चंडीगढ़ के आईएएस अधिकारी की विदेश यात्रा बनी चर्चा का विषय
प्रशासन में हड़कंप, दिल्ली तक पहुंची शिकायत, मामले को दबाने की कोशिशें तेज
पुराने मामले में दोबारा जांच शुरू, अधिकारी के लिए बढ़ी समस्या
बाबूशाही ब्यूरो
चंडीगढ़, 29 अप्रैल 2025:। चंडीगढ़ प्रशासन के एक आईएएस अधिकारी की हालिया सरकारी विदेश यात्रा अब बड़े विवाद में फंस गई है। आरोप है कि अधिकारी ने विदेश जाने के लिए मंजूरी लेते समय महत्वपूर्ण जानकारी छुपाई और गलत विवरण प्रस्तुत किया। मामले के खुलासे के बाद प्रशासन में हड़कंप मच गया है और यह मामला दिल्ली स्थित गृह मंत्रालय और अन्य उच्च अधिकारियों तक भी पहुंच चुका है। वही पुराने मारपीट के केस में मामले में दोबारा जांच के आदेश से अधिकारी के लिए समस्या बढ़ गई है। मामले 17 जून को सुनवाई होगी।
कोर्ट के आदेशनुसार अपीलकर्ता द्वारा दायर विरोध याचिका को खारिज करने वाली और पुनरीक्षण पर उच्च न्यायालय द्वारा पुष्टि की गई कार्यवाही को रद्द किया जाता है।
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, पोर्ट 3 ब्लेयर को विरोध याचिका को अनुमति दिए जाने के मद्देनजर मामले को आगे बढ़ाने का निर्देश दिया जाता है। हमें उम्मीद है और भरोसा है कि संबंधित मजिस्ट्रेट अपीलकर्ता द्वारा प्रस्तुत ऑडियो रिकॉर्डिंग और तस्वीरों सहित प्रासंगिक सामग्रियों पर विचार करेंगे।
सूत्रों के मुताबिक, अधिकारी के खिलाफ एक आपराधिक मुकदमा पोर्ट ब्लेयर की मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत में लंबित है। यह मामला 2021 में अंडमान निकोबार द्वीप समूह के अबरडीन थाने में दर्ज हुआ था, जिसमें सरकारी कार्य में बाधा डालने, चोट पहुंचाने, धमकाने और चोरी जैसे गंभीर आरोप लगाए गए थे।
जानकारी छुपाने के आरोप
मामले से जुड़े दस्तावेज़ों की समीक्षा के बाद यह सामने आया है कि अधिकारी ने न केवल यह मुकदमा छुपाया, बल्कि पासपोर्ट आवेदन, वीजा आवेदन और विदेश यात्रा की सरकारी अनुमति के लिए दी गई अंडरटेकिंग्स में भी इसका कोई ज़िक्र नहीं किया। सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश के बाद यह मुकदमा फिर से सुनवाई के लिए खोला गया है।
सूत्रों ने बताया कि शिकायतकर्ता ने इस गड़बड़ी से जुड़े सभी साक्ष्य गृह मंत्रालय, चंडीगढ़ प्रशासक, संघ लोक सेवा आयोग और कार्मिक मंत्रालय को भेजे हैं। वहीं, प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि,
“मामला बेहद गंभीर है। विदेश यात्रा के लिए दी गई जानकारी में तथ्यों को छुपाना सेवा नियमों का सीधा उल्लंघन है। यदि यह आरोप सिद्ध होते हैं, तो कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई तय है।”
बढ़ रही हैं दबाव की कोशिशें
सूत्रों के अनुसार, शिकायत के सार्वजनिक होने के बाद अब कुछ वरिष्ठ अधिकारी मामले को “अंदर ही अंदर” निपटाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन चूंकि मामला अब राष्ट्रीय राजधानी के स्तर तक पहुंच चुका है, ऐसे में इसे दबाना अब आसान नहीं दिख रहा।
एक अन्य अधिकारी ने कहा,
“यह कोई छोटी चूक नहीं है। सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में चल रहे मामले को छुपाकर विदेश जाना न सिर्फ नैतिक रूप से गलत है, बल्कि यह प्रशासनिक व्यवस्था पर भी सवाल उठाता है।”
सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणियाँ
सुप्रीम कोर्ट ने इस केस की पिछली सुनवाई में जांच में हुई लापरवाही को लेकर सख्त टिप्पणियाँ की थीं। कोर्ट ने स्पष्ट कहा था कि मामले में “प्रभावशाली व्यक्ति को बचाने की कोशिश की गई है” और सभी साक्ष्यों की पुन: समीक्षा करने के आदेश दिए गए थे।
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यदि आरोप सिद्ध होते हैं तो अधिकारी के खिलाफ न केवल विभागीय कार्रवाई हो सकती है, बल्कि पासपोर्ट एक्ट और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत भी मामला दर्ज किया जा सकता है।
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