नई राष्ट्रीय कृषि मंडीकरण के खिलाफ किसानों ने भरी हुंकार
सीएम आवास का घेराव करने पहुंचे सैंकड़ो किसान, नारेबाजी कर सरकार को जमकर कोसा
भाकियू प्रदेशाध्यक्ष रतनमान बोले : बुग्गी को बैरिकेट बनाकर मुख्यमंत्री का रास्ता रोकेंगे किसान
बाबूशाही ब्यूरो
चंडीगढ़ 20 मार्च। भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष रतनमान ने कहा कि सरकार किसान विरोधी फैसले ले रही है। मुख्यमंत्री स्वयं को किसान का बेटा कहते हैं लेकिन आज किसानों का रास्ता रोककर मुख्यमंत्री ने यह साबित कर दिया है कि वह नालायक हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को शर्म आनी चाहिए कि उन्होंने बैरिकेट और पुलिस बल लगाकर किसानों का रास्ता रोका। यह बैरिकेट मात्र किसानों पर नहीं लगाया गया है बल्कि यह हरियाणा की खेतीबाड़ी को फलने-फूलने से रोकने के लिए लगाया गया है। हरियाणा का किसान इस घटना का करारा जवाब देगा। भाकियू प्रदेश अध्यक्ष रतनमान ने कहा कि मुख्यमंत्री को दो मिनट का समय निकालकर किसानों की बात सुननी चाहिए थी। जिस तहर मुख्यमंत्री ने किसानों को रोकने के लिए बैरिकेट लगाए हैं, इसी तरह किसान भी गांवों में बुग्गी को बैरिकेट बनाकर मुख्यमंत्री का रास्ता रोकेंगे। उन्होंने कहा कि चौधरी सर छोटूराम की जो बनाई व्यवस्था थी यह नीति उसको तहस-नहस कर देगी लेकिन किसान उस व्यवस्था को खत्म नहीं होने देंगे। े। संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने चेताया किकिसान कभी न ही डरे हैं और ना ही डरेंगे। किसान अपने हक के लिए हमेशा लड़ते रहेंगे। रतनमान ने कहा कि सरकार तुरंत प्रभाव से पंजाब सरकार की तरह इस पॉलिसी को रद्द करे। मान ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा जारी की गई नई राष्ट्रीय कृषि मंडीकरण नीति को हरियाणा विधानसभा में चालू बजट सत्र के दौरान प्रस्ताव पारित कर रद्द किया जाए और इसे प्रदेश में लागू न किया जाए। गुरुवार को संयुक्त किसान मोर्चा की अगुवाई में किसानों ने केंद्र सरकार की नई राष्ट्रीय कृषि मंडीकरण के खिलाफ हुंकार भरी और सीएम आवास का घेराव किया। किसानों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन करते हुए सरकार को जमकर कोसा। सीएम आवास का घेराव करने जा रहे किसानों को पुलिस ने बैरिकेट लगाकर रास्ते में ही रोक लिया। इससे किसानों में भारी रोष व्याप्त हो गया तथा प्रदर्शन उग्र हो गया। इस दौरान किसान बैरिकेट पर चढक़र सरकार की नीतियों की आलोचना करते हुए नजर आए। इससे पूर्व हरियाणा प्रदेश के किसानों ने भारी संख्या में ताऊ देवीलाल पार्क में महापंचायत की। इस दौरान किसानों ने नई राष्ट्रीय कृषि मंडीकरण का विरोध जताया।
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यह हैं किसानों की मुख्य मांगें
पंजाब में गिरफ्तार किसान नेताओं और सभी किसानों को तुरंत रिहा किया जाए और शांतिपूर्वक किसान आंदोलन पर कार्रवाई तुरंत प्रभ्भाव से रोकी जाए। केंद्र सरकार द्वारा 25 नवंबर 2024 को जारी की गई कृषि विपण पर राष्ट्रीय नीतियों को हरियाणा विधानसभा में प्रस्ताव पारिक कर वापिस किया जाए और इसे प्रदेश में न लागू किया जाए। बिजली कानून और स्मार्ट मीटर योजना रद्द किया जाए। आईएमटी रोजकमेव में किसानों की जमीनों का अधिग्रहण किया गया उसमें किसानों को पूरा मुआवाजा नहीं मिला इसलिए सभी प्रकार के पुराने अग्रीमेंट रद्द कर उनको उनकी मांगों अनुरूप मुआवजा दिया जाए। प्रदेश के कई जिलों से गुजरने वाली आईओसीएल की भूमिगत पाइप लाइन का मुआवजा भी किसानों को दिया जाए। जबरन लाइन दबाने के काम पर रोक लगाई जाए। स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश अनुसार सी 2+50 प्रतिशत पर खरीद की काननी गारंटी दी जाए। किसान आंदोलन के दौरान और उसके बाद भिन्न-भिन्न स्थानों पर हुए किसानों के आंदोलनों-प्रदर्शनों में किसानों पर बनाए हुए सभी मुकद्दमे खारिज किए जाएं। कृषि उत्पादों के आयात व निर्यात शुल्कों को लेकर अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप की धमकियों का माकूल जवाब दिया जाए और भारत सरकार अपनी कृषि और किसानों व मजदूरों का सशक्तिकरण करने की दिशा में वैकल्पिक नीतियां अपनाई जाएं।
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