30 अप्रैल 2025 अक्षय तृतीया (आखा तीज) पर विशेष -----------
हरियाणा में बाल विवाह आरम्भ से ही अवैध और अमान्य
2 अगस्त 2022 से प्रदेश में लागू बाल विवाह प्रतिषेध (हरियाणा संशोधन) कानून में स्पष्ट प्रावधान – एडवोकेट
बाबूशाही ब्यूरो
चंडीगढ़ - 29 अप्रैल को हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी द्वारा एक सार्वजनिक अपील जारी की गई जिसमें 30 अप्रैल 2025 को अक्षय तृतीया (जिसे आखा तीज के नाम से भी जाना जाता है ) के अवसर पर, जो विवाह करने के लिए सबसे शुभ दिन माना जाता है, इस दिन सामाजिक प्रथा अनुसार लोगों द्वारा सामूहिक विवाह की आड़ में बड़ी संख्या में बाल विवाह का आयोजन भी किया जाता है हालांकि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 के अनुसार बाल विवाह करना एक कानूनी अपराध है, के बारे में मुख्यमंत्री द्वारा प्रदेश वासियों से अपील की गई है कि इस पावन दिन पर कोई भी बाल विवाह न होने दें.
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ( 9416887788) ने बताया हरियाणा विधानसभा सदन द्वारा वर्ष 2020 में पारित बाल विवाह प्रतिषेध (हरियाणा संशोधन) कानून, 2020 को भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलने के उपरान्त उसे प्रदेश सरकार द्वारा 2 अगस्त 2022 को प्रदेश के शासकीय गजट में अधिसूचित किया गया था जिससे वह तत्काल प्रभाव से लागू हो गया था. सरल शब्दों में कहा जाए तो उक्त कानून लागू होने के फलस्वरूप हरियाणा में बाल विवाह आरम्भ से ही अवैध और अमान्य है.
हेमंत ने आगे बताया कि 18 वर्ष पूर्व वर्ष 2007 में देश में तत्कालीन व्याप्त बाल विवाह अवरोध कानून, 1929 को समाप्त कर देश की संसद द्वारा बाल विवाह प्रतिषेध कानून, 2006 बनाया गया था जिसे केंद्र सरकार द्वारा 1 नवंबर, 2007 से देश में लागू किया गया था.
उक्त कानून के अनुसार बाल विवाह से अभिप्राय है ऐसा विवाह जिसमें पुरुष (पति) 21 वर्ष से कम आयु का हो और /या महिला (पत्नी) 18 वर्ष से कम आयु की हो. हालांकि उक्त कानून की धारा 3 (1 ) के अनुसार बाल विवाह आरम्भ से ही पूर्णतया अवैध और अमान्य नहीं होता बल्कि शून्यकरणीय होता है अर्थात विवाह बंधन के पक्षकार (अर्थात बाल विवाह में सम्मिलित पति या पत्नी) द्वारा वयस्कता प्राप्त करने के दो वर्षो के भीतर (अर्थात 18 वर्ष की आयु होने के बाद दो वर्षो तक) सम्बंधित जिला अदालत में उपयुक्त अर्जी दायर कर ऐसे विवाह को अमान्य या अवैध घोषित करवाया जा सकता है.
हेमंत ने बताया कि हालांकि बाल विवाह प्रतिषेध कानून, 2006 संसद द्वारा बनाया गया केंद्रीय कानून है एवं इसमें सामान्यत: केंद्र सरकार द्वारा ही संसद से संशोधन करवाया जा सकता है परन्तु चूँकि विवाह सम्बन्धी विषय भारतीय संविधान की समवर्ती सूची में पड़ता है, इसलिए राज्य सरकारें भी अपने अपने प्रदेश के भीतर उक्त कानून में विधानसभा द्वारा उपयुक्त संशोधन करवाने हेतु सक्षम हैं हालांकि उसके पश्चात उस पर देश के राष्ट्रपति की स्वीकृति अनिवार्य होती है.
पांच वर्ष पूर्व मार्च, 2020 में हरियाणा विधानसभा द्वारा बाल विवाह प्रतिषेध (हरियाणा संशोधन) विधेयक, 2020 पारित किया गया था जिसमें उपरोक्त 2006 कानून की धारा 3 (1 ) के बाद नई धारा 3 (1 ) (ए) जोड़कर यह प्रावधान किया गया था कि इस संशोधन कानून लागू होने के बाद प्रत्येक बाल विवाह प्रारम्भ से ही शून्य होगा अर्थात वह शुरू से ही अवैध और अमान्य होगा अर्थात उसे ऐसा घोषित करवाने के लिए विवाह के समय कम आयु के रहे पुरुष (पति) या महिला (पत्नी) को जिला अदालत में अर्जी दायर करने की कोई आवश्यकता नहीं होगी.
हेमंत ने बताया कि 13 मई 2022 को भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा उपरोक्त हरियाणा संशोधन कानून को स्वीकृति प्रदान की गयी थी जिसकी हरियाणा सरकार द्वारा गजट नोटिफिकेशन हालांकि 2 अगस्त 2022 को की गयी थी जिस तारीख से यह प्रदेश में उक्त तारीख से तत्काल प्रभाव से लागू हो गया. कर्नाटक विधानसभा द्वारा वर्ष 2017 में भी ऐसा कानूनी संशोधन किया गया था.
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