हरियाणा में अप्रत्याशित हार से कांग्रेस पार्टी सदमे में, मौजूदा MLA पर किया विश्वास
चंडीगढ़ 11 अक्तूबर। हरियाणा में अप्रत्याशित हार से कांग्रेस पार्टी सदमे में है. हार के सबसे बड़े कारणों में एक है मौजूदा विधायकों पर भरोसा करना. कांग्रेस अपने विधायकों के खिलाफ जनता की नाराजगी को भांप नहीं पाई. यही कारण है कि उनके ज्यादातर विधायक हार गये. 10 अक्टूबर को दिल्ली में कांग्रेस की समीक्षा बैठक हुई. सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में राहुल गांधी बेहद नाराज दिखे. कांग्रेस की हार की जांच के लिए एक कमेटी का गठन भी किया गया.
हरियाणा में कांग्रेस ने एक भी विधायक का टिकट नहीं काटा और कुल 31 में से सभी 28 मौजूदा विधायकों को मैदान में उतर दिया. इनमें मुलाना से मौजूदा विधायक वरुण चौधरी की पत्नी हैं. जबकि कुलदीप बिश्नोई और किरण चौधरी पहले ही बीजेपी में शामिल हो चुके थे. उसके अलावा सभी विधायक चुनाव लड़ रहे थे. इनमें कई विधायकों के खिलाफ जनता में बेहद नाराजगी थी. जो लोग कांग्रेस को वोट करना भी चाह रहे थे, उन्होंने स्थानीय नेताओं से नाराजगी के चलते वोट नहीं दिया. यही वजह है कि कांग्रेस के ज्यादातर विधायक चुनाव हार गए।
कांग्रेस के हारने वाले मौजूदा विधायकों में कैप्टन अजय यादव के बेटे और लालू यादव के दामाद चिरंजीव राव भी हैं. उन्हें 22 हजार से ज्यादा वोट से शिकस्त मिली. एक तरफ जहां 15 मौजूदा विधायकों को हार का मुंह देखना पड़ा, वहीं 14 मौजूदा विधायक जीत हासिल करने में कामयाब रहे. इनमें कई विधायकों को बेहद कम अंतर से जीत मिली. इनमें रोहतक से बीबी बत्ता 1341 वोट और साढौरा से रेनू बाला महज 1699 वोट से विजयी हुईं।
हरियाणा की सत्ता निर्धारित करने वाले अहीरवाल में कांग्रेस का सफाया हो गया. महेंद्रगढ़, रेवाली, और गुड़गांव की 11 सीटों में से कांग्रेस केवल एक पर जीत पाई बाकी 10 सीटें बीजेपी के खाते में गईं. 2019 में कांग्रेस ने 2 सीटें जीती थीं. इस बार पार्टी को यहां सीटें बढ़ने की उम्मीद थी लेकिन नतीजा इसके खिलाफ आया।
अपने शहर की खबरें Whatsapp पर पढ़ने के लिए Click Here →
Click to Follow हिन्दी बाबूशाही फेसबुक पेज →