चंडीगढ़ मेयर हरप्रीत कौर बबला ने गृह मंत्री अमित शाह से की मुलाकात, नगर निगम की वित्तीय स्थिति सुधारने पर चर्चा
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 20 मार्च: चंडीगढ़ की महापौर हरप्रीत कौर बबला ने आज नई दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर नगर निगम की गंभीर वित्तीय स्थिति पर चर्चा की। बैठक में मेयर ने निगम के सामने आ रही चुनौतियों को विस्तार से रखा और केंद्र सरकार से वित्तीय सहयोग की मांग की, ताकि शहर की मूलभूत सेवाओं को बिना किसी बाधा के सुचारू रूप से संचालित किया जा सके।
नगर निगम की वित्तीय चुनौतियां
महापौर बबला ने अमित शाह को बताया कि चंडीगढ़, एक केंद्र शासित प्रदेश होने के नाते, अपनी कई विकास योजनाओं और बुनियादी ढांचे के रखरखाव के लिए केंद्र सरकार के अनुदानों पर निर्भर करता है। हालांकि, हाल के वर्षों में बढ़ती महंगाई और शहर की विस्तारशील आवश्यकताओं के कारण निगम के लिए वित्तीय संतुलन बनाए रखना कठिन होता जा रहा है।
मेयर ने बताया कि वित्तीय संसाधनों की कमी के कारण स्वच्छता, सड़क मरम्मत, जल आपूर्ति, स्ट्रीट लाइट और अन्य नागरिक सेवाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि शहर में कचरा प्रबंधन और पर्यावरण संरक्षण परियोजनाओं के लिए भी अधिक धनराशि की आवश्यकता है।
गृह मंत्री ने दिया आश्वासन
बैठक के दौरान, गृह मंत्री अमित शाह ने नगर निगम की वित्तीय स्थिति पर चिंता जताई और इस विषय पर शीघ्र समीक्षा करने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ की स्वच्छता, यातायात व्यवस्था और नागरिक सुविधाओं को उच्च प्राथमिकता दी जाएगी और वित्तीय संकट को दूर करने के लिए उचित कदम उठाए जाएंगे।
अमित शाह ने मेयर बबला को सुझाव दिया कि निगम को अपने राजस्व संसाधनों को मजबूत करने के लिए भी ठोस कदम उठाने चाहिए। इसके तहत प्रॉपर्टी टैक्स, विज्ञापन शुल्क और अन्य संभावित राजस्व स्रोतों को बढ़ाने पर विचार करने की जरूरत है।
मेयर का धन्यवाद ज्ञापन
हरप्रीत कौर बबला ने गृह मंत्री का उनके समय और सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह मुलाकात चंडीगढ़ के नागरिकों के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी और उम्मीद जताई कि जल्द ही केंद्र सरकार से वित्तीय सहायता प्राप्त होगी, जिससे शहर के विकास कार्यों को गति मिलेगी।
क्या होंगे अगले कदम?
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि केंद्र सरकार चंडीगढ़ नगर निगम की वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए क्या ठोस कदम उठाती है। क्या अनुदान में बढ़ोतरी होगी या नगर निगम को आत्मनिर्भर बनने के लिए नई योजनाओं पर काम करना होगा? आने वाले दिनों में इस विषय पर और अधिक स्पष्टता मिलने की उम्मीद है।
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