौरान तेज हवाओं और ओलों ने किसानों की उम्मीदों को चकनाचूर कर दिया। खेतों में खड़ी फसलें झुक गईं और कई जगह दाने झड़ गए।
फसल कटाई शुरू करने वाले किसान हुए फायदे में
पिछले कुछ दिनों से मौसम खराब चल रहा था, जिसे देखते हुए कुछ किसानों ने पहले ही सरसों की कटाई शुरू कर दी थी। लेकिन जिले में केवल 5 से 10 प्रतिशत किसान ही सतर्कता बरत सके। बाकी किसानों की सरसों की फसल खेतों में ही खड़ी थी, जो अब बारिश और ओलावृष्टि की चपेट में आकर बर्बाद हो गई। वहीं, गेहूं की फसल अभी पूरी तरह पकी नहीं थी, जिससे किसान उसकी कटाई नहीं कर सके। अब बारिश से उसकी गुणवत्ता भी प्रभावित होने की आशंका है।
"हर साल कुदरत हमें नुकसान पहुंचाती है" – किसानों की पीड़ा
किसानों का कहना है कि हर बार फसल पकने के समय मौसम बिगड़ जाता है और वे प्राकृतिक आपदा के सामने बेबस हो जाते हैं। एक किसान ने कहा, "पिछली बार की फसल के नुकसान का मुआवजा भी नहीं मिला और अब फिर से बरसात और ओलों ने हमारा सबकुछ छीन लिया। हम कर्ज लेकर खेती करते हैं, अब ये नुकसान कैसे सहेंगे?"
मुआवजे की मांग, सरकार से राहत की उम्मीद
किसानों ने राज्य सरकार से तुरंत राहत और मुआवजे की मांग की है। उनका कहना है कि प्राकृतिक आपदा से फसल को बचाना उनके बस में नहीं है, इसलिए सरकार को नुकसान की भरपाई करनी चाहिए। मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में भी बारिश की संभावना जताई है, जिससे किसानों की चिंता और बढ़ गई है। अब सभी की निगाहें सरकार की ओर टिकी हैं कि वह किसानों के लिए क्या राहत उपाय करती है।
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