क्या ट्रंप की टैरिफ नीति भारत की अर्थव्यवस्था के लिए खतरा है? विशेषज्ञों की चेतावनी
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क्या वैश्विक व्यापार बदलने वाला है? ट्रंप की नीति पर भारत को फिर से रणनीति बनानी होगी?
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ट्रंप की टैरिफ नीति: क्या भारत को अब अपनी आर्थिक दिशा बदलनी चाहिए?
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क्या ट्रंप के टैरिफ से हिलेगा भारत का व्यापार मॉडल? विशेषज्ञों ने जताई चिंता
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क्या अमेरिका की टैरिफ जंग में भारत बनेगा अगला शिकार? नीति विशेषज्ञों ने उठाए सवाल
चंडीगढ़, 21 अप्रैल 2025:
अमेरिकी राष्ट्रपति Donald Trump की आक्रामक टैरिफ (आयात शुल्क) नीति को लेकर भारत में चिंता जताई जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि ये नीतियाँ वैश्विक व्यापार ढांचे को पूरी तरह बदल सकती हैं, जिससे भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाएं मुश्किल में पड़ सकती हैं।
CU-IDC चंडीगढ़ कैंपस स्थित Center for Advanced Studies in Social Science and Management (CASSM) द्वारा आयोजित एक Round Table सम्मेलन में देश के प्रमुख अर्थशास्त्री, पत्रकार और नीति विशेषज्ञ शामिल हुए। चर्चा का विषय था – “Trump की टैरिफ बढ़ोतरी: भारत के लिए बड़ी तस्वीर और निहितार्थ”।
कार्यक्रम की शुरुआत में ही पंजाब सरकार की हालिया पहल का जिक्र किया गया, जिसमें IAS/PCS अफसरों के ट्रांसफर ऑर्डर आधिकारिक भाषा पंजाबी में जारी किए जा रहे हैं, इसके बाद उनका अंग्रेज़ी अनुवाद होता है। इसी तर्ज़ पर, विशेषज्ञों ने अमेरिका की नई व्यापार नीति से भारत को मिल रहे संकेतों पर चर्चा की।
Economist Bedi ने कहा, “दुनियाभर में व्यापार नेटवर्क में बड़ा बदलाव आ रहा है – यूरोप, चीन, साउथ ईस्ट एशिया, ब्राज़ील और रूस जैसे देश नए व्यापार रास्ते बना रहे हैं। भारत को भी अपनी रणनीति में बदलाव लाना होगा।”
Prof. Sunil Kumar Sinha ने आगाह किया कि संरक्षणवाद, महंगाई और वैश्विक अनिश्चितता भारत के ग्रामीण और श्रमिक वर्ग को सबसे ज्यादा प्रभावित करेंगे। उन्होंने कहा, “सबसे बड़ी मार उन्हीं पर पड़ेगी, जो इन झटकों को सहने में सबसे कम सक्षम हैं।”

Prof. Atul Sood ने कहा कि आर्थिक राष्ट्रवाद की लहर भारत जैसे विकासशील देशों की बातचीत की ताकत घटा रही है। उन्होंने कहा, “हम अस्थिरता और कम प्रभाव वाले दौर की तरफ बढ़ रहे हैं।”
Prof. Abhijit Das ने सवाल उठाया कि क्या भारत की जवाबी टैरिफ रणनीति वाकई प्रभावी है? उन्होंने कहा, “फ्री ट्रेड कभी भी पूरी तरह फ्री नहीं रहा – अमेरिका ने हमेशा संरक्षणवाद को ही प्राथमिकता दी है।”
Prof. Pramod Kumar, अध्यक्ष, Institute for Development and Communication, ने पूछा, “क्या टैरिफ जैसे कदम आर्थिक समानता बढ़ाएंगे या फिर सिर्फ विकसित और विकासशील देशों के बीच जवाबी कार्रवाइयों का कारण बनेंगे?” उन्होंने भारत के मध्यम वर्ग और वंचित समुदायों के हितों को ध्यान में रखने की अपील की।

वरिष्ठ पत्रकार Rajesh Mahapatra ने कहा कि ट्रंप की ये नीतियाँ अमेरिकी ड्रीम की बुनियादी सोच – व्यापक उपभोग और लोकतंत्र – को ही चुनौती दे रही हैं। “ये टैरिफ न सिर्फ अमेरिका को अलग-थलग कर रहे हैं बल्कि भारत जैसी अर्थव्यवस्थाओं पर भी बड़ा असर डाल रहे हैं।”
Shergill और Baljit Balli ने इस मंच को छात्रों, पत्रकारों और नीति निर्माताओं के लिए ग्लोबल चुनौतियों से निपटने का अहम ज़रिया बताया।
सम्मेलन में यह सहमति बनी कि भारत को चाहिए कि वह मौजूदा अस्थिर वैश्विक व्यापार माहौल को देखते हुए अपनी नीतियों में समय रहते बदलाव करे और साथ ही सबसे कमजोर वर्गों की सुरक्षा सुनिश्चित करे।
निष्कर्ष:
इस गोलमेज चर्चा ने साफ किया कि बदलते वैश्विक परिदृश्य में भारत को दूरदर्शिता से काम लेना होगा, ताकि जोखिमों को कम कर अवसरों को साधा जा सके।
केके